जन गण मन की धुन से झंकृत,
मन वीणा के तार हुए।
माँ भारती सजी है ऐसे,
जैसे सोलह श्रृंगार हुए।
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
जिस पऱ देश को नाज है।
भारत के मस्तक पऱ सुशोभित,
गौरव का स्वर्णिम ताज है।
शक्ति ज्ञान समृद्धि सूचक,
रंग केसरिया स्वेत हरा
शांति प्रेम की देता शिक्षा,
एकता का संदेश भरा।
आजादी के पावन पर्व पऱ,
झंडा हम फहराएंगे।
श्रद्धा सुमन कर चरणों में अर्पित,
ज्योति अमर जलाएंगे।
आजाद भगत तात्या सुभाष,
आजादी के परवाने थे।
साहस शौर्य और पराक्रम से,
भरे वो वीर जमाने थे।
मातृभूमि का करने मस्तक ऊँचा,
हर माँ ने अपने पूत दिये।
निजस्वार्थ छोड़ देशहित खातिर,
बन सपूत वो शहीद हुए।
मातृभूमि को सींचा लहू से,
क्या उनका परिवार न था।
क्या वो थे इंसा मिट्टी के,
जिन्हें जान से प्यार न था।
वीरों के उन बलिदानों को,
हम यूँ ही व्यर्थ न जाने दें।
तन मन धन हम करें समर्पित,
देश पऱ आंच न आने दें।
बनकर पहिये प्रगति रथ के,
हम आगे बढ़ते जाएँ।
रखें दिलों में भाईचारा,
जाति वाद न फैलाएं।
बाजेगी फिर मधुर बांसुरी,
संकल्पों बलिदानों से,
गूँज उठेंगी दसों दिशाएं,
वीरों के यशगानों से।
जय हिंद और जय भारत,
वीरों का अमर ये मंत्र है।
पंद्रह अगस्त का दिन ये सुनहरा,
भारत में सदा स्वतंत्र है।
वन्देमातरम,🙏🌹
@ vineetakrishna