पोती बोली दादी मेरे कुछ,
टिमटिमाते सपने हैं।
छूना मुझको चाँद सितारे,
जो लगते मुझे अपने हैं।
होते पंख जो मेरे अपने,
उनको जा छू आती।
करके उनसे मीठी बातें,
संग अपने ले आती।
चिड़ियों से भी बातें करना,
बड़ा ही मुझको भाता।
दूर गगन में उड़ने का,
दादी मजा अलग ही आता।
सूरज मामा बड़े ही प्यारे
लगते मुझको अच्छे।
करते मुझसे ढेरों बातें,
कहते बच्चे मन के सच्चे।
देख के रिमझिम रिमझिम बारिश,
मन मयूर हो जाता,
भागा दौड़ा छत पऱ जाकर,
उछल कूद मचाता।
देख के पौधे हरे भरे ये,
सब अच्छा अच्छा लगता
दुनिया है ये बड़ी निराली,
मन का बच्चा हँसता।
दादी बोली बेटी
तेरी दुनिया बड़ी ही न्यारी,
रंग बिरंगे सपनों के जैसे,
मेरी पोती बड़ी ही प्यारी।
@ vineetakrishna