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मन के पंछी

5 अक्टूबर 2021

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रंग बिरंगे मन के पंछी
प्रेमी हमें बनाते हैं।
दिखा के सपने मीठे सलोने,
जीने की चाह बढ़ाते हैं।
=================
पाकर मौका
दूर गगन में।
सैर करने उड़ जाते हैं।
देख के सारा जहाँ सुनहरा,
गीत ख़ुशी के गाते हैं।
==============
चाँद तारों से करते बातें,
वापस घर नहीं जाने की।
ठंडी ठंडी हवा में रहकर,
हरदम साथ निभाने की।
================
हरे भरे ये देख बगीचे,
उनका मन ललचाता है।
ताज़ा मीठा स्वाद फलों का,
उनको बड़ा ही भाता है।
================
मिलकर कोयल और चिड़ियों से,
दिल का हाल सुनाते हैं।
रहते हैं हम सदा कैद में,
अपना दर्द बंटाते हैं।
==============
भीनी भीनी फूलों की खुशबु,
उनको मदहोश बनाती है।
फुदक फुदक कर डाली डाली,
मीठी नींद सुलाती है।
================
रिमझिम रिमझिम होती जो बारिश,
फुर्र से उड़ जाते हैं।
भीगे भीगे मन के पंछी,
लौट के घर को आते हैं।
================
@vineetakrishna


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