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***माटी की मनुहार ***

4 अक्टूबर 2021

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माटी की सुन लो मनुहार,
माटी का न करो व्यापार।
माटी है सोने की खान ,
माटी को कर लो प्रणाम।

माटी कहे मैं तुझे सजा दूँ,
हीरा और कोहिनूर बना दूँ।
कर दूँ जगमग सारा जहान,
माटी का न करो अपमान।

माटी को तुम फिर पुचकारो,
अपना सोया भाग्य जगा लो।
हो जायें तेरे सारे काम,
माटी का न करो अपमान।

माटी में एक दिन तुम्हें मिलना,
रिश्ते नातों से है बिछड़ना।
माटी से तेरी पहचान,
माटी का न करो अपमान।

तन के सारे रोग भगेंगे,
माटी के ज़ब दिए जलेंगे।
माटी में है तेरे प्राण,
माटी का न करो अपमान।

माटी के ढेरों उपकार,
सुख समृद्धि तेरे द्वार।
रिद्धि सिद्धि की है पहचान,
माटी का न करो अपमान।

माटी ज़ब ज़ब है मुस्काई,
धरा पे हरयाली है छाई।
माटी से है तेरी शान,
माटी का न करो अपमान।

कंचन सी काया ये तेरी,
माटी में ही जाके मिलेगी।
माटी में सबका विश्राम।
माटी का न करो अपमान।

माटी के रंग पर न जाओ,
काली कहकर उसे न भुलाओ।
गुणों से होता है गुणगान,
माटी को कर लो प्रणाम।
@ vineetakrishna


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