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वैचारिक

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अस्पताल के कमरे में हल्का अंधेरा था। मशीनों की बीप-बीप की आवाज़ें वातावरण को और भी गंभीर बना रही थीं। रामेश्वर, जो 75 वर्ष के थे, अपने जीवन की अंतिम सांसें गिन रहे थे। परिवारजन बाहर बैठे थे, लेकिन राम

सभी खाटू श्याम जी के भक्तों को मैं हाथ जोड़ कर प्रणाम करता हूं इस पुस्तक का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ खाटू श्यामजी के जीवन पर प्रकाश डालना है मेरी कलम इतनी शक्ति नहीं मैं  तो एक टूटी फूटी कलम से मे

बैरिक का लॉकअप होते ही जैसे समय थम सा गया। कल तक मुझे केवल अपनी ही परेशानियाँ दिखाई दे रही थीं, लेकिन अब ऐसा महसूस हो रहा है कि समाज के आईने पर जमी धूल धीरे-धीरे साफ होने लगी है। समाज में छिपे स्वार्थ

जेल का दूसरा दिन   सुबह की पहली किरण के साथ ही मेरे मन में सबसे पहले माँ, मानसी और अथर्व की चिंता कौंधी। यह सोचकर दिल भारी हो गया कि मेरा परिवार इस अन्याय को कैसे सहन कर रहा होगा। मानसी न बोल सकती ह

संयुक्त परिवार का महत्व हमारे घर पर एक पुराना लैंडलाइन फोन था। एक दिन अचानक उसकी घंटी बजी। मैंने फोन उठाया तो दूसरी तरफ एक महिला की आवाज आई। उसने मेरा परिचय पूछा, और जब मैंने अपना नाम बताया, तो उसने

🙏 जीवन में आने वाली विषम परिस्थितियाँ कभी-कभी व्यक्ति को निराशा की गहराईयों में धकेल देती हैं, जहाँ उसे लगता है कि अब आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं बचा है। ऐसी स्थिति में, मन में आत्महत्या जैसे घातक

😞😞😞Injustice😞😞😞 आज मेरी बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी थी। कक्षा 10 की वार्षिक परीक्षाएं प्रारंभ हो चुकी थीं। मैं प्रातः शीघ्र ही तैयार होकर केंद्र पर पहुंचा। बच्चे अपने अनुक्रमांक देखकर परीक्षा कक्ष

रतन नवल टाटा का निधन भारत और दुनिया भर में उद्योग जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका जीवन एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जिसने अपनी लगन, मेहनत और समाज के प्रति जिम्मेदारी के भाव से न केवल टाटा समूह बल्

पात्र:सीमा (माँ)रमेश (पिता)अनुज (बेटा, 15 साल का)नेहा (बेटी, 10 साल की)सुबह का समय है। सीमा रसोई में नाश्ता बना रही है। अनुज और नेहा स्कूल के लिए तैयार हो रहे हैं, और रमेश ऑफिस जाने की तैयारी में है।स

माँ चूल्हे पे रोटी नहीं पका सकी ,, बेटी भूख से तिलमिलाती स्कूल से आयी रसोई में बर्तन खाली पड़े थे बेटी छोटी थी स्कूल में रोटी नहीं थी उसे भूख बर्दाश्त नहीं थी मा

तुम जो पूछो, अपनी अहमियत मुझसे, तो सुनोएक तुझको, जो चुरा लूं तो जमाना, गरीब हो जाए

तुम्हारें बिछड़ने का मलाल नहीं चाहताइसलिए तुम्हें हर हाल में पाना चाहता हूँ

मुद्दत बाद उसने पूछा, कहां रहते हो हमने मुस्कुरा के कहा, तुम्हारी तलाश में

ना जाने कौन सा ऐसा छुपा हुआ रिश्ता है तुमसेहजारों अपने है पर याद तुम ही आते हो

रेस वो लोग लगाते है जिसे अपनी किस्मत आजमानी हो, हम तो वो खिलाडी है जो अपनी किस्मत के साथ खेलते है! 

सच्चा मित्रएक गाँव में एक व्यापारी अपनी पत्नी और बारह साल के बेटे, अनीश के साथ बहुत खुशी - खुशी रहता था। व्यापारी के कारोबार में दिन - रात तरक्की होती थी। अनीश इकलौती सन्तान होने के कारण लाड - दुलार म

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सुख की खातिर मैं भटकी थी यहां-वहां पर हे शिव-शंकर सुख तो तेरे में साथ में जब भी नाम तुम्हारा जपती हूँ तो सुख सुनती हूँ अपनी ही आवाज़ में | सुकून की ख़ातिर भटकी थी

मोहब्बत का महीनामोहब्बत में जान क़ुर्बान कर गये !वो अपनी पूरी ज़िंदगी, देश के नाम कर गये !नहीं सोचा बच्चों का , पत्नी को बेसहारा छोड़ गये !कहते हैं मोहब्बत इसे, अंतिम साँस तक लड़ गये !ह

रंग बिखेरते फूलएक कस्बे में एक सामान्य परिवार निवास करता था। परिवार में पति हरि प्रसाद और पत्नी नारायणी और दो बेटे थे - बड़ा बेटा सुरेश और छोटा बेटा मनोज। दोनों की विद्यालय जाने की उम्र हो गयी थी। दोनो

माँ का आँचलएक छोटे से गाँव में लीला नाम की एक महिला अपने तीन बच्चों के साथ मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पालन - पोषण कर रही थी। साथ ही अपने बच्चों को गाँव के स्कूल में पढ़ने को भेजती थी। उसके बच्चे

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