पतझड़ आने वाला है, नया संदेश लाने वाला है।
खोयी हुई हरयाली को, वापस दिलाने वाला है।💥
पतझड़ को आने दो, तभी बसंत आएगी।
बागों में फिर से,नई बौरें लहराएंगी।
🎄
पतझड़ के बाद की, बसंत खास होती है।
यही ऋतू तो ऋतुओं की, ऋतू राज होती है।💥
शाखों के पत्ते, नई उमंग लाते हैं।
पीले बसंती फूलों से, मन चहक जाते हैं।
🎄
हरी पीली ओढ़ चुनरिया, प्रकृति मुस्काती है।
आसमान से मिलकर ,प्रेम बलखाती है।💥
पतझड़ तो नई ऋतू का, होता स्वागतम है।
झरकर के बदरंग, लाता नया रंग है।
🎄
खोने के बाद पाने का, अहसास निराला होता है।
अंधेरों की कुटिया में, रौशनी का आभास होता है।💥
बसंत के मौसम में ही तो, सरस्वती मुस्काती है।
उल्टी लकीरों को भी , सीधा कर जाती है।
💥
पतझड़ को भी तुम, यूँ न दुत्कारो भला।
पतझड़ के बाद ही तो , बसंत का आता मजा।🎄
@ vineetakrishna