बंद दिमाग पर एक
एक हौसला बनाया गया
आग दिल में फिर आज लगायी गयी
जाने कितनी नफरत की फसल लगी
फसल को आग फिर से झुलसाया गया
जल उठी इमारतें और नगर
नगर को फिर खंडहर बनाया गया
बारूद की फसल थी चारो तरफ
इंसानों की बस्ती जली दिल भी जला
जो बचा वो खाक में फिर मिलाया गया
ये शैतान थे जो आग फैलाते रहे नफरत की
इल्जाम फिर से खुदा पर आज लगाया गया