यह पहली पुत्री है। जैसे एक लड़की अपना घर छोड़कर दूसरे घर को रोशन करती है, वैसे ही उम्मीद करता हुं की ये कविताएं आपके मन को रोशन करें।
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आंखों में थोड़ा जल है और चेहरे पे मुस्कान सी हो,लगता है जानता हूँ तुमको पर फिर भी अंजान सी हो।कितने किरदार निभाती हो,क्या तुम भी कभी थक जाती हो?घर जाते है आराम को हम, तुम घर पर भी कुछ काम सी हो,लगता ह