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एक मुलाकात

3 मई 2022

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मैं चुप शान्त और अडोल खड़ी थी

सिर्फ पास बहते समुन्द्र में तूफान था……फिर समुन्द्र को खुदा जाने

क्या ख्याल आया

उसने तूफान की एक पोटली सी बांधी

मेरे हाथों में थमाई

और हंस कर कुछ दूर हो गया


हैरान थी….

पर उसका चमत्कार ले लिया

पता था कि इस प्रकार की घटना

कभी सदियों में होती है…..


लाखों ख्याल आये

माथे में झिलमिलाये


पर खड़ी रह गयी कि उसको उठा कर

अब अपने शहर में कैसे जाऊंगी?


मेरे शहर की हर गली संकरी

मेरे शहर की हर छत नीची

मेरे शहर की हर दीवार चुगली


सोचा कि अगर तू कहीं मिले

तो समुन्द्र की तरह

इसे छाती पर रख कर

हम दो किनारों की तरह हंस सकते थे


और नीची छतों

और संकरी गलियों

के शहर में बस सकते थे….


पर सारी दोपहर तुझे ढूंढते बीती

और अपनी आग का मैंने

आप ही घूंट पिया


मैं अकेला किनारा

किनारे को गिरा दिया

और जब दिन ढलने को था

समुन्द्र का तूफान

समुन्द्र को लौटा दिया….


अब रात घिरने लगी तो तूं मिला है

तूं भी उदास, चुप, शान्त और अडोल

मैं भी उदास, चुप, शान्त और अडोल

सिर्फ- दूर बहते समुन्द्र में तूफान है…..

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रचनाएँ
रोचक कविताएँ
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कम उम्र में ही मां के चले जाने के कारण इन्हें जिम्मेदारियों को ना चाहते हुए भी उठाना पड़ा जिम्मेदारियों का भार और अकेलेपन के कारण इन्होंने कम उम्रमें ही लिखना शुरु कर दिया। इनकी कविताओं का पहला संकलन “अमृत लेहरन (अमर लहरें)” सन् 1936 में प्रकाशित हुई।
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वारिस शाह से

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एक सोच

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