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वारिस शाह से

3 मई 2022

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आज वारिस शाह से कहती हूँ

अपनी कब्र में से बोलो

और इश्क की किताब का

कोई नया वर्क खोलो

पंजाब की एक बेटी रोई थी

तूने एक लंबी दास्तान लिखी

आज लाखों बेटियाँ रो रही हैं,

वारिस शाह तुम से कह रही हैं

ऐ दर्दमंदों के दोस्त

पंजाब की हालत देखो

चौपाल लाशों से अटा पड़ा हैं,

चिनाव लहू से भरी पड़ी है

किसी ने पाँचों दरिया में

एक जहर मिला दिया है

और यही पानी

धरती को सींचने लगा है

इस जरखेज धरती से

जहर फूट निकला है

देखो, सुर्खी कहाँ तक आ पहुँची

और कहर कहाँ तक आ पहुँचा

फिर जहरीली हवा वन जंगलों में चलने लगी

उसमें हर बाँस की बाँसुरी

जैसे एक नाग बना दी

नागों ने लोगों के होंठ डस लिये

और डंक बढ़ते चले गये

और देखते देखते पंजाब के

सारे अंग काले और नीले पड़ गये

हर गले से गीत टूट गया

हर चरखे का धागा छूट गया

सहेलियाँ एक दूसरे से छूट गईं

चरखों की महफिल वीरान हो गई

मल्लाहों ने सारी कश्तियाँ

सेज के साथ ही बहा दीं

पीपलों ने सारी पेंगें

टहनियों के साथ तोड़ दीं

जहाँ प्यार के नगमे गूँजते थे

वह बाँसुरी जाने कहाँ खो गई

और रांझे के सब भाई

बाँसुरी बजाना भूल गये

धरती पर लहू बरसा

क़ब्रें टपकने लगीं

और प्रीत की शहजादियाँ

मजारों में रोने लगीं

आज सब कैदो बन गए

हुस्न इश्क के चोर

मैं कहाँ से ढूँढ के लाऊँ

एक वारिस शाह और...

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रचनाएँ
रोचक कविताएँ
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कम उम्र में ही मां के चले जाने के कारण इन्हें जिम्मेदारियों को ना चाहते हुए भी उठाना पड़ा जिम्मेदारियों का भार और अकेलेपन के कारण इन्होंने कम उम्रमें ही लिखना शुरु कर दिया। इनकी कविताओं का पहला संकलन “अमृत लेहरन (अमर लहरें)” सन् 1936 में प्रकाशित हुई।
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वारिस शाह से

3 मई 2022
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आज वारिस शाह से कहती हूँ अपनी कब्र में से बोलो और इश्क की किताब का कोई नया वर्क खोलो पंजाब की एक बेटी रोई थी तूने एक लंबी दास्तान लिखी आज लाखों बेटियाँ रो रही हैं, वारिस शाह तुम से कह रही हैं

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एक मुलाकात

3 मई 2022
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मैं चुप शान्त और अडोल खड़ी थी सिर्फ पास बहते समुन्द्र में तूफान था……फिर समुन्द्र को खुदा जाने क्या ख्याल आया उसने तूफान की एक पोटली सी बांधी मेरे हाथों में थमाई और हंस कर कुछ दूर हो गया हैरान

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याद

3 मई 2022
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आज सूरज ने कुछ घबरा कर रोशनी की एक खिड़की खोली बादल की एक खिड़की बंद की और अंधेरे की सीढियां उतर गया… आसमान की भवों पर जाने क्यों पसीना आ गया सितारों के बटन खोल कर उसने चांद का कुर्ता उतार दि

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हादसा

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आत्ममिलन

3 मई 2022
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शहर

3 मई 2022
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मेरा शहर एक लम्बी बहस की तरह है सड़कें - बेतुकी दलीलों-सी और गलियाँ इस तरह जैसे एक बात को कोई इधर घसीटता कोई उधर हर मकान एक मुट्ठी-सा भिंचा हुआ दीवारें-किचकिचाती सी और नालियाँ, ज्यों मुँह से

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एक सोच

3 मई 2022
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भारत की गलियों में भटकती हवा चूल्हे की बुझती आग को कुरेदती उधार लिए अन्न का एक ग्रास तोड़ती और घुटनों पे हाथ रखके फिर उठती है चीन के पीले और ज़र्द होंटों के छाले आज बिलखकर एक आवाज़ देते हैं

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