shabd-logo

वेश्या का भाई--भाग(८)

12 नवम्बर 2021

22 बार देखा गया 22

ताँगा रूका, दोनों ताँगेँ से उतरीं फिर केशर ने ताँगेवाले को पैसे दिए और दोनों ने खरीदारी वाला सामान उतार कर दरवाजे के भीतर चलीं गईं,तभी गुलनार ने आकर पूछा।।
  आप दोनों आ गईं,बहुत वक्त लगा दिया,ऐसी क्या खरीदारी हो रही थी?
जी!ख़ाला! ये रहा सामान आप खुद ही देख लिजिए,मेरे सिर में दर्द है,मैं आराम करने जा रही हूँ,केशर बोली।।
  अरे! अचानक कैसे सिरदर्द होने? बाज़ार जाते वक्त तो आप भली-चंगीं थीं,गुलनार बोली।।
वो क्या है ना ख़ाला! धूप कड़क थी ना! इसलिए सिर में दर्द हो रहा है केशर के,शकीला बचाव करते हुए बोली।।
तो ठीक है केशर ! आप जाकर आराम फ़रमाएं,हम आपके आराम में ख़लल नहीं डालेगें,सामान कहीं भागा थोड़े ही जा रहा है,शाम को देख लेगें और इतना कहकर गुलनार ख़ाला चलीं गईं।।
  केशर और शकीला अपने कमरें में आकर आराम करने लगीं,उस वक्त शकीला ने केशर से कुछ ना पूछने में ही बेहतरी समझीं और वो भी हाथ मुँह धोकर चुपचाप अपने बिस्तर पर आकर लेट गई.....
   दोनों के बीच एक अज़ीब सी ख़ामोशी छाई थी,केशर अपने मन का गुबार निकालना चाहती थी लेकिन उसने शकीला से कुछ नहीं कहा,उधर शकीला भी केशर से बहुत कुछ पूछना चाहती थी लेकिन उसकी भी हिम्मत ना हुई कुछ पूछने की और दोनों चुप्पी साधे यूँ हीं लेटीं रहीं,कुछ ही देर में दोनों कुछ सोचते सोचते ही सो गईं।।
      शाम हो चली थी,तबलें की थाप और घुँघरूओं की आवाज़ ने दोनों की नींद में ख़लल डाला,दोनों सोकर उठ चुकीं थीं,तभी नौकरानी ने उनके कमरेँ में रोशनी कर दी और बोली....
  ख़ालाजान ने पुछवाया है कि आपकी तबियत कैसी है? कोई खरीदार आया है,मुँहमाँगे दाम देने को तैयार है कहता था कि केशरबाई से मुलाकात करनी है....
   ख़ालाजान से कह दो कि आज हमारा मन नहीं है,किसी को भी हमारे पास ना भेज़ें,जो भी आया हो  उससे कहो कि बाद में आएं,केशर बोली।।
  ठीक है तो मैं ख़ालाजान से कह देती हूँ कि आपकी तबियत ठीक नहीं और इतना कहकर नौकरानी चली गई....
तब शकीला ने केशर से पूछा....
पानी पिलाऊँ...
हाँ! बहुत प्यास लगी है,केशर बोली।।
और फिर शकीला  सुराही से गिलास भरकर केशर को देते हुए बोली....
अब तो बता दे कि तू मंगल को अपना भाई मानने से इनकार क्यों कर रही है?
तू फिर से वही बात लेकर बैठ गई,केशर बोली।।
मेरे मन को ये बात बहुत ख़टक रही है,इतने सालों बाद तेरा बिछड़ा हुआ भाई मिला है और तू उसे अपना कहने से इनकार करती है,शकीला बोली।।
किस मुँह से उसे भइया कहकर पुकारूँ,तू ही बता? तुझे मालूम है ना कि मैं एक तवायफ़ हूँ,अगर उसका अपना परिवार हुआ तो क्या उसकी बीवी मुझ जैसी तवायफ़ को अपना बनाएगी? नहीं...कभी नहीं बनाएगी,ऊपर से तुझे क्या लगता है गुलनार ख़ालाजान मुझे मेरे भाई के पास जाने देगीं,मेरी वज़ह से उनका धन्धा चलता है,लाखों रूपए कमाकर देती हूँ उन्हें,क्या वें खुशी खुशी मुझे मेरे भाई के पास रहने की इज़ाज़त दे देगीं,टुकड़े टुकड़े करवा देगीं वें मेरे और मेरे भाई के और अगर उन्होंने मुझे मेरे भाई के साथ रहने की इजाजत दे भी दी तो ये नाशुकरे दुनिया वाले मेरे भाई को तवायफ़ का भाई कह कहकर जीने नहीं देगें,मैं अपने भाई की रुसवाई होते हुए नहीं देख सकती,इससे अच्छा है कि मैं उसे भाई मानने से ही इनकार कर दूँ,केशर बोली।।
     बात तो तेरी सही है लेकिन मन की तड़प को छुपा सकेगी सबसे,शकीला ने पूछा।।
तड़प का क्या है मेरी जान! मन तो सालों से तड़प रहा है,इतना तड़पा है....इतना तड़पा है कि कि जिसकी कोई हद़ नहीं,पहली बार जब मुझ मासूम को उस जमींदार ने मसला था तब भी और आज जब कोई खरीददार मेरी मरजी भी नहीं होती उसके साथ हमबिस्तर होने की फिर भी  गैर मन से मुझे उसके साथ हमबिस्तर होना पड़ता हैं और वो मेरे मन और तन को रौंदकर चला जाता है तब भी तड़पता है ये दिल,समझी ना! केशर बाई बोली।।
  हम तवायफ़ो की किस्मत में क्या यही लिखा है ताउम्र? शकीला ने पूछा।।
  यही लिखा है कोई फरिश्ता भी आकर हमें बचाने की कोश़िश करेगा ना तो समाज वाले उसे भी दाग़दार कर देगें तो फिर  हम अपने लिए किसी और की जिन्दगी को बदनुमा क्यों बनाएं? हम तो हैं ही बदनुमा,दूसरा तो बचा रहे कम से कम,केशर बोली।।
  इतनी बड़ी बड़ी बातें कहाँ से सीखी तूने? शकीला ने पूछा।।
  तजुर्बा.....बस तजुर्बा,खुदबखुद समझदार बना देता है मेरी जान,केशर बोली।।
तेरे सीने से लिपटकर रोने को जी चाहता है,शकीला बोली।।
तो रो लें ना! मैने कब मना किया है? केशर बोली।।
  और फिर दोनों एकदूसरे से लिपट लिपकर खूब रोईं,दोनों ही एकदूसरे के आँसू भी पोछतीं रहीं...
  जब दोनों जीभर के रो चुकीं तो फिर से नौकरानी उनके कमरें में आकर बोली.....
  शकीला आपा! आपको ख़ाला ने याद फ़रमाया है,जल्दी करें .....
  अच्छा! तू जा! मैं अभी आई,शकीला बोली।।
तुझसे क्या जरूरी काम हो सकता है? केशर बोली।।
क्या मालूम? वो ख़ाला के पास जाकर ही देखना पड़ेगा,शकीला बोली।।
ठीक है तू होकर आ! फिर साथ में खाना खाऐगें,केशर बोली।।
ठीक है तो मैं अभी ख़ाला से मिलकर आती हूँ और इतना कहकर शकीला गुलनार के पास पहुँची,वहाँ पहुँचकर वो हैरान रह गई क्योकिं वहाँ मंगल था....
  तब गुलनार बोली....
ये जनाब! केशर से मुलाकात करना चाहते थे लेकिन उनकी तबियत ठीक नहीं,तो बोले कि शकीला को बुला दें,इसलिए हमने आपको बुलवाया है,इन्हें मेहमानखाने में ले जाएं और इनकी मेहमाननवाजी करें,इन्होंने आपसे मुलाकात के लिए मुँह माँगे दाम दिए हैं....
  अब उस समय शकीला क्या बोलती ? उसे कुछ नहीं सूझा और वो मंगल को मेहमानखाने में ले गई,वहाँ पहुँचकर उसने दरवाजा बंद किया और मंगल पर चीख उठी....
  तुम्हारी इतनी हिम्मत,तुम यहाँ तक चले आएं....
आप पहले मेरी बात सुन लीजिए,बाद में मुझ पर गुस्सा कर लीजिएगा, मंगल बोला।।
हाँ! बको जल्दी से,शकीला गुस्से से बोली....
मुझे आपकी मदद की जुरूरत है शकीला जी! मुझे मालूम है कि केशर ही मेरी बहन है और शायद वो दुनिया की रूसवाई के डर से मुझे अपना भाई मानने से इनकार कर रही है,आप ही उसे समझा सकतीं हैं,बहुत बड़ा एहसान होगा आपका मुझ पर जो वो ये मान ले कि मैं ही उसका भाई हूँ,मंगल बोला।।
    देखो मंगल! मैने उसे बहुत समझाया लेकिन वो मेरी बात समझना ही नहीं चाहती,उसका कहना भी तो गलत नहीं है,क्या तुम्हारी बीवी उसे अपने घर में पनाह दे सकेगी?शकीला ने पूछा।।
   मैने अभी तक शादी नहीं की है,शादी करने का मौका ही नहीं मिला सालों से केशर को जो ढूढ़ रहा हूँ,मंगल बोला।।
ये सुनकर शकीला को मंगल पर थोड़ी दया आ गई और वो बोली.....
  क्यों मुफ्त में अपनी जान गँवाना चाहते हो अगर गुलनार ख़ाला को कुछ पता चल गया तो तुम्हारे टुकड़े टुकड़े करवा देगीं,शकीला बोली।।
  अब जो भी अन्ज़ाम हो ,मैने तो ठान लिया कि मैं अपनी बहन को इस दलदल से निकाल कर रहूँगा,मंगल बोला।।
  क्यों मेरी और अपनी जान जोख़िम में डाल रहे हो? शकीला बोली।।
बस,आप मेरी बात मेरी बहन तक पहुँचा दीजिए बाक़ी रास्ते मैं खोज लूँगा,मंगल बोला।।
तुम समझते क्यों नहीं?वो तैयार नहीं होगी,शकीला बोली।।
आप एक बार कोश़िश करके तो देखिए,मंगल बोला।।
अरे,अच्छी जोर-जबरदस्ती है,मना कर रही हूँ,फिर भी नहीं मानते,शकीला बोली।।
मेरी मौत और जिन्दगी का सवाल है मोहतरमा! कुछ तो रहम कीजिए,अगर आपका भाई आपको मेरी तरह लेने आता तो क्या आप ना जातीं उसके संग?मंगल ने पूछा।।
मेरी ऐसी किस्मत कहाँ?शकीला उदास होकर बोली।।
मोहतरमा! एक बात कहूँ,मंगल बोला।।
हाँ! कहो! शकीला बोली।।
किस्मत खुदबखुद कभी नहीं बनती इन्सान के हाथों में होता है अपनी किस्मत बनाना,मंगल बोला।।
कह तो तुम सही रहे हो,शकीला बोली।।
तो आप कुशमा तक मेरी बात पहुँचा दीजिए,मैं अब चलता हूँ,मंगल बोला।।
ए...पागल हो क्या? यहाँ से कोई भी खरीदार इतनी जल्दी नहीं जाता,सबको शक़ हो जाएगा,अगर तुम जल्दी गए तो,शकीला बोली।।
तो क्या करूँ? मुझे कब तक यहाँ रूकना पड़ेगा,मंगल ने पूछा।।
कम से कम दो घंटे,शकीला बोली।।
यहाँ !दो घंटे रूककर मैं क्या करूँगा? मंगल बोला।।
बातें कीजिए मुझसे,शकीला बोली।।
आपसे और बातें,आपको तो मुझसे बात करके चिढ़ हो रही है,मंगल बोला।।
मैं कहाँ चिढ़ रही हूँ? शकीला बोली।।
और क्या? आप मुझे देखकर भड़कीं नहीं थीं,मंगल बोला।।
अब तुम अचानक भूत की तरह प्रकट हो जाओगें तो भड़कूगी नहीं,शकीला बोली।।
मैं आपको भूत की तरह दिखता हूँ,मंगल बोला।।
जी! नहीं,मेरा ये मतलब नहीं था,शकीला बोली।।
ऐसे ही दोनों बातें करते रहें,दो घंटे बीतने के बाद मंगल बोला....
अब तो दो घंटे बीत चुके होगें,मंगल बोला।।
हाँ!अब तुम जा सकते हो,शकीला बोली।।
  और फिर मंगल चला आया.....

क्रमशः.....
सरोज वर्मा.....


Anita Singh

Anita Singh

सुन्दर

26 दिसम्बर 2021

रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

बहुत सुन्दर 👌 👌 👌

22 दिसम्बर 2021

Jyoti

Jyoti

👌

11 दिसम्बर 2021

21
रचनाएँ
वेश्या का भाई
5.0
एक ऐसे भाई की कहानी जो अपनी बहन को वेश्यालय से छुड़ाने का प्रयास करता है और उसमें सफल भी होता है।।
1

वेश्या का भाई--भाग(१)

12 नवम्बर 2021
9
2
3

<div align="left"><p dir="ltr"><b>वेश्या</b><b> या</b><b> </b><b>तवायफ़</b> एक ऐसा शब्द है जिसे सुनने

2

वेश्या का भाई--भाग(२)

12 नवम्बर 2021
3
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">कुछ वक्त के बाद केशर बाई की पालकी नवाबसाहब की हवेली के सामने जाकर रूक

3

वेश्या का भाई--भाग(३)

12 नवम्बर 2021
4
3
3

<div align="left"><p dir="ltr">केशरबाई मुज़रा करते हुए बहुत थक चुकी थी इसलिए वो रातभर बिना करवट बदले

4

वेश्या का भाई--भाग(४)

12 नवम्बर 2021
3
2
3

<div><div align="left"><p dir="ltr">इन्द्रलेखा मजबूर थी या कि उसमें हिम्मत ना थी सही को सही या गलत क

5

वेश्या का भाई--भाग(५)

12 नवम्बर 2021
4
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">इन्द्रलेखा भीतर जाकर भगवान के मंदिर के सामने खड़ी होकर फूट फूटकर रो पड़

6

वेश्या का भाई--भाग(६)

12 नवम्बर 2021
3
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">इन्द्रलेखा और कुशमा इस बात से बेख़बर थी कि उनके पीछे जमींदार गजेन्द्र

7

वेश्या का भाई--भाग(७)

12 नवम्बर 2021
3
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">केशर नहाकर आई तो शकीला उसके और अपने लिए खाना परोस लाई,दोनों ने मिलकर

8

वेश्या का भाई--भाग(८)

12 नवम्बर 2021
3
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">ताँगा रूका, दोनों ताँगेँ से उतरीं फिर केशर ने ताँगेवाले को पैसे दिए औ

9

वेश्या का भाई--भाग(९)

12 नवम्बर 2021
3
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">मंगल के जाने के बाद फ़ौरन ही शकीला,केशर के पास पहुँची,उसे देखकर केशर ब

10

वेश्या का भाई--भाग(१०)

12 नवम्बर 2021
3
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">मंगल को परेशान सा देखकर रामजस बोला....<br> मंगल भइया! इतना परेशान क्य

11

वेश्या का भाई--भाग(११)

13 नवम्बर 2021
3
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">मत रो मेरे भाई! अब से तू खुद को अकेला मत समझ,मैं हूँ ना ! तेरे दुःख ब

12

वेश्या का भाई--भाग(१२)

13 नवम्बर 2021
3
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">फिर कुछ देर सोचने के बाद केशर बोली....<br> क्या कहा तुमने? तुम मंगल भ

13

वेश्या का भाई--भाग(१३)

13 नवम्बर 2021
3
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">कोठे के बाहर मंगल ,रामजस का इन्तज़ार ही कर रहा था,जब रामजस मंगल के पास

14

वेश्या का भाई--भाग(१४)

13 नवम्बर 2021
3
3
3

<div align="left"><p dir="ltr">बहु-बेग़म झरोखे पर अपने बीते हुए कल को याद करने लगी,उसके अब्बाहुजूर नि

15

वेश्या का भाई--भाग(१५)

13 नवम्बर 2021
3
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">नवाबसाहब के जाते ही गुलनार ने केशर से पूछा...<br> क्या हुआ केशर! नवाब

16

वेश्या का भाई--भाग(१६)

13 नवम्बर 2021
3
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">गुलनार और नवाबसाहब को ये मालूम नहीं चला कि उन दोनों की बातें परदे के

17

वेश्या का भाई--भाग(१७)

13 नवम्बर 2021
3
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">दोनों का खाना बस खत्म ही हो चुका था कि तभी बुर्के में सल्तनत उनके पास

18

वेश्या का भाई--भाग(१८)

13 नवम्बर 2021
3
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">घायल लठैत की बात सुनकर गुलनार बोली...<br> जाने दीजिए उन्हें,जी लेने द

19

वेश्या का भाई--भाग(१९)

13 नवम्बर 2021
3
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">सबको दवाखाने से लौटते-लौटते दोपहर हो चुकी थी,सबके मन में हलचल भी मची

20

वेश्या का भाई--भाग(२०)

13 नवम्बर 2021
3
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">माई की कहानी सुनकर सबका मन द्रवित हो आया और तब रामजस बोला....<br> तो

21

वेश्या का भाई--(अन्तिम भाग)

13 नवम्बर 2021
4
2
3

<div align="left"><p dir="ltr">जब रामजस चुप हो गया तो कुशमा ने उससे कहा...<br> तुम चुप क्यों हो गए?<

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए