रायपुर : बीजेपी के प्रेरणाश्रोत और जनसंघ के नेता दीन दयाल उपाध्याय पर टिप्पणी करना एक आईएएस अधिकारी को इतना भारी पड़ा कि उन्हें अपना सरकारी पद खोना पड़ा। छत्तीसगढ़ के कांकेर में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालक अधिकारी शिव तायल ने अपने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि 'कोई तो मुझे बताये आखिर दीनदयाल उपाध्याय की उपलब्धियां क्या हैं?' तायल ने लिखा था कि 'मुझे ऐसा कोई चुनाव याद नहीं जो उन्होंने जीता हो और ना ही उनकी अपनी कोई विचारधारा रही। वेबसाइटों में एकात्म मानववाद पर उपाध्याय के सिर्फ चार लेक्चर मिलते हैं। वह भी पहले से स्थापित विचार थे। उपाध्याय ने कोई चुनाव भी नहीं लड़ा।
'इतिहासकार रामचंद्र गुहा की पुस्तक मेकर्स ऑफ मार्डन इंडिया में आरएसएस के तमाम बड़े लोगों का जिक्र है लेकिन उसमें उपाध्याय कहीं नहीं है। मेरी अकादमिक जानकारी के लिए कोई तो पंडित उपाध्याय के जीवन पर प्रकाश डाले।' आईएएस तायल की यह पोस्ट सोशल मीडिया पर इतनी वायरल हुई कि छतीसगढ़ की बीजेपी सरकार और नेताओं की इससे दिक्कत होने लगी। सरकार ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। राज्य के बीजेपी प्रवक्ता और विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने भी इस पर कहा कि तायल को फिर से प्रशिक्षण के लिए भेजे जाने की ज़रूरत है।
इससे पहले भी दूसरे आईएएस को दिया था नोटिस बीजेपी के दूसरे नेता सचिद्दानंद उपासने ने उनपर मानहानि का मुकदमा करने की भी बात कही। यह कोई पहला मामला नही जब बीजेपी की राज्य सरकार ने किसी अधिकारी की टिप्पणी पर कार्रवाई की इससे पहले बलरामपुर ज़िले के कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन ने भी फेसबुक पर दलितों को लेकर न्यायपालिका में होने वाले भेदभाव पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद राज्य सरकार ने कई नोटिस जारी किए थे। हालाँकि आईएएस तायल ने फेसबुक वॉल से पोस्ट डिलीट कर दी और फेसबुक पर माफी भी मांगी।