मुंबई की फिल्मों में वंहा का माहौल बहुत ही अच्छा दिखाते है ऐसा लगता है जैसे कि वंहा क्या है? अभी आज मैंने एक फ़िल्म देखी.. ज़ब तुम मिलो... ऐसा कुछ नाम था फ़िल्म का जिसके सेट को देखकर किसी फॉरेन की कॉफ़ी शॉप या कैफ़े की याद आती है मुंबई में ऐसा कैफ़े कंहा होगा नहीं मालूम. इसलिए वो बहुत सुन्दर जगह लगती है. इस मूवी में डिम्पल कापड़िया, नाना पाटेकर और स्मिता जयकर जैसे कलाकार है सुनील शेट्टी भी. मूवी भी अच्छी है लेकिन मुझे इस मूवी को देखकर लगा नहीं कि इतना अच्छा माहौल अभी मुंबई में है.
वहा मै जंहा रही चार बंगला महाड़ा में वंहा बहुत ही डेंजरस ब्रोकर है A 2 z एस्टेट एजेंट तो बहुत ही ईगो वाले और मतलबी टाइप के डरावने लोग थे जिनसे कोई सहयोग नहीं मिला और मुझे डरा -धमका कर पैसे वसूलते थे. दुकान वाले भी बहुत ही घटिया लोग थे जो किसी भी क़ीमत पर ज्यादा वसूली करते थे. कुल मिलाकर आज का माहौल उतना अनुकूल नहीं है जितना मूवी में दिखाते है.
वंहा दलालों की वजह से बहुत पैसा वसूला जाता है और मुंबई जाने वालों को शिकार बनाकर लूटा जाता है यंही वंहा का चलन हो गया है.