पहले कलकत्ता में फ़िल्में बनती थी तो और वंही फ़िल्म इंडस्ट्री थी किन्तु बाद में मुंबई में हिंदी फ़िल्में बनने लगी. कपूर खानदान से लेकर धर्मेंद्र का परिवार तक यंहा बसा है और फिल्मों के आकर्षण को बढ़ाने में पुराने फ़िल्मी कलाकारों और संगीतकारों व गायको का बड़ा योगदान रहा है. लोग इन फिल्मों की सफलता से आकर्षित होकर मुंबई की ओर खींचे चले आने लगे. मुंबई के समंदर, यंहा की गगनचुम्बी ईमारतो और यंहा की सड़कों और गार्डन इन सबने मुंबई को स्वप्न नगरी बना दिया. लेकिन मुंबई में बहुत ज्यादा तादाद उन ठगों और चीटर लोगों की होने लगी जो बाहर से आने वाले मासूम लोगों का शिकार करके उनका धन -सम्पत्ति छीन लेते है इससे मुंबई मायानगरी कहलाने लगी.