नई दिल्लीः भले ही ईटीवी यूपी को रीजनल चैनल माना जाता हो मगर देश के सबसे बड़े सूबे यूपी की राजनीति क खबरें ब्रेक करने में उसके आगे कोई नेशनल चैनल नहीं टिक पा रहा। सोमवार को लखनऊ में मुलायम की महामीटिंग में तो ईटीवी यूपी ने जबर्दस्त कवरेज से मानो दूसरे चैनलों पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दिया। शिवपाल और अखिलेश के बीच माइक छीनने और धक्का-मुक्की की सबसे पहले ईटीवी यूपी ने ब्रेकिंग कर सबको फॉलो करने पर मजबूर कर दिया। ईटीवी की यह तेजी यूपी के एडिटर ब्रजेश मिश्रा की प्लानिंग और सियासी गलियारे में मजबूत पकड़ की देन रही। मीटिंग में भले वह नहीं रहे मगर मंच पर क्या कुछ चल रहा है सब उन तक पहुंचता रहा और वे ईटीवी के जरिए प्रदेश ही नहीं यूपी से नाता रखने वाले देश के दर्शकों को मुलायम, अखिलेश, शिवपाल का भाषण व सारा घटनाक्रम लाइव दिखाते रहे। 2010 से कमान संभाल कर ईटीवी यूपी को टीआरपी का बादशाह बनाने वाले एडिटर ब्रजेश मिश्र इंडिया संवाद से बातचीत में दावा करते हैं कि यूपी की सत्ता या किसी पार्टी में क्या फैसला होता है उनकी टीम को सबसे पहले खबर होती है। क्योंकि पक्ष-विपक्ष सबको पता है कि हम सिर्फ पत्रकारिता करते हैं न कि एजेंडा सेट करते हैं।
सपा में कलह की खबरों की कवरेज में शुरुआत से बढ़त
रविवार को जब रामगोपाल को पार्टी से निकाला गया तो मुंबई में मौजूद रामगोपाल से सबसे पहले ईटीवी यूपी ने एक्सक्लूसिव बयान लिया। पार्टी में इससे पहले जब कलह मची थी तो मुलायम से लेकर अखिलेश, शिवपाल और रामगोपाल का जब दूसरे चैनल बयान के लिए तरस रहे थे तब ईटीवी यूपी एडिटर ब्रजेश मिश्रा एक्सक्लूसिव इंटरव्यू करते दिखे। यह मुलायम कुनबे के हर गुट में उनकी व उनकी टीम की मजबूत पकड़ का ही नतीजा रहा। खुद राज्यपाल दफ्तर में आकर इंटरव्यू दे चुके हैं।
फोटो-टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर में खुद को औरंगजेब बताए जाने पर भड़के थे अखिलेश, ब्रजेश मिश्रा ने जारी किया लेटर
छोटी सी टीम से बड़ा कमाल
यूपी के लखनऊ में माल एवेन्यू में छोटा सा दफ्तर और छोटी सी टीम। हालांकि हर जिले में ईटीवी के जरूर संवाददाता हैं। मगर संसाधनों के लिहाज से देखा जाए तो नेशनल चैनल के आगे यह रीजनल चैनल नहीं टिक सकता। मगर ईटीवी यूपी एडिटर ब्रजेश मिश्रा सटीक प्लानिंग से अपनी राह में मैनपावर्स से लेकर अन्य संसाधनों को कोई रोड़ा नहीं बनने देते। एक वरिष्ठ पत्रकार इंडिया संवाद से कहते हैं कि 2000-2002 में उदयशंकर के नेतृत्व में गुजरात दंगे, कुंभ जैसे अहम मौकों की धारदार रिपोर्टिंग करने में जो
'आज तक' ने जो छाप छोड़ी थी , आज यूपी के राजनीतिक घटनाक्रम में ईटीवी की रिपोर्टिंग में वही तेजी वही झलक दिख रही है।
यूं ही नहीं 62 प्रतिशत दर्शकों पर कब्जा
बीते दिनों जब टीआरपी के आंकड़े जारी हुए थे तो ईटीवी यूपी ने 62 प्रतिशत का जादुई आंकड़ा छू लिया था। इससे पहले यह करिश्मा आज तक 2002 में कर पाया था। तब 'आज तक' करीब 67 प्रतिशत व्यूवरशिप के साथ नंबर वन था तो जी न्यूज दूसरे स्थान पर। मगर इसके बाद खुद 'आज तक' यूपी में इस आंकड़े के आस-पास भी नहीं फटक सका। अब जाकर 15 से 20 प्रतिशत में बड़े चैनल झूल रहे हैं। मगर इस दौर में ईटीवी को यूपी में 62 प्रतिशत टीआरपी क्यों मिल रही यह रविवार को फिर साफ हो गया जब मीटिंग के हर एंगल की जबर्दस्त कवरेज लोगों को देखने को मिली।