नई दिल्ली : उत्तरप्रदेश में अवैध कत्लखाने बंद किये जाने का अभियान जोरों पर है। ख़बरों के अनुसार उत्तरप्रदेश में नई सरकार आने के बाद 300 से ज्यादा बूचड़खाने बंद किये जा चुके हैं। उत्तरप्रदेश में बड़ी संख्या में बूचड़खानों से लोगों की अर्थव्यवस्था भी चलती है इसलिए इसके विरोध में भी आवाजें उठ रही हैं। आंकड़ों की माने तो भारत से होने वाले मांस निर्यात (भैंस मांस) में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी लगभग 35 फीसदी है। कृषि व प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपिडा) की माने तो भैंस मांस के उत्पादन में आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र व पंजाब भी सबसे आगे है।
दूसरी ओर उत्तरप्रदेश में बूचड़खाने बंद किये जाने से मांसाहारी भोजन कारोबार पर भी बड़ा असर पड़ने की खबरें हैं। इससे वो होटल प्रभावित हुए हैं जो कबाब, बिरियानी और तंदूरी चिकन सहित अन्य मांसाहार परोसते हैं। लखनऊ के मशहर टुंडे कबाब के 100 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब 'टुंडे कबाबी' दुकान बंद रही।
पिछले वित्त वर्ष में भारत ने 26,681.56 करोड़ रुपये के भैंस मांस का निर्यात किया था। एपिडा के मुताबिक भारत से वियतनाम, मलेशिया, मिस्र, सऊदी अरब व इराक जैसे देशों में मुख्य रूप से भैंस मांस का निर्यात किया जाता है।
देश में लोग कितना नॉन-वेज खाते हैं ?
सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) की रिपोर्ट की माने तो भारत में आज भी 71 फीसदी आबादी नॉन-वेज का सेवन करती है। देश में मांस का सेवन करने वालों में 71.6 फीसदी पुरुष और 70.7 फीसदी महिलाएं शामिल हैं।
सबसे ज्यादा नॉन-वेज खाने वाले राज्य
देश में सबसे ज्यादा नॉन-वेज खाने वाले राज्यों में तेलांगना टॉप पर है, यहाँ 98.70 फीसदी लोग मांस का सेवन करते हैं। जबकि वेस्ट बंगाल में 98.55 फीसदी लोग नॉन-वेज खाते हैं, यहाँ फीसदी महिला- 98.4 और पुरुष 98.7 प्रतिशत नॉन वेजेटेरियन हैं।
इसके अतिरिक्त आँध्रप्रदेश-98.25, तमिलनाडु- 97.65, ओडिशा-97.35, केरल-97, झारखण्ड- 96.75, बिहार-92.4, छत्तीसगढ़-82.4, असम-79.4, देहरादून-72.6, दिल्ली -60.5 और यूपी में 52.2 प्रतिशत लोग मांस का सेवन करते हैं।