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''सरनेम गांधी ''

26 फरवरी 2015

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PUBLISHED IN JANVANI'S RAVIVANI -7DECEMBER2014 'पिया गांधी ...'' उपस्थिति दर्ज़ करती मैडम ने कक्षा में ज्यों ही पिया का नाम पुकारा ग्यारहवी की छात्रा पिया हल्का सा हाथ उठाकर ''यस मैडम '' कहते हुए अपनी कुर्सी से खड़ी हो गयी .सभी छात्राएं पिया की ओर देखने लगी .कक्षा में तीसरी पंक्ति में दायें किनारे पर खड़ी पिया को बड़ा अजीब लगा .अभी-अभी गुजरात से उत्तर प्रदेश शिफ्ट हुए परिवार में पिया और उसके माता-पिता के अलावा उसका प्यारा पॉमेरियन डॉगी ''बुलेट'' भी था .उत्तर प्रदेश के जिस शहर में आकर पिया का परिवार बसा था वो विकसित-विकासशील-पिछड़ेपन का संगम था .एक ओर गगनचुम्बी इमारतें ,मॉल और दूसरी ओर झोपड़पट्टी इलाका .खैर क्लास टीचर ने मुड़कर देखती छात्राओं को डांट लगायी और पिया से पूछा -''क्या तुम गांधी फैमिली से हो ?'' पिया ने मुस्कुराकर ''हाँ' कहा तो सारी क्लास हॅसने लगी और मैडम भी मुस्कुरा दी .अगले ही पल पिया सफाई देते हुए बोली -'' नो मैडम ...मेरा मतलब हम भी गांधी हैं .'' ये कहकर पिया ने पहले जल्दबाज़ी में दिए गए अपने उत्तर के लिए खुद को मन में कोसा '' क्यूँ नहीं समझ पायी मैडम के किये गए सवाल का निहितार्थ ? पापा ने ठीक ही किया जो अपने नाम के साथ ''गांधी'' सरनेम नहीं जोड़ा पर दादा जी की जिद पर मेरे नाम के आगे ये जोड़ दिया गया ...ओह माई गॉड !!'' यही सोचते-सोचते पिया का नए कॉलेज में पहला दिन गुजर गया था .कॉलेज से लौटते समय पीछे से पिया की क्लास की एक छात्रा ने उसे आवाज़ लगाई -'' मिस गांधी ...मिस गांधी !!'' पिया के दिल में अपने लिए यह सम्बोधन सुनकर आग लग गयी .पिया के मन में आया -'' काश रिवाल्वर होती मेरे पास तो अभी इस लड़की के पेट में छह की छह गोली उतार देती .'' पर अपनी खीज़ अपने मन में दबाकर बनावटी मुस्कान अधरों पर लाकर पिया ने पीछे मुड़कर देखा .ये वही लड़की थी जो आज क्लास रूम में उसका उत्तर सुनकर सबसे ज्यादा मुड़ मुड़कर देख रही थी .तेजी से चलकर आयी साथी छात्रा ने पिया के समीप आते ही हांफते हुए कहा - 'हाय !...आई एम् टीना ..टीना अग्रवाल '' ये कहकर उसने पिया की ओर दोस्ती के लिए हाथ बढ़ा दिया .पिया ने उससे हाथ मिलाते हुए कहा -'' एंड आई एम् पिया !'' टीना पिया को टोकते हुए बोली -'' पिया नहीं ...यू आर पिया गांधी ...यूं नो आई एम् मैड अबाउट गांधी सरनेम .इस सरनेम के जुड़ते ही नाम कितना खास हो जाता है ...सोचो काश मैं भी गांधी होती तो ....मिस टीना गांधी ...ओह माई गॉड ...कितना अच्छा लगता !!!'' टीना उत्साहित होकर बोले जा रही थी और पिया जान चुकी थी कि इस लड़की की दिलचस्पी केवल उसके सरनेम '' गांधी'' में है उसमे कतई नहीं . टीना एक गली के मोड़ पर रुकी और बोली -''मिस गांधी इसी गली में मेरा घर है ...प्लीज डू कम !'' पिया ने मुस्कुराकर हामी भर दी किसी दिन उसके घर आने के लिए और अपने घर की ओर कदम बढ़ा दिए . घर पहुँचते ही बुलेट दौड़कर पिया पास आकर मचलने लगा .पिया ने झुककर उसे उठा लिया पर तभी सड़क से कुत्तों के भौकने की आवाज़ सुनकर बुलेट पिया की गोद से छलांग लगाकर गेट पर जाकर भौकने लगा .पिया ने यूनिफॉर्म चेंज की और फ्रेश होकर माँ के पास किचन में पहुँच गयी .माँ ने दाल, भात ,रोटी और शाक सभी कुछ बनाया था .खा-पीकर पिया अपने कमरे में पहुंची और स्कूल बैग से निकाल कर कॉपी-किताबें कोने में लगी एक टेबिल पर कायदे से लगाने लगी .एक किताब उठाकर उस पर लगी चिट पर लिखा अपना सरनेम देखकर पिया को टीना की बात याद आ गयी -'' इस सरनेम के जुड़ते ही नाम कितना खास हो जाता है .'' . शाम ढलने लगी थी . अभी भी इस शहर की सुबह व् शाम पिया को अपनी सी नहीं लगती थी .पिया के मन में एक अजीब सी मायूसी छा जाती थी ये सोचकर कि अपने गुजरात में क्या अब भी वैसी ही सुबह व् शाम होती है ? माँ संध्या -वंदन में व्यस्त थी और पापा अब तक लौटकर नहीं आये थे घर .पिया बुलेट के साथ छत पर चली गयी .आकाश में उड़ती पतंगें देखकर अपने गुजरात के अंतर्राष्ट्रीय पतंग मेले की यादें ताज़ा हो आयी पिया के दिल में .पापा के साथ कितनी पतंग उड़ाई हैं उसने वहाँ .गोधरा हादसे और उसके बाद हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद से ही पिया के पापा का मन वहाँ से उखड गया था .श्री कृष्ण द्वारा बसाई गयी द्वारिका वाले गुजरात में खून की खेली गयी होली ने पिया के पापा को अंदर तक हिला डाला .अपने मुस्लिम दोस्त के साथ मिलकर कपड़ों का बड़ा बिजनेस करने वाले पिया के पापा के सामने ही कुछ उन्मादियों ने उनके दोस्त को काट डाला था .कई महीनों के इलाज के बाद नॉर्मल हो पाये थे पिया के पापा . उसी क्षण उन्होंने गुजरात छोड़ने का निश्चय कर लिया था .बिजनेस समेटते समेटते अब शिफ्ट हो पाये थे वे .दादा-दादी ज़िंदा होते तो अब भी शिफ्ट न करने देते पर गुजरात दंगों की आग बुझते बुझते वे दोनों भी चल बसे थे .दादा अंतिम दिनों में दंगों में क़त्ल किये जा रहे मासूमों के बारे में पढ़-सुनकर रो पड़ते और कहते '' मेरे गांधी की जन्म-भूमि पर ये क्या हो रहा है ?'' पिया के पापा का चेहरा लाल हो जाता और माँ दादा जी को समझाते हुए कहती -'' बापू जी अब गुजरात गांधी का नहीं रहा !!'' और ...और भी न जाने कितनी यादें उसी पल पिया के दिल में हलचल मचाने लगी . एक पतंग तभी कटकर पिया के पास आकर गिरी .पिया उसे उठाती उससे पहले ही बुलेट दौड़कर आया और पतंग को मुंह से पकड़कर -पंजे से दबाकर वही बैठ गया .पिया ने झुककर उससे पतंग छुड़ाने की कोशिश की तो पूंछ हिलाने लगा .नीचे से तभी माँ की आवाज़ आयी -'' पिया नीचे आओ ...आरती ले लो !'' पिया पतंग और बुलेट को वही छोड़कर जल्दी से सीढ़ियां उतर कर नीचे आ गयी .हाथ धोकर माँ के पास मंदिर में पहुंचकर हाथ जोड़े और आरती ली .थोड़ी देर में पापा भी दूकान बढाकर घर आ गए .माँ ने कॉफी बना ली .पापा ने पिया को छेड़ते हुए पूछा -'' और आज क्या कर आयी मेरी बिटिया नए कॉलेज में ?'' पिया झूठा गुस्सा दिखाती हुई बोली -'' क्या पापा ...आप भी ...आज मेरा मूड ठीक नहीं है ..आपने बिल्कुल ठीक किया था .. अपने नाम के आगे से '' गांधी '' सरनेम हटा कर '' कुमार'' जोड़ लिया था .यहाँ कॉलेज में मेरा सरनेम मेरे पूरे वज़ूद पर ही हावी हो गया है .यू नो पापा एक लड़की टीना तो मेरे सरनेम की दीवानी ही है .यहाँ उत्तर प्रदेश में '' गांधी'' सरनेम के दीवाने कुछ ज्यादा ही लगते हैं ...या हम पहले '' गांधी'' हैं जो गुजरात छोड़कर उत्तर प्रदेश में शिफ्ट हुए हैं .'' पिया की बात पर उसके पापा ठहाका लगाकर हॅस पड़े .कॉफी का खाली मग मेज पर रखते हुए बोले -'' बेटा ' 'गांधी'' के दीवाने तो दुनियां भर में हैं ...वे थे ही ऐसे महापुरुष और मैंने जो सरनेम गांधी अपने नाम के साथ नहीं लगाया वो इसलिए नहीं कि मैं गांधी का दीवाना नहीं बल्कि इसलिए क्योंकि मैं गांधी को भगवान मानता हूँ और कोई मुझे माध्यम बनाकर उनका अपमान करे ये मुझे सहन नहीं होता था ...मेरे कुछ शिक्षक व् सहपाठी ऐसा कुत्सित प्रयास करते रहते थे इसीलिए मैंने सरनेम 'गांधी' हटाकर 'कुमार' जोड़ लिया अपने नाम के साथ ...पर बेटा मैं गलत था .तेरे दादा जी ने तेरे नाम के साथ ''गांधी' जुड़वाकर मुझे मेरी गलती का अहसास करवाया .तुम कभी मत हटाना ये सरनेम .जो तुम्हे माध्यम बनाकर महापुरुषों का अपमान करे उसे मुंह तोड़ जवाब देना ....यू मस्ट प्राउड ऑफ योर ग्रेट सरनेम !'' पिया के पापा ये कहकर चुप हुए ही थे कि कि उसकी माँ चुटकी लेते हुए बोली - '' पिया इनकी गलती की सजा आज तक मैं भुगत रही हूँ .ये सरनेम ''गांधी' न पलटते तो सब मुझे भी '' मिसेज गांधी '' पुकारते पर इन्होने तो ....अरे घडी देखो कितना टाइम हो गया ...पिया चलो भोजन कर लो और पापा के लिए भी परोस कर ले आओ ...मैं बाद में कर लूंगी पहले साड़ी में फॉल टॉक लूं ...तुम्हे अपने गुजरात की ये बात तो याद होगी ही ...वेलो उठे वीर , बल बुद्धि वड़े ,अने सुख्यु रहे अनु शरीर ....याद है कि नहीं !'' पिया मुस्कुराते हुए बोली '' माँ ये भी कोई भूलने की बात है क्या !'' ये कहकर पिया भोजन परोसने किचन की ओर चली गयी और उसकी माँ साड़ी लेने . अगले दिन कॉलेज में पहुँचते ही प्रार्थना स्थल पर टीना ने कई अन्य सहपाठिनियों से पिया का परिचय कराते हुए कहा -'' ये सोमिया है और ये गरिमा ...और ये है तन्वी ...मिस गांधी !'' टीना के पिया को ''मिस गांधी'' कहते ही तन्वी भड़ककर बोली -'' टीना ये क्या तूने मिस गांधी... मिस गांधी लगा रखा है ...तुझे पता भी है इन्ही गांधी के कारण देश के दो टुकड़े हुए ...माय फादर टोल्ड मी ...इन्ही गांधी जी की ज़िद पर मिस्टर नेहरू को भारत का प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया और देख लो कश्मीर सहित पूरे भारत का हाल ...तू क्या मिस गांधी कहकर इस लड़की के पास खड़ी हो गर्व का अनुभव कर रही है अरे इन गांधी लोगों ने ही ..इनके परनाना ,दादी ,पापा और भी न जाने किस किस ने जनता के भरोसे का खून किया है ...साठ वर्षों तक हमने इन्हें सत्ता का सुख प्रदान किया और इन लोगों ने देश को गरीबी ,बेरोजगारी , चोरी ,साम्प्रदायिकता ,बड़े बड़े घोटाले दिए ....आई हेट गांधी एंड हिस डायनेस्टी ...मिस गांधी !!! '' तन्वी की कड़वी बातें सुनकर पिया की आँखे भर आई .टीना तन्वी को डांटते हुए बोली -'' व्हाट नॉनसेंस ....क्या बकवास करे जा रही है तन्वी ...इस सब से पिया का क्या लेना देना ?'' तन्वी व्यंग्य में बोली -'' ओह ...सो इनोसेंट ...तू गांधी सरनेम के पीछे यु ही दीवानी हुई जा रही है ! अरे हम सब जानते हैं '' गांधी फैमिली '' को भारत में राजपरिवार का दर्ज़ा प्राप्त है इसी कारण इस सरनेम का क्रेज़ है और तुम जैसे क्रेज़ी लोग हैं यहाँ ...फिर आलोचनाओं पर आँसूं क्यों टपकाते हो और तुम्हारे महान गांधी की असलियत तो '' रियल सोल — महात्मा गांधी एंड हिज स्ट्रगल विथ इंडिया '' और 'दी रेड साड़ी ' में खोल कर रख दी हैं लखकों ने ...पढ़ी नहीं अब तक कितने चरित्र...'' तन्वी आगे बोलती इससे पहले ही पिया दहाड़ती हुई बोली -'' चुप हो जाओ तुम ...तुम इस लायक नहीं कि राष्ट्र पिता का नाम भी ले सको .अपना सर्वस्व लुटाकर देश को आजाद कराने वाले गांधी जी का नाम सम्मान से ले सकती हो तो लो वर्ना चुप रहो और रही 'गांधी फैमिली '' की बात तो उन्होंने '' गांधी'' सरनेम का मान देश ही नहीं दुनिया में भी बढ़ाया है .देश को बांटने वाले ,साम्प्रदायिकता की आग में झोंकने वालों के आगे उन्होंने कभी सिर नहीं झुकाया और अपने प्राणों की आहूति दे दी . तुम जिन पुस्तकों का जिक्र कर रही हो उन्हें पढ़ने से अच्छा है कि हम इन महान देशभक्तों के प्रेरक प्रसंगों को पढ़कर इनसे कुछ देश सेवा की प्रेरणा लें .मेरे दादा जी कहते थे कि हम उन्माद में गोली चलाने वाले 'गोडसे' तो रोज़ पैदा कर सकते हैं पर गांधी जी जैसा महापुरुष सदियों में एक ही पैदा होता है जो देश की खातिर अपने सीने पर गोली खाता है .नाओ टेल मी अंडरस्टैंड और नॉट मिस .???..'' तन्वी कुछ बोलना ही चाहती थी कि प्रार्थना स्थल पर शिक्षक गण आने लगे और प्रार्थना आरम्भ हो गयी .प्रार्थना के बाद तन्वी ने क्लास में पहुँचते ही पिया से कहा -'' आई एम् सॉरी मिस गांधी !'' इस पर पिया ने उसे गले से लगा लिया तभी टीना ने पीछे से आकर पिया के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा -हे मिस गांधी ..यू आर ग्रेट ..तुमने तो कमाल ही कर दिया ..तुम्हारा नाम तो इंदिरा होना चाहिए था .....आई मीन आइरन लेडी !!'' पिया मुस्कुराते हुए बोली -'' तुम्हारे पास भी '' गांधी '' सरनेम लगाने का एक मौका है तुम गांधी सरनेम वाले लड़के से विवाह कर लो .'' इस पर टीना शरमा गयी और तन्वी ''यू आर राइट पिया .'' कहती हुई हंस पड़ी . शिखा कौशिक 'नूतन
शालिनी कौशिक एडवोकेट

शालिनी कौशिक एडवोकेट

आम जनता के मन से जुडी कहानी .बहुत सुन्दर .आभार

26 फरवरी 2015

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औरत होने की कैसी सजा रे ?

25 जनवरी 2015
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धुँधला धुँधला है सारा जहां रे , औरत होने की कैसी सजा रे ? दिल के सब अरमां धूं -धूं कर जलते , घूँघट के भीतर कितना धुँआ रे ! .................................. कैसी ले किस्मत दुनिया में आती , खिलने से पहले ही ये है मुरझाती , ये तो हंसकर है सब कुछ सह जाती , अपने आंसू भी खुद ही पी जाती , इसको लगी किसकी

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कन्या-दान -कहानी

29 जनवरी 2015
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PUBLISHED IN ' NATIONAL DUNIYA '' NEWS PAPER ON 23 NOVEMBER 2014 ''नीहारिका का कन्यादान मैं और सीमा नहीं बल्कि तुम और सविता करोगे क्योंकि तुम दोनों को ही नैतिक रूप से ये अधिकार है .'' सागर के ये कहते ही समर ने उसकी ओर आश्चर्य से देखा और हड़बड़ाते हुए

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पाप-पुण्य की कसौटी -एक लघु कथा

16 फरवरी 2015
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पाप-पुण्य की कसौटी -एक लघु कथा प्रभात के घर आज गुरुदेव आने वाले थे .गुरुदेव का सम्मान प्रभात का पूरा परिवार करता है .गुरुदेव ने ज्यों ही उनके मुख्य द्वार पर अपने चरण कमल रखे तभी वहीँ पास में बैठा प्रभात का पालतू कुत्ता बुलेट उन पर जोर जोर से भौकने लगा .गुरुदेव के उज्जवल मस्तक पर क्षण

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''दलित देवो भव:'-कहानी

22 फरवरी 2015
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घर का सैप्टिक टैंक लबालब भर गया था .सारू का दिमाग बहुत परेशान था .कोई सफाईकर्मी नहीं मिल पा रहा था .सैप्टिक टैंक घर के भीतर ऐसी जगह पर था जहाँ से मशीन द्वारा उसकी सफाई संभव न थी .सारू को याद आया कि उसके दोस्त अजय की जानकारी में ऐसे सफाईकर्मी हैं जो सैप्टिक टैंक की सफाई का काम करते हैं .उसने अजय

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मेरी बहन बहन-तेरी बहन प्रेमिका !!!

24 फरवरी 2015
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मेरी बहन बहन ...तेरी बहन प्रेमिका !!! [google se sabhar ] लड़का लड़की ने मिलकर सोचा ''प्रेम ही सब कुछ है '' हम दोनों एक दूजे के बिना मर जायेंगे ! माता -पिता बहन-भाई ये सब क्या खाक साथ निभायेंगें ? वैसे भी हम अपनी भलाई जानते हैं इसीलिए मर्यादा ;नैतिकता; पारिवारिक निय

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''सरनेम गांधी ''

26 फरवरी 2015
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PUBLISHED IN JANVANI'S RAVIVANI -7DECEMBER2014 'पिया गांधी ...'' उपस्थिति दर्ज़ करती मैडम ने कक्षा में ज्यों ही पिया का नाम पुकारा ग्यारहवी की छात्रा पिया हल्का सा हाथ उठाकर ''यस मैडम '' कहते हुए अपनी कुर्सी से खड़ी हो गयी .सभी छात्राएं पिया की ओर द

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बेटी का हक़ -कहानी

14 मार्च 2015
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सेवानिवृत बैंक-अधिकारी आस्तिक ने तौलिये से गीला चेहरा पोंछते हुए अपनी धर्मपत्नी मंजू से कहा - 'हर दहेज़ -हत्या के जिम्मेदार ससुरालवालों से ज्यादा लड़की के मायके वाले होते हैं . तुम मेरी बात मानों या ना मानों पर सच यही है . कितनी ही विवाहित बेटियां मौत के मुंह में जाने से बच जाती यदि उनके मायके वाले

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ऐसी सुहागन से विधवा ही भली .'' -लघु- कथा

17 मार्च 2015
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ऐसी सुहागन से विधवा ही भली .'' -लघु- कथा google se sabhar पति के शव के पास बैठी ,मैली धोती के पल्लू से मुंह ढककर ,छाती पीटती ,गला फाड़कर चिल्लाती सुमन को बस्ती की अन्य महिलाएं ढाढस बंधा रही थी पल्लू के भीतर सुमन की आँखों से एक भी आंसू नहीं ब

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'' जो शहर के इश्क में दीवाने हो गए ''

20 मार्च 2015
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'' जो शहर के इश्क में दीवाने हो गए '' कस्बाई सुकून उनकी किस्मत में है कहाँ ! जो शहर के इश्क में दीवाने हो गए . ********************************************* कैसे बुज़ुर्ग दें उन औलादों को दुआ ! जो छोड़कर तन्हां बेगाने हो गए . ****************************************** दोस्ती में पड़ गयी गहरी बहु

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प्रिय की दृष्टि में प्रेयसी !

22 मार्च 2015
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पीत वसन में लगती हो तुम महारानी मधुमास की ! ओढ़ दुपट्टा रंग गुलाबी लगती कली गुलाब की ! वसन आसमानी कर धारण खिल जाता है गौर वदन ! लाल रंग के वस्त्रों में तुम दहकी लता पलाश की ! हरा रंग तो तुम पर जैसे नयी बहारें लाता है ! हरियाली पीली पड़ जाती रूप तुम्हारा देखकर ! श्वेत वसन में तुम्हें देखकर मुझको ऐ

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'दिल तो दिल है '

26 मार्च 2015
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भोला सा नाज़ुक सा दिल ये कितने सदमे झेलेगा , ग़म से भरकर फट जायेगा कितने सदमे झेलेगा ! ........................................................................... फूल से दिल पर दर्द के पत्थर कैसे वो बच पायेगा ? टुकड़े टुकड़े हो जायेगा जितने सदमे झेलेगा ! ......................................

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ख़राब लड़की -कहानी

28 मार्च 2015
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इक्कीस वर्षीय सांवली -सलोनी रेखा को उसी लड़के ने कानपुर बुलाकर क़त्ल कर दिया जिसने उससे शादी का वादा किया था . लड़के के प्रेम-जाल में फँसी रेखा न केवल क़त्ल की गयी बल्कि अपने शहर में बदनाम भी हो गयी कि वो एक ख़राब लड़की थी .कातिल लड़के के प्रति लोगों की बड़ी सहानुभूति थी कि 'रेखा ने पहले मर्यादाओं

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सबसे सुन्दर लड़का -लघु कथा

4 अप्रैल 2015
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वो खूबसूरत लड़की जब सड़क पर चलती थी तब अपने में ही खोई रहती . उसको खबर न होती कि कोई लड़का उसका पीछा कर रहा है . एक दिन एक संकरी गली में उस पीछा करने वाले लड़के ने आगे आकर उसका रास्ता रोक लिया .वो घबराई .उसकी नीली झील सी आँखों में आंसू भर आये .उसने हाथ जोड़कर कहा - ''मुझे जाने दो '' .यदि किसी ने म

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श्री राम ने क्यों लिया एक -पत्नी व्रत !

14 अप्रैल 2015
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श्री राम ने क्यों लिया एक पत्नी व्रत ?-एक विवेचन मर्यादा पुरुषोतम श्री राम का जीवन चरित युगों-युगों से सम्पूर्ण मानव-जाति के लिए अनुकरणीय रहा है .श्री राम के चरित का हर पक्ष उज्ज्वल है .एक पुत्र ,पति ,भ्राता और राजा को किन जीवन मूल्यों , आदर्शो , व् मर्यादाओं का पालन जीवन-पर्यंत करना चाहिए -व

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''कॉलेज जाना है या शादी ब्याह में !''

17 अप्रैल 2015
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''माँ मैं कौन सी पोशाक पहनूं ?'' चिया ने चहकते हुए माँ से पूछा तो माँ ने उदासीन भाव से कहा -'' कुछ भी जो शालीन हो वो पहन लो . चिया ने आर्टिफिशल ज्वेलरी दिखाते हुए माँ से पूछा -'' माँ ये माला का सैट कैसा लगेगा मुझ पर ? माँ ने उड़ती-उड़ती नज़र चिया की ज्वेलरी पर डाली और सुस्त से स्वर मे

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किसान रैली ने हिला दी मोदी सरकार

21 अप्रैल 2015
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Rahul Gandhi, Sonia Gandhi and Manmohan Singh at the kisan rally पिछले लोकसभा चुनाव [मई २०१४] में बीजेपी के हाथों भारी पराजय की चोट खाई कॉंग्रेस पार्टी १९ अप्रैल २०१५ को दिल्ली में हुई ''किसान -खेतिहर मजदूर रैली '' में पहली बार अपने पुराने रंग मे

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खोखली उदारवादिता -लघु कथा

24 अप्रैल 2015
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गौतम उदारतावादी स्वर में बोला -''लिव-इन कोई गलत व्यवस्था नहीं...आखिर कब तक वही पुराने..घिसे-पिटे सिस्टम पर समाज चलता रहेगा ..विवाह ....इससे भी क्या होता है ? गले में पट्टा डाल दिया बीवी के नाम का और मियां जी घूम रहे है इधर-उधर मुंह मारते हुए .'' सुरेश असहमति में सिर हिलाता हुआ बोला -''

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'मार झपट्टा मौत अभी खुली चुनौती आज है !'

27 अप्रैल 2015
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बेमौसम हुई बरसात ने किसानों की फसलों के साथ -साथ उनके अरमानों को तबाह कर डाला ;जिसके कारण रोज़ हमारे अन्न-दाता मौत को गले लगा रहें हैं और अचानक आये भूकम्प ने नेपाल सहित भारत के कई राज्यों में हज़ारों मासूमों की ज़िंदगी लील ली . तो क्या हम मौत के ऐसे तांडव के सामने घुटने टेक दें ? नहीं हमे मौत को ही

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''हो रही मोहब्बतें ख़ाक के सुपुर्द हैं ! ''

5 मई 2015
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पिछले शुकवार की रात [१ मई २०१५] को महाराष्ट्र से आ रहे जमातियों से बड़ौत रेलवे स्टेशन पर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा बदसलूकी और जमातियों के पक्ष में आये सम्प्रदाय विशेष के उग्र समर्थकों द्वारा थाने व् रेलवे स्टेशन पर किये गए हिंसक प्रदर्शन ने कांधला [शामली] कसबे के अमन-चैन को तहस-नहस कर डाला . कांध

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जीवन-यात्रा

7 मई 2015
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जीवन-यात्रा मशहूर उद्योगपति की पत्नी और दो किशोर पुत्रों की माँ हेम जब भी एकांत में बैठती तब उसकी आँखों के सामने विवाह के पूर्व की घटना का एक-एक दृश्य घूमने लगता .कॉलेज में उस दिन वो सरस से आखिरी बार मिली थी .उसने सरस से कहा था कि -'' चलो भाग चलते हैं वरना मेरे पिता जी मेरा विवाह कहीं और कर देंगे

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खुदा नहीं मगर ''माँ' खुदा से कम नहीं होती !

8 मई 2015
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''हमारी हर खता को मुस्कुराकर माफ़ कर देती ; खुदा नहीं मगर ''माँ' खुदा से कम नहीं होती ! ............................................................... ''हमारी आँख में आंसू कभी आने नहीं देती ; कि माँ की गोद से बढकर कोई जन्नत नहीं होती ! ........................................................

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नारी दुर्गा है ''चिकनी -चमेली '' नहीं !

10 मई 2015
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HUU LAA PAR THIRKE KADAM नारी दुर्गा है ''चिकनी -चमेली '' नहीं ! ''हू ला ला'' पर थिरके कदम ''शीला-मुन्नी'' पर निकले है दम नैतिकता का है ये पतन दूषित हो गया अंतर्मन ओ फनकारों करो कुछ शर्म शालीन नगमों का कर लो सृजन फिर से सजा दो लबो पर हर दम वन्देमातरम .....वन्देमातरम ! नारी का मान घटाओ नहीं प्राणी

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खट्टी -मीठी यादें !

13 मई 2015
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खट्टी -मीठी यादें ! टूटे फूटे वादे ,कभी ताने और फरियादें , इनसे ही बन जाती हैं खट्टी मीठी यादें . फूलों के जैसे हँसना ,आँखों से मोती झरना , मरते मरते जीना ,कभी जीते जीते मरना , ऐसे जुड़ते जाते किस्से ये सीधे सादे .

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''खुले हाकिम की मक्कारी ''

16 मई 2015
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खुले हाक़िम की मक्कारी गिरें साज़िश की दीवारें , हमारे मुल्क की किस्मत हमारे हाथ में होंगी ! ............................................. हमारे साथ गद्दारी नहीं अब और कर सकते , हिला देंगें तेरी सत्ता के इज़्ज़त खाक में होगी ! .............................................. हमें मजबूर कहकर आग सीने

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मोदी :राष्ट्रनायक नहीं खलनायक !

19 मई 2015
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जब तक केंद्रीय सत्ता में नहीं थे ये भारत में जन्म लेने पर शर्म आती थी इन्हें ! ............................................... सत्ता में आते ही चमत्कार कर डाला भारत को तीन सौ पैंसठ दिन में विश्व की महाशक्ति बना डाला ! ................................................. एक वर्ष में तीस से

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''माँ'

22 मई 2015
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कोई बला जब हम पर आई , माँ को खुद पर लेते देखा ! हुआ हादसा साथ हमारे , माँ को बहुत तड़पते देखा ! ...................................... हो तकलीफ हमें न कोई , साँझ-सवेरे खटते देखा ! कभी नहीं संकट के आगे , हमनें माँ को झुकते देखा ! ....................................... ऊपर-नीचे अंदर-ब

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विरोध -प्रदर्शन

24 मई 2015
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शहर में हुए छोटी बच्ची के साथ बलात्कार के विरोध-प्रदर्शन हेतु विपक्षी पार्टी ने पाँच-पाँच सौ रूपये में झोपड़-पट्टी में रहने वाले परिवारों की महिलाओं को छह घंटे के लिए किराये पर लिया था . विपक्ष के पार्टी कार्यालय से पार्टी द्वारा वितरित वस्त्र धारण कर व् हाथों में बैनर लेकर , दिए गए नार

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सरोजा -कहानी

25 मई 2015
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मैंने जब से होश संभाला था तब से अपने संयुक्त परिवार में बुआ को ऐसा पाया जैसे सारी चंचलता त्याग कर गंगा मैय्या शांत भाव से बही जा रही हो . बुआ न ज्यादा बोलती और न ही आस-पड़ोस वाली औरतों के तानों का पलट कर जवाब देती .माँ और चाची ही उनके तानों पर भड़क जाती थी और ये कहकर कि ''जिस पर पड़ती है उसका

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फिर से जन्म लेकर आऊंगा !

27 मई 2015
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हुए न लक्ष्य पूर्ण किन्तु मृत्यु द्वार आ गयी , देखकर मृत्यु को हाय ! ज़िंदगी घबरा गयी , हूँ नहीं विचलित मगर मैं , मृत्यु से टकराउँगा ! लक्ष्य पूरे करने फिर से जन्म लेकर आऊंगा ! ..................................... छोड़ दूंगा प्राण पर प्रण नहीं तोड़ूँगा मैं , अपनी लक्ष्य-प्राप्ति से मुंह नहीं म

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मैं नहीं लिखता कोई मुझसे लिखाता है !

2 जून 2015
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मैं नहीं लिखता ; कोई मुझसे लिखाता है ! कौन है जो भाव बन ; उर में समाता है ! .................................... कौंध जाती बुद्धि- नभ में विचार -श्रृंखला दामिनी , तब रची जाती है कोई रम्य-रचना कामिनी , प्रेरणा बन कर कोई ये सब कराता है ! मैं नहीं लिखता ; कोई मुझसे लिखता है ! ........................

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बदनाम रानियां -कहानी

6 जून 2015
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बगल में बस की सीट पर बैठी खूबसूरत युवती द्वारा मोबाइल पर की जा रही बातचीत से मैं इस नतीजे पर पहुँच चूका था कि ये ज़िस्म फ़रोशी का धंधा करती है .एक रात के पैसे वो ऐसे तय कर रही थी जैसे हम सेकेंड हैण्ड स्कूटर के लिए भाव लगा रहे हो .टाइट जींस व् डीप नेक की झीनी कुर्ती में उसके ज़िस्म का उभरा हुआ हर अंग

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सबसे सुन्दर प्रिया !

8 जून 2015
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गुलाबी फूल हरी बेल पर अत्याधिक आकर्षक ! ................................. ओस की बूँदें हरे पत्तों पर अत्याधिक मोहक ! ................................. जल की फुहार चमकती हुई धुप में अत्याधिक उज्ज्वल ! .................................. लेकिन सबसे सुन्दर तुम हो प्रिया गाम्भीर्य लिए चंचल ! शिखा कौशि

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बलात्कारी..पति ?-कहानी

11 जून 2015
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पंचायत अपना फैसला सुना चुकी थी .नीला के बापू -अम्मा , छोटे भाई-बहन बिरादरी के आगे घुटने टेककर पंचायत का निर्णय मानने को विवश हो चुके थे .निर्णय की जानकारी होते ही नीला ने उस बंद -दमघोंटू कोठरी की दीवार पर अपना सिर दे मारा था और फिर तड़प उठी थी उसके असहनीय दर्द से .चार दिन पहले तक उसका जीवन कितनी आ

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पितृ सत्ता के समक्ष लो राम गया हार !

17 जून 2015
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पितृ सत्ता के समक्ष लो राम गया हार ! भूतल में समाई सिया उर कर रहा धिक्कार देवी अहिल्या को लौटाया नारी का सम्मान अपनी सिया का साथ न दे पाया किन्तु राम है वज्र सम ह्रदय मेरा करता हूँ मैं स्वीकार ! पितृ सत्ता के समक्ष ........ वध किया अनाचारी का बालि हो या रावण नारी को म

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फहरती रहे फहरती रहे सनातन धर्म पताका !

19 जून 2015
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[youtube]http://www.youtube.com/watch?v=9rNvtLoP1zY[/youtube] फहरती रहे फहरती रहे सनातन धर्म पताका ! करती रहे करती रहे कल्याण मानवता का ! भगवा रंग पताका लगती हम सबको मनभावन , भक्ति रस उर में भर देती निर्मल है अति पावन , मध्य में अंकित ॐ का दर्

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समर -भूमि से वीर नहीं करते हैं कभी पलायन !

21 जून 2015
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घाव लगें जितनें भी तन पर कहलाते आभूषण , वीर का लक्ष्य करो शीघ्र ही शत्रु -दल का मर्दन , अडिग -अटल हो करते रहते युद्ध -धर्म का पालन , समर -भूमि से वीर नहीं करते हैं कभी पलायन ! ................................................................ युद्ध सदा लड़ते हैं योद्धा बुद्धि -बाहु बल से ,

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मानस के रचनाकार में भी पुरुष अहम् भारी

24 जून 2015
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सात कांड में रची तुलसी ने ' मानस ' ; आठवाँ लिखने का क्यों कर न सके साहस ? आठवे में लिखा जाता सिया का विद्रोह ; पर त्यागते कैसे श्री राम यश का मोह ? लिखते अगर तुलसी सिया का वनवास ; घटती राम-महिमा उनको था विश्वास . अग्नि परीक्षा और शुचिता प्रमाणन ; पूर्ण कहाँ इनके बिना होती

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वो लड़की.... रौद दी जाती है अस्मत जिसकी

27 जून 2015
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वो लड़की रौंद दी जाती है अस्मत जिसकी , करती है नफरत अपने ही वजूद से जिंदगी हो जाती है बदतर उसकी मौत से . वो लड़की रौद दी जाती है अस्मत जिसकी , घिन्न आती है उसे अपने ही जिस्म से , नहीं चाहती करना अपनों का सामना , वहशियत की शिकार बनकर लाचार घबरा जाती है हल्की सी आहट से .

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वैदेही सोच रही मन में

3 जुलाई 2015
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वैदेही सोच रही मन में यदि प्रभु यहाँ मेरे होते !! वैदेही सोच रही मन में यदि प्रभु यहाँ मेरे होते , लव-कुश की बाल -लीलाओं का आनंद प्रभु संग में लेते . जब प्रभु बुलाते लव -कुश को आओ पुत्रों समीप जरा , घुटने के बल चलकर जाते हर्षित हो जाता ह्रदय मेरा , फैलाकर बांहों का घेरा लव

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शुभकामनाओं की प्रबल आकांक्षा है !

10 जुलाई 2015
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मेरी लघु-कथाओं का प्रथम संग्रह अंजुमन प्रकाशन [इलाहाबाद ] से शीघ्र ही प्रकाशित हो रहा है .आप सभी की शुभकामनाओं की प्रबल आकांक्षा है ! https://www.facebook.com/anjumanpublication?pnref=lhc -डॉ. शिखा कौशिक 'नूतन'

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वो भरे हुंकार तो वसुधा भी थर-थर कांपती !

16 जुलाई 2015
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शोषणों की आग जब रक्त को उबालती , शंख लेकर हाथ में वो फूंक देता क्रांति , उसको साधारण समझना है भयानक भ्रान्ति , वो भरे हुंकार तो वसुधा भी थर-थर कांपती ! ........................................................................ हम सामान्य -जन समक्ष श्री राम का आदर्श है , एक वनवासी कुचलता लंकेश का मह

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मानस के रचनाकार में भी पुरुष अहम् भारी

24 जून 2015
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सात कांड में रची तुलसी ने ' मानस ' ; आठवाँ लिखने का क्यों कर न सके साहस ? आठवे में लिखा जाता सिया का विद्रोह ; पर त्यागते कैसे श्री राम यश का मोह ? लिखते अगर तुलसी सिया का वनवास ; घटती राम-महिमा उनको था विश्वास . अग्नि परीक्षा और शुचिता प्रमाणन ; पूर्ण कहाँ इनके बिना होती

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मैं ऐसे मित्र नहीं चाहता !

27 मार्च 2016
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देख दुःखों में डूबा मुझको ;जिनके उर आनंद मनें ,किन्तु मेरे रह समीप ;मेरे जो हमदर्द बनें ,ढोंग मित्रता का किंचिंत ऐसा न मुझको भाता !मैं ऐसे मित्र नहीं चाहता ! सुन्दर -मँहगे उपहारों से ;भर दें जो झोली मेरी ,,पर संकट के क्षण में जो ;आने में करते देरी ,तुम्हीं बताओ कैसे रखूँ उनसे मैं नेह का नाता !मैं ऐस

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