27 जून 2015
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हमारे हाथ में है जो कलम वो सच ही लिखेगी , कलम के कातिलों से इस तरह करी बगावत है !D
दिल को छू लेने वाली सशक्त रचना !
28 दिसम्बर 2015
सार्थक रचना दिल को छू गयी .. बधाई
24 दिसम्बर 2015
सार्थकता के धरातल पर आपका लेखन अत्यंत सराहनीय है ! तलवार से ज़्यादा ताक़तवर होती है क़लम...और इसी सत्यता पर हमें आगे बढ़ते जाना है। क़लम चल पड़ी है जिस बुराई के विरुद्ध, तो फिर उसे टिकने नहीं दिया है...रचना हेतु आभार !
6 जुलाई 2015
निःशब्द कर देती हैं कुछ बातें...कितने ही अनसुलझे प्रश्नों के भंवर में डूबने लगते हैं हम...पर क़लम की भी सीमायें हैं ...एक अहम मुद्दे पर उत्कृष्ट रचना !
6 जुलाई 2015
dhnyvad manjeet ji
29 जून 2015
आपकी रचना तमाचा है ऐसे ढोंगी लोगों के मुह पर जो किसी लड़की या स्त्री को हीं नज़रो से देखते हैं ... शाबाश शिखा जी ....
29 जून 2015
hardik dhnyvaad -ajay ji v aradhna ji .
28 जून 2015
शिखा जी आपकी रचना सदैव कोई न कोई चित्र छोड़ जाती है अच्छी रचना बधाई हो
27 जून 2015