27 मई 2015
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हमारे हाथ में है जो कलम वो सच ही लिखेगी , कलम के कातिलों से इस तरह करी बगावत है !D
सब अधूरे कर्म पूरे कर रहा जो अंश है ,उस परम -सत्ता का ये तेजधारी वंश है...लेखन की सुंदरता, उत्कृष्टता एवं जीवन-दर्शन परिलक्षित करती कविता अति सुन्दर है....बधाई!
10 जून 2015
बिल्कुल ठीक डॉ. शिखा कौशिक महोदया लक्ष्य अगर अच्छे हों तो हासिल करने के लिए चाहे बार-बार जन्म लेना पड़े तो लेना चाहिए
27 मई 2015