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गाय के आंसू

नवलपाल प्रभाकर दिनकर

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गाय के आंसू गाय एक पवित्र जीव है । जिसके बारे में आज भी हमारे बुजुर्ग मिशाल देते हुए कहते हैं वाह, बिल्कुल गऊ के समान सीधा लड़का है । पुराणों में गाय को सभी इच्छाएं पूर्ण करने वाली कामधेनू बताया गया है । जिस गाय का दान सम्पूर्ण फल देने वाली कहा गया है । हर घर में एक गाय जरूर मिलती थी । आए दिन पहले गाय की पूजा की जाती और फिर दूध दूह कर बाकि दूध जो थनो में बचता उसे बछडे़ को पिलाया जाता । इस संसार की यही दिनचर्या थी । राजा दिलीप ने तो पुत्र प्राप्ति के लिए गाय की 21 दिनों तक निराहर सेवा की थी और गाय की बदौलत उसे पुत्र की प्राप्ति हुई । वह शक्तिशाली और प्रतापी था । स्वयं भगवान ने श्रीकृष्ण का अवतार धारण कर गौ सेवा की। पुराणों में, ग्रन्थों, में सैकडों उदाहरण मिलते हैं । जिनमें गायों के लिए स्वयं तक प्राण तक न्यौछावर कर दिए । गौ सेवा सबसे बड़ी सेवा बताई गई है । आधुनिक युग के बदलते परिवेश में आज भैसों ने गाय का स्थान ले लिया है । जहां गाय को पवित्र।जीव माना जाता था वहीं इसे दुत्कारा जाता है। गाय जब तक दूध देती है । तब तक तो उसे घर के खूंटे पर रखा जाता है, उसके बाद में उसे खूंटे से खोल दिया जाता है । यदि किसी जमींदार के खेत में घुस जाए तो गाय की वैसे ही खैर नही और कहीं पर घास नही । गाय बेचारी मुसीबत में । जाए तो कहां जाए । इंसान पेट भरने के लिए चोरी करता है । खून करता है, अन्य बुरे काम करता है, मगर गाय तो केवल पृथ्वी पर पड़े मां के आंचल में तृप्ति भाव से अपने गम को भुलाने के लिए ही तो जाती है । मां के आंचल में उसे जगह भी नही मिल पाती है । मगर तभी कोई जमींदार मोटा लठ लिए आ धमकता है और उसे जोर-जोर से लगता है पीटने। वहां से किसी तरह से पिट-कूटकर निकलती है और गांव की तरफ बढ़ती है सोचती है, चल तेरा मालिक तो तुझे शरण देगा ही । इसलिए पहुंचती है उसके घर, मगर वहां भी उसे दुत्कारा ही जाता है । वहां पर भी बिना लठ के उससे बातें नही की जाती । वहां से निकाल दी जाती है फिर गाय पास की खौर में भैसों का झूठा-झाठा न्यार (चारा) खाती है तो पड़ोसी भी उसकी लठ से चोखी धुलाई करते हैं । इस प्रकार से गाय कोई जगह सुरक्षित न देख कर गलियों में घुमने लगती है । नालियों का गंदा पानी पीती है और किसी भले आदमी के घर से मिली हुई एक रोटी खाकर शाम तक का जीवन यापन करती है । शाम को किसी घर के आगे जाकर रात गुजारती है । सुबह अपने घर के आगे गाय को देखकर व उसके गोबर को देखकर उस घर का मालिक या उसके बाल-बच्चे बड़ा क्रोध करके गुस्से से लाल हो निकाल लाते हैं मोटा-सा लठ, और दे दमादम, दे दमादम । लगते हैं गाय को पीटने । वहां से गाय को भगा देते हैं और उसके गोबर को कस्सीयों से उठाकर मुंह पर कपड़ा लपेटे हुए बाहर गिरा आते हैं । लहु-लुहान हुई गाय पहुंची हैं बेचारी भगवान श्री कृष्ण, शिव आदि के मंदिरों के आगे और लगती है आंसू बहाने । वहां पर भी उसकी फरियाद कोई नही सुनता । मंदिर से निकलता पुजारी गाय को लहु-लुहान देख कर सोचता है कि यह मरखनी गाय है और राधे-राधे करता हुआ अन्दर जाकर निकाल लाता है जैली और दो-तीन तो मौका देख कर फटकार ही देता है, जिस प्रकार से कहा भी गया है कि मंदिर में जैली का क्या काम तो आज सभी कुछ विपरीत हो गया है । सभी कुछ चलता है । जब भगवान के मंदिर के आगे एक ब्राह्मण ने गाय को जैली से पीटा, और भगवान आंख बंद किए अन्दर बैठा रहा । कैसी विडम्बना है ये, गाय की फरियाद कोई नही सुनता । जिस हरियाणा में दूध-दही का खाना था आज वह खाना किधर गया । पहले गाय हुआ करती थी तब हरियाणा में दूध की नदियां बहा करती थी । आज भैंसों के होने पर जो कि 15-20 किलो दूध देती हैं तब भी दूध इतना महंगा है कि आम आदमी खरीद नही पाता । कहां बनेंगे पहलवान । आज के युवा साथी, जो बिल्कुल दुबले-पतले रह गये हैं । जिनमें बोझ उठाने की क्षमता तक नही रही । जिनका सांस फूलने लगता है । बचपन में ही अनेक रोगों के शिकार हो गये हैं जो । यदि फिर से हष्ट-पुष्ट होना है शक्तिशाली होना है तो गाय पालो । गाय की सेवा करो, फिर देखो हमारा हरियाणा फिर से कैसे खुशहाल होता है । गाय को रूलाओ मत, गाय को हंसाओ फिर से गाय हमें माफ कर देगी क्योंकि मां का हृदय तो मोम की तरह होता है यदि गाय रोएगी तो हमारा हरियाणा गरीबी की तरफ अग्रसर होगा ओर डाकू-लूटेरे पैदा होंगे जो अपने ही मां-बाप आदि को रूलाएंगे । गाय के जितने भी आंसू गिरेंगे । जहां समझो वहां उतनी प्राकृतिक आपदाएं आएंगी । गाय के आंसू पोंछ उसके चरणों में गिरकर बार-बार क्षमा-याचना करो और उसकी सेवा करो । -:-०-:-  

gay ke aansu

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