नई दिल्लीः अभूतपूर्व। सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ एक मसले की सुनवाई पर अलग-अलग फैसला कर बैठी। फैसले के लेकर जजों के एकमत न होने पर अब तीन सदस्यीय पीठ बहुमत से मसले का हल निकालेगी। यह मसला मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले में एमबीबीएस छात्रों के भविष्य से जुड़ा है। जिसमें छात्रों की डिग्री पर फैसला होना है। यानी इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट बनाम सुप्रीम कोर्ट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। यानी दो जजों की पीठ के फैसले की समीक्षा कर अब तीन सदस्यीय पीठ अंतिम रूप से मसले का हल निकालेगी।
एमबीबीएस डिग्री वैध व अवैध का है मामला
दरअसल मध्य प्रदेश में 2013 में व्यापमं घोटाले का खुलासा हुआ। मेडिकल और इंजीनियरिंग की सीटों पर राजनीति क रसूख रखने वाले गिरोह की ओर से मोटे दाम पर दाखिला कराने की बात आई। यही नहीं मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल(व्यापमं) के जरिए विभिन्न महकमों में एक हजार से ज्यादा सरकारी नौकरियां रेवड़ियों की तरह बांटने का मामला सामने आया। राज्यपाल रामनरेश से लेकर सीएम शिवराज चौहान तक की भूूमिका पर सवाल उठने शुरू हुए। सीबीआई जांच भी शुरू हुई। केस से जुड़े करीब 42 लोगों की एक-एक कर संदिग्ध मौत से यह घोटाला देश का सबसे डरावना घोटाला हो गया। इसमें पांच सौ से अधिक मेडिकल छात्रों का सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट को उनकी डिग्री की वैधता पर फैसला लेना है।
पैसे के दम पर अपात्रों को एमबीबीएस में दाखिले की हुई पुष्टि
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय कमेटी में शामिल जस्टिस चेलमेश्वर व जस्टिस सप्रे को इस बात के कई प्रमाण सुनवाई के दौरान मिल चुके हैं। जिससे पता चलता है कि व्यापमं परीक्षा की गड़बड़ियों का लाभ उठाकर मेडिकल की तमाम सीटों पर अपात्र छात्रों को दाखिला मिला।
एक जज ने कहा-चेरिटी हेल्थ सर्विस देने पर डिग्री जारी हो
दो जजों की पीठ ने जब एमबीबीएस छात्रों की डिग्री पर सुनवाई की तो जस्टिस चेलमेश्वर का मत रहा कि संबंधित छात्रों को कुछ निश्चित समय के लिए चेरिटेबल हेल्थकेयर एजेंसीज से जुड़कर काम करने का मौका दिया जाए, सफलापूर्वक सेवा करने पर डिग्री वैध मानते हुए जारी कर दी जाए। यानी जस्टिस चेलमेश्वर ने डिग्री मसले पर एमबीबीएस छात्रों को राहत देने का फैसला किया।
दूसरे जस्टिस डिग्री निरस्त करने पर अड़े
वहीं दूसरी तरफ जस्टिस सप्रे का मत रहा कि संबंधित छात्रों ने गलत तरीके से एमबीबीएस सीट पर प्रवेश लिया है। इस नाते डिग्री को कैंसिल करना जरूरी है। दो सदस्यीय पीठ के अलग-अलग फैसले के कारण कोई नतीजा नहीं निकल सका।
अब तीन सदस्यीय पीठ के बहुमत से होगा फैसला
व्यापमं के जरिए एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों की डिग्री का भविष्य अब जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी तय करेगी। जस्टिस खेहर अगले साल देश के मुख्य न्यायधीश भी बनने वाले हैं। इस प्रकार इस तीन सदस्यीय कमेटी के बहुमत से जारी होने वाले फैसले पर अब सभी की निगाहें हैं।