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'घूंघट में कौन'-भाग 3

20 अप्रैल 2022

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थोडा़ बातचीत करने के बाद जब उसने दुल्हन का घूंघट हटाया तो हक्का बक्का रह गया। उसने पूछा "तुम कौन हो?और जिससे मेरा विवाह हुआ वो कहां है?ये सब क्या है?"। उसने आज से पहले मूछों वाली दुल्हन न देखी थी। घूंघट के अंदर एक लड़का था,उसका हम उम्र । उसने हाथ जोड़ कर कहा "मैं आपको सब बताता हूं ,आशा है आप मुझे समझेंगे । मेरा नाम अथर्व है और मैं जिससे आपका विवाह तय हुआ था,आस्था ,उसका जुड़वा भाई हूं। मेरी बहन विवाह के दिन ही पता नहीं कहां चली गयी । मुझे उसे लेकर ब्यूटीपार्लर जाना था गाडी़ से जिसमें उसकी दो खास सहेलियां भी जाने वाली थीं। मैं आस्था के कमरे मे गया ये कहने कि चलो ब्यूटीपार्लर, पर वहां जाने पर देखा कि वह कमरे में थी ही नहीं। वहां उसकी दो सहेलियां (वही जो साथ में जाने वाली थीं )थीं। मैंने पूछा कि आस्था कहां है?तो वह बोलीं कि अथर्व, आस्था किसी और से प्यार करती थी ,पर उसका विवाह तय हो गया तो वह बहुत परेशान थी। आज वह अभी कुछ देर पहले यहां से उसके पास चली गयी है। उसने तुम्हें ये खत देने को कहा। मैं खत पढ़ने लगा जिससे पता चला कि वो उस लड़के से विवाह करने को घर से बिना बताये जा रही है। उसने मुझसे परिस्थिति संभालने को कहा था। घर में मां पापा तो यही जानते हैं कि आस्था अपने ससुराल गयी है पर मैं अपने मां पापा की इज्जत बदनाम कैसे होने देता?मुझे कुछ न सूझा तो मैंने अपना मेकअप किया और दुल्हन का जोडा़ पहन लिया। जल्दबाजी में मूछ बनाना भूल गया। उसकी सहेलियों को मैंने अपना साथ देने को कहा था तभी उन्होने घूंघट न खोलने वाली बात सामने रखी। किस्मत अच्छी थी कि न यहां न वहां के किसी व्यक्ति ने विरोध किया । मैं जानता हूं कि आपके साथ धोखा हुआ है पर मेरे मां बाप की इज्जत आपके हाथों मे है। अगर उन्हें पता चला कि उनकी लड़की विवाह के दिन भाग गयी तो उनकी क्या इज्जत रह जायेगी? ये बात फिर फैलते देर न लगेगी"। इतना कह वो रोआसा हो गया। "अरे तुम भावुक मत हो,मैं तो वैसे भी विवाह न करना चाहता था क्योंकि मैं लड़कों में दिलचस्पी रखता हूं"। ये कह वो मुस्कुरा दिया। "क्या!मतलब आप भी मेरी तरह...."। "नहीं ,नहीं मैं वो न हूं जो तुम समझ रहे हो,मुझे बस केवल लड़को में दिलचस्पी है,और आप भी मेरी तरह का क्या मतलब है?क्या तुम...?" सुमीत ने पूछा । "हां मैं हूं"। अथर्व बोला। "अच्छा पहले तो तुम मुझे आप कहना छोडो़ ,मैं तुम्हारी उम्र का हूं ,और दूसरी बात, रखता हूं,जानता हूं न कहो,कोई सुन लेगा,जब दुल्हन बनकर आये हो तो दुल्हन की तरह रखती हूं,जानती हूं ,ऐसे बोलो"। सुमीत ने कहा । "पर अब ये तो बताओ कि ये घूंघट तो सुबह सबके सामने खुलेगा ही तो सब को पता चल जायेगा यहां ,उसका क्या करें?"सुमीत ने आशंका जाहिर की। 
अथर्व बोला "उसकी चिंता तुम छोड़ दो ,मैंने अपने कालेज के दिनों में बहुत नकल की है हिरोइनों की आवाज की तो मैं लड़कियों की आवाज निकाल लेता हूं,दूसरी बात मेरा चेहरा ,देख रहे हो न मेरी बहन आस्था का जुड़वा होने के कारण कुछ कुछ लड़कियों जैसा दिखता है न"। हां ये तो है, सुमीत बोला। 
दोनों बातें करते रहे। 
इधर सदानंद शिवाय ने गौर किया कि पूरे विवाह में उसे अथर्व नज़र न आया। उसने अपनी पत्नी को आवाज लगाई। वह आई तो सदानंद शिवाय बोले "सुनो!पूरे विवाह में मुझे अथर्व न दिखाई दिया,कहां चला गया वो,तुम्हें कुछ पता है?"। वह बोली "मुझे भी कहीं न दिख रहा ,फोन करके पूछती हूं,। 
सुमीत और अथर्व एक दूसरे से वार्तालाप कर रहे थे तभी फोन की घंटी बजी। "इतने समय कौन होगा?"। सुमीत ने पूछा। जरूर मां पापा इतनी देर से मुझे न देख फोन मिलाये होंगे ,अथर्व कहते हुये फोन उठाता है। 
हेलो ।
हेलो ,अथर्व कहां हो तुम? तुम्हारे पापा और मुझे तुम पूरे विवाह मे न दिखे,।
मां ,मैं सुमीत के घर मे हूं। 
पर तुम अपने जीजा जी के घर में इस समय क्या कर रहे हो?अथर्व की मां ने सवाल किया । 
वो बात ये है कि आस्था किसी और से विवाह करना चाहती थी । वो यह विवाह न करना चाहती थी तो ऐन समय पर वह जिससे विवाह करना चाहती थी ,उसके पास चली गयी। मैं आपकी इज्जत मिट्टी मे कैसे मिलने देता ?मुझे कुछ न सूझा तो मैं दुल्हन के कपडे़ पहन कर जयमाल के लिये आ गया,और पूरा विवाह होकर अब विदा होकर सुमीत के साथ उसके कमरे में हूं। 
क्या? 
उसकी मां की आवाज जैसे थरथरा गयी। अगले ही क्षण उन्होने पूछा "पर वहां जब सबको सच पता चलेगा तो क्या होगा?वो हमपर धोखाधडी़ का केस कर अंदर करवा देंगे"। वह घबराई आवाज में बोली। 
"मां आप चिंता न करें,सुमीत बहुत सुलझा हुआ है,हम दोनों सब संभाल लेंगे ,आप बस पापा को संभालियेगा और इस बात का ध्यान रखियेगा कि ये बात फैले न ।सबको यही पता है कि सुमीत के साथ विदा होकर आस्था आई है"। ये सुनकर उसकी मां ने फोन रख दिया। 
सुमीत और अथर्व रात भर बातें करते रहे। 

भोर हो चुकी थी। सुजाता नहा धोकर पूजा कर रही थी। सरोज शेखावत नहाने की तैयारी कर रहे थे। सुमीत उठ कर आया तो सुजाता ने पूछा "बहू उठ गयी?। वह बोला "हां मां वह नहा रही है अपने बाथरूम में ,अभी अभी घर छूटा है तो बहुत उदास थी तो मैं सोच रहा हूं अभी थोडी़ देर में उसे घुमा लाऊं,हम दोनों शाम तक आ जायेंगे अगर आपको आपत्ति न हो "। वह सकुचाता हुआ बोला तो सुजाता मुस्करा दी और बोली ये भी कोई पूछने की बात है?अब तुम दोनों की मस्ती के दिन हैं,खूब घुमो फिरो खुश रहो। उसने कह तो दिया था मगर उसे खुद न पता था कि जाना कहां ,क्योंकि रात में अथर्व ने उससे कहा था कि तुम आज्ञा ले लेना तो मैं तुम्हें एक जगह ले जाऊंगा जहां मैं अकसर जाता हूं। 
अथर्व ने आते ही सुजाता और सरोज शेखावत के चरण स्पर्श किये। उन्होने आशीर्वाद देते हुये कहा कि आओ साथ में नाश्ता करते हैं। अथर्व ने इतना अच्छा मेकअप किया था कि बिलकुल लड़की लग रहा था। लगता भी क्यों न ?उसने जाने कितने नाटकों  में स्कूल मे लड़की का किरदार निभाया था। 

दोनों नाश्ता कर निकल लिये थे।अथर्व को बहू के कपडो़ मे ही घर से आना पडा़ था। "लेकिन हम जा कहां रहे हैं?"सुमीत ने पूछा। "तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं क्या?
ऐसी बात नहीं ,कहकर वह उसके साथ चलता रहा। 
दोनों अपने गंतव्य पर आ गये थे। "ये कहां ले आये हो मुझे?"सुमीत ने एक हवेली देख कर पूछा और जैसे ही हवेली के अंदर पहुंचा  हाआआ आआ ,उसकी चीख निकल गयी.........शेष अगले भाग में।

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'घूंघट में कौन'-भाग 1

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सरोज शेखावत आज बहुत खुश नज़र आ रहे थे ,होते भी क्यों नहीं आज उनके बेटे सुमीत शेखावत का विवाह जो था। मेहमानों से घर खचाखच भरा हुआ था। एक हजार आदमियों को निमंत्रण बांटा गया था जिसमें कई सारे प्रतिष्ठित

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'घूंघट में कौन'-भाग 2

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सदानंद शिवाय की पत्नी घर से बाहर किसी से कुछ कहने अपनी साडी़ संभालते निकली ही थीं कि एक आदमी हांफता,भागता आया और बोला कि" माता जी वो मैं रसगुल्ले के भगौने टैंपों में रख धर्मशाले के लिये ले जा रहा था&n

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'घूंघट में कौन'-भाग 3

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'घूंघट में कौन'-भाग4

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सुमीत जैसे ही हवेली के अंदर पहुंचा ,हाआआआ ,उसकी चीख निकल गयी और वह फौरन बाहर आकर बाहर एक टीले पर बैठ गया और बोला "येएएए अंदर कककककौन ?किसकी किसकी छाआआया थी?"। हाआआ ,वह हांफता भयभीत सा बोला। उसने अंदर

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'घूंघट में कौन'-भाग5

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अथर्व दरवाजा खोलने गया।दरवाजा खोला तो सामने सरोज शेखावत और सुजाता थे। दोनों अथर्व को देखकर सन्न रह गये । उनके सामने जींस और टीशर्ट पहने मांग में सिंदूर,माथे पर बिंदी लगाये एक युवक खडा़ था उसके सुमीत क

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'घूंघट में कौन'-भाग 6

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अंदर एक संत उन्हें वहां ले गयीं जहां सबकी गुरु संत माता बैठी थीं और वहां बहुत से छोटे बच्चे बच्चियां सांध्य प्रार्थना कर रहे थे--- "हे ईश्वर हमें ज्ञान दे, स्वप्न पंखों को उडा़न दे, हमें मिलें,हम बांट

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'घूंघट में कौन'-भाग 7

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शायद उनकी समस्या का समाधान उनकी वहीं प्रतीक्षा कर रहा था जहां से वह आये थे। सरोज शेखावत अपने परिवार सहित आश्रम से वापसी कर चुके थे। सब कार से वापस आ रहे थे। सुमीत खिड़की से बाहर का नजारा देख रहा

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'घूंघट में कौन'-भाग 8

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अथर्व जब घर के लिये जा रहा था तो उसे लगा कि कोई है पीछे ,पलट कर देखा तो विश्नोई अंकल थे ।कितने सालों बाद आज उसने विश्नोई अंकल को देखा पर इस हालत में!वह जैसे सुन्न गुन्न से मानसिक विक्षिप्त लग रह

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'घूंघट में कौन'-भाग9

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तभी अथर्व की नज़र वहां खाना खाते एक दंपत्ति पर पडी़ और उसकी आंखें फटी की फटी रह गयीं ।वह आस्था से बोला " आस्था ,देखो शर्मिष्ठा आंटी"। आस्था नज़रें नीची करे खाना खाते हुये बोली "पागल हो गये हो क्या?,शर

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'घूंघट में कौन'-भाग 10 अंतिम भाग

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जैसे ही उसने घूंघट उठाया ,मुंह से चीख निकली हहहाआआ । "हा हा हा हा हा "करते हुये अथर्व बेड के पीछे से निकल कर बाहर आया और कमरे की लाइट जला दी। सुमीत ने देखा कि आस्था के चेहरे पर डरावना मुखौटा लगा हुआ थ

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