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'घूंघट में कौन'-भाग4

20 अप्रैल 2022

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सुमीत जैसे ही हवेली के अंदर पहुंचा ,हाआआआ ,उसकी चीख निकल गयी और वह फौरन बाहर आकर बाहर एक टीले पर बैठ गया और बोला "येएएए अंदर कककककौन ?किसकी किसकी छाआआया थी?"। हाआआ ,वह हांफता भयभीत सा बोला। उसने अंदर एक छाया देखी थी डरावनी सी ,जो गा रही थी---
"मुझे प्यार तुमसे,
तुम्हें मदिरा से,
साथ निभे तो 
निभे कैसेएएए,?
साथ निभे तो 
निभे कैसेएएए?"।
अथर्व उसके कंधे पर हाथ रख बोला "ये मेरी बुआ की आत्मा है जो दिखती और गाना गाया करती है। मेरी बुआ का विवाह एक शराबखोर आदमी से हो गया था। पहले पता ही न चल पाया था कि जिससे बुआ का विवाह करने जा रहे वो और उसके पिता शराब के नशे में डूबे रहते हैं और बाप ,बेटे जाम लडा़या करते हैं। विवाह के बाद सच सामने आया। मेरी बुआ तो लहसुन,प्याज तक न खाती थीं तो शराब कैसे बरदाश्त करतीं? उनके अपने विवाह को लेकर देखे गये सारे सपने चकनाचूर हो गये थे। उन्होनें फूफा जी को बहुत समझाया था कि शराब छोड़कर अच्छा जीवन जियें पर निराशा हाथ लगने पर उन्होने एक रात आत्महत्या कर ली । और उसके बाद एक दिन शराब के नशे में बाप और बेटे के बीच कहासुनी हो गयी और दोनों ने एक दूसरे की जान ले ली। बुआ की आत्मा तब से इस हवेली मे भटकती है,और गाना गाया करती है"।" पर तुम्हारे घर वालों ने उनकी आत्मा के मोक्ष के लिये कोई पूजा पाठ न करवाया?"। सुमीत ने पूछा। "पापा इन सब बातों मे विश्वास न करते और मां ,पापा की आज्ञा के बिना कोई कदम न उठाती हैं । उन्हें भी कहीं न कहीं लगता है कि ये भूत ,वूत न होते। एक बार मैं उन्हें यहां लाया था , वह भयभीत तो हो गयी थीं पर स्वीकार न कर पा रही थीं कि ये उनकी ननद की ही आत्मा है,शायद स्वीकार करना ही न चाहती थीं"। अथर्व ने कहा। "इस  शराब के दानव ने कितने घर उजाड़ दिये और उजाड़ रहा है ,इस पर तो पूरी तरह बैन लग जाना चाहिये"। सुमीत बोला। "पूरी तरह बैन क्यों लगेगा? आबकारी विभाग को इससे बहुत आमदनी होती है न "। अथर्व ने कहा। "तो!आबकारी विभाग को जो आमदनी होती है उसके आगे ,जो घर बरबाद होते हैं,औरतों के सपने टूटते हैं,उनपर जो हिंसा होती है, उनकी कोई कीमत नहीं? कितनी औरतों के खून के आंसुओं में डूबकर वो रुपये आते होंगे ,वो ये न सोचते"। सुमीत ने कहा। "क्या किया जा सकता है?, मेरी मां ने बुआ की मौत के बाद से शराब उन्मूलन के क्षेत्र मे काम करना प्रारंभ कर दिया है। वो लोगों को शराब से होने वाली हानियों के बारे मे बताकर उन्हें शराब न पीने को प्रेरित करती हैं। अनेक गांव उनसे प्रेरित होकर शराब मुक्त गांव हो गये हैं ,जिसकी वजह से मेरी मां कई बार पुरस्कृत हो चुकी हैं"अथर्व ने बताया तो सुमीत को अच्छा लगा कि कोई तो है जो सही दिशा दे रहा लोगों को।
वो दोनों बातें करते करते घूमते घामते शाम तक घर आ गये थे। 
समय बीतता जा रहा था। अथर्व कई बार सुमीत से कह चुका था कि हमें घर वालों को सच बता देना चाहिये। उन्हें अंधेरे मे रखना ठीक नहीं ,पर सुमीत कल पर टाल देता और बात आई ,गई हो जाती। 
उधर आस्था विवाह कर अपने पति विवान के साथ अपनी ससुराल में रह रही थी पर विवान उसे बहुत मारता ,पीटता। वह कहती तुमने तो मुझसे प्यार किया था ,मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती थी तभी तो घर से भाग कर तुमसे विवाह किया पर तुम मुझे प्रताडित करते हो। तो वह कहता कि अरे जो अपने मां बाप की न हो सकी वो मेरी क्या होगी?वह रोती कि मैंने अपने सारे फर्ज निभाये, पूरी तरह समर्पित रही मगर तुमने मेरे भावों को समझा ही नहीं। वह कहता कि ज्यादा तकलीफ हो तो निकल जाओ मेरे घर से ,मुझे तुम्हारी कोई जरूरत नहीं। अब वो पछता रही थी कि उसने अपने घर वालों से धोखा किया ,उसी का फल मिल रहा है। हम बच्चे अपने मां ,बाप पर इतना  विश्वास न करते कि  उन्हें अपनी बात बता सकें ,उनके साथ छल करते हैं,मां,पिता कभी बच्चों का अहित न करते ,हम उनकी बात न मान कर बाद में पछताते हैं,जैसे मैं पछता रही हूं। उनके तय किये रिश्ते में बंध गयी होती तो आज सुखी तो होती। 
वो जब अकेली होती तो झूले पर बैठी दुखी मन से गुनगुनाती --
"न समझ सके भावों की भाषा,
न दिखा मेरा सत्य समर्पण ,
सात फेरों के साथ जुडा़ जो,
न दिखा ,निभाया जो शिद्दत से बंधन।
न चाहा कभी समझना तुमने,
मेरी पीडा़,मेरे आंसू,
घुटघुट मरता जो अंतर्मन। 
काश समझते कि पति और पत्नी,
एक दूजे के पूरक हैं,
साथ चलने को सफर पर,
तुझे मेरी,मुझे तेरी जरूरत है"।

रागिनी आश्रम में रह रही थी। वहां वह महिला  संतों की सेवा करती ,और पूरा दिन आश्रम के कामों में बिता देती। उसने अथर्व से सच्चा प्रेम किया था ,तब उसे पता न था कि अथर्व लड़की से विवाह कर ही न सकता ,वो तो लड़को में रुचि रखता है। वह अथर्व को देखती,उससे बात करने का प्रयास करती तो वह उसे अनदेखा कर देता था। एक दिन जब उसने अपने प्यार का इज़हार किया तो हारकर अथर्व को अपना सच उसे बताना पडा़ ।रागिनी ने फिर भी उसी के साथ जीवन बिताने को कहा पर अथर्व ने मना कर दिया कि वह किसी लड़की का जीवन न खराब करना चाहता है। वह कई सालों से रागिनी से तब से मिला भी न था तो रागिनी ने उसके प्यार मे अविवाहित रहने का फैसला लेकर आश्रम मे रहने का मन बना लिया था। पर उसे गाहे बगाहे अथर्व याद अवश्य आ जाता था। उसके मन मे अथर्व के प्यार का दिया अनवरत जल रहा था ।
इधर अथर्व और सुमीत घर में अकेले रह रहे थे क्योंकि सरोज शेखावत और सुजाता महीने भर के लिये बाहर गये थे। 
एक दिन जब सुमीत और अथर्व बातें कर रहे थे तभी घंटी बजी। अथर्व दरवाजा खोलने गया । दरवाजा खोला तो सामने सरोज शेखावत और सुजाता थे। दोनों अथर्व को देखकर सन्न रह गये........शेष अगले भाग में।
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'घूंघट में कौन'-भाग 1

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सरोज शेखावत आज बहुत खुश नज़र आ रहे थे ,होते भी क्यों नहीं आज उनके बेटे सुमीत शेखावत का विवाह जो था। मेहमानों से घर खचाखच भरा हुआ था। एक हजार आदमियों को निमंत्रण बांटा गया था जिसमें कई सारे प्रतिष्ठित

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'घूंघट में कौन'-भाग 2

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सदानंद शिवाय की पत्नी घर से बाहर किसी से कुछ कहने अपनी साडी़ संभालते निकली ही थीं कि एक आदमी हांफता,भागता आया और बोला कि" माता जी वो मैं रसगुल्ले के भगौने टैंपों में रख धर्मशाले के लिये ले जा रहा था&n

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'घूंघट में कौन'-भाग 3

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थोडा़ बातचीत करने के बाद जब उसने दुल्हन का घूंघट हटाया तो हक्का बक्का रह गया। उसने पूछा "तुम कौन हो?और जिससे मेरा विवाह हुआ वो कहां है?ये सब क्या है?"। उसने आज से पहले मूछों वाली दुल्हन न देखी थी। घूं

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अथर्व दरवाजा खोलने गया।दरवाजा खोला तो सामने सरोज शेखावत और सुजाता थे। दोनों अथर्व को देखकर सन्न रह गये । उनके सामने जींस और टीशर्ट पहने मांग में सिंदूर,माथे पर बिंदी लगाये एक युवक खडा़ था उसके सुमीत क

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'घूंघट में कौन'-भाग 6

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अंदर एक संत उन्हें वहां ले गयीं जहां सबकी गुरु संत माता बैठी थीं और वहां बहुत से छोटे बच्चे बच्चियां सांध्य प्रार्थना कर रहे थे--- "हे ईश्वर हमें ज्ञान दे, स्वप्न पंखों को उडा़न दे, हमें मिलें,हम बांट

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'घूंघट में कौन'-भाग 7

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शायद उनकी समस्या का समाधान उनकी वहीं प्रतीक्षा कर रहा था जहां से वह आये थे। सरोज शेखावत अपने परिवार सहित आश्रम से वापसी कर चुके थे। सब कार से वापस आ रहे थे। सुमीत खिड़की से बाहर का नजारा देख रहा

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'घूंघट में कौन'-भाग 8

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अथर्व जब घर के लिये जा रहा था तो उसे लगा कि कोई है पीछे ,पलट कर देखा तो विश्नोई अंकल थे ।कितने सालों बाद आज उसने विश्नोई अंकल को देखा पर इस हालत में!वह जैसे सुन्न गुन्न से मानसिक विक्षिप्त लग रह

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'घूंघट में कौन'-भाग9

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तभी अथर्व की नज़र वहां खाना खाते एक दंपत्ति पर पडी़ और उसकी आंखें फटी की फटी रह गयीं ।वह आस्था से बोला " आस्था ,देखो शर्मिष्ठा आंटी"। आस्था नज़रें नीची करे खाना खाते हुये बोली "पागल हो गये हो क्या?,शर

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'घूंघट में कौन'-भाग 10 अंतिम भाग

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जैसे ही उसने घूंघट उठाया ,मुंह से चीख निकली हहहाआआ । "हा हा हा हा हा "करते हुये अथर्व बेड के पीछे से निकल कर बाहर आया और कमरे की लाइट जला दी। सुमीत ने देखा कि आस्था के चेहरे पर डरावना मुखौटा लगा हुआ थ

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