तभी अथर्व की नज़र वहां खाना खाते एक दंपत्ति पर पडी़ और उसकी आंखें फटी की फटी रह गयीं ।वह आस्था से बोला " आस्था ,देखो शर्मिष्ठा आंटी"। आस्था नज़रें नीची करे खाना खाते हुये बोली "पागल हो गये हो क्या?,शर्मिष्ठा आंटी को मरे कितने साल हो गये"।अथर्व ने उसकी ठुड्ढी़ ऊपर करते हुये कहा "वो देख वहां ,उस टेबिल पर "। आस्था ने उधर देखा तो उसके मुंह से निकला भभभभु भु भु ..अथर्व ने कहा "भूत नहीं वो शर्मिष्ठा आंटी ही हैं"। "शर्मिष्ठा आंटी जिंदा हैं "आस्था के मुंह से निकला तो अथर्व ने कहा "शशशश् ,धीरे बोलो ,वो सुन लेंगी,उन्होने हमें न देखा है अभी ,और मुझे भी विश्वास न हो रहा कि ये जिंदा हैं,चलो यहां से बाहर चलते हैं,इसके पहले कि वह हमें देख लें"अथर्व ने कहा और सब बाहर आ गये। सुमीत ने पूछा "ये शर्मिष्ठा आंटी कौन हैं?"।"बाद में बताता हूं" अथर्व ने कहा,तब तक वो बाहर आये और चले गये।"इसका मतलब ,शर्मिष्ठा आंटी ने अपनी मौत की झूठी खबर फैलाई ,सिर्फ इसलिये कि वह अनपढ़ विश्नोई अंकल से छुटकारा पा सकें?"आस्था ने आश्चर्य व्यक्त किया।अथर्व "अभी आता हूं "कहकर अंदर गया और रेस्ट्रां के मैनेजर से पूछा "वो उस टेबिल पर जो दंपत्ति खाना खा कर अभी गये वो कौन हैं क्या आप बता सकते हैं?"। मैनेजर बोला "आप उन्हें न जानते,शायद गोवा में नये हैं,वो यहां के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डाॅ. देशराज थे और साथ में उनकी प्रोफेसर पत्नी शर्मिष्ठा मुखर्जी थीं"। शर्मिष्ठा मुखर्जी !हमम उसने कुछ सोचते हुये कहा कि" जी मुझे उनसे बहुत जरूरी काम था ,मैं उनसे पढाई के संबंध मे कुछ पूछना चाहता हूं ,क्या आप उनका पता मुझे दे सकते हैं?" ।"हां क्यों नहीं,ये लीजिये "। अथर्व ने पता लिया और बाहर आ गया। आस्था उसे देखते बोली" क्या हुआ ?अंदर क्यों गये थे?"।अथर्व ने कहा "पता करने गया था कि वो यहां कौन सा मुखौटा लगाये रह रही हैं ,और तुम्हें पता है वो मनोचिकित्सक से विवाह कर स्वयं भी प्रोफेसर बनकर यहां ठाठ काट रही हैं,इनके ठाठ तो मैं निकालूंगा"। "तुम करने का क्या वाले हो?"आस्था ने उत्सुकता जताई।
चलो पहले यहां से वापस चलते हैं। अथर्व ने कहा और रास्ते में सुमीत को पूरी बात बता दी।
सुबह के दस बज रहे थे।सुमीत और आस्था दोनों देर रात तक जगे होने के कारण अभी भी सो रहे थे। अथर्व भी दोनों के साथ जगा था पर फिर भी उठकर ,नहा धोकर तैयार हुआ और सुमीत और आस्था को सोता छोड़कर
मैनेजर के बताये पते पर मनोचिकित्सक डाॅ. देशराज की कोठी पर पहुंच गया। उसको पहुंचते पहुंचते आधा घंटा लगभग लग गया था। घंटी बजाई तो दरवाजा किसी नौकर ने खोला "जी ,कहिये"। "जी मुझे शर्मिष्ठा मैम से मिलना है"अथर्व बोला। "आप कौन" उसने पूछा तो वह बोला कि "मैं एक विद्यार्थी हूं और उनसे कुछ मदद चाहता हूं "। उसने अथर्व को अंदर बैठाया। अथर्व ने चुपके से जेब में लगे कैमरे को आन कर लिया। थोडी़ देर में शर्मिष्ठा आईं तो अथर्व को देखकर सकपका गयीं पर अथर्व ने ऐसा जाहिर किया कि जैसे वह उसे पहचान न पाया। वह उठा और हाथ जोड़ते हुये बोला "नमस्ते मैंम ,मेरा नाम अथर्व है ,आपके निर्देशन में राजनीति विज्ञान विषय में पी.एच.डी.करना चाहता हूं ,क्या आप करवा देंगी?आपकी महती कृपा होगी"। शर्मिष्ठा ने जैसे चैन की सांस ली कि ये मुझे पहचान न पाया ,और बोलीं "अभी नहीं आप एक दो महीने बाद आइयेगा ,अभी मैं बहुत व्यस्त हूं"। अथर्व वहां से चला आया।
होटल पहुंचा तो सुमीत ने पूछा" कहां चले गये थे?"। "शर्मिष्ठा आंटी की कोठी पर ,सबूत लाने ताकि घर जाकर मां,पापा को दिखा सकूं"और उसने सुमीत और आस्था को वीडियो रिकार्डिंग दिखाई जिसमें शर्मिष्ठा उसे देखते ही सकपका गयी थीं जिससे साफ जाहिर हो रहा था कि वह वही हैं।
अगली सुबह दोनों वापस घर आ गये। सुमीत आस्था को लेकर अपने घर चला गया और अथर्व ने अपने घर जा कर सबको सारी बात बताई। सदानंद शिवाय और उनकी पत्नी हैरान रह गये ये सब सुनकर। अथर्व बोला मां मैं चुप नहीं बैठूंगा। विश्नोई अंकल के साथ उन्होने जो किया उसकी सजा उन्हें दिलवाकर रहूंगा। सदानंद शिवाय भी उसकी बात से सपत्नीक राजी हुये। अथर्व विश्नोई अंकल को खोजने में लग गया।दिन बीतने लगे।
जल्दी ही उसे वह एक बाजार में मिल गये । उसने उनका भी वीडियो बनाया और घर आकर सदानंद शिवाय और अपनी मां को दिखाकर बोला "मुझे विश्नोई अंकल के घर की चाभी दो मां"। उनसे चाभी लेकर वह उनके घर जाकर उनके सामान से उनकी शादी के एलबम ,वीडियो इत्यादि एकत्रित करके सदानंद शिवाय ,सुमीत ,आस्था को लेकर पुलिस स्टेशन गया और वहां विश्नोई अंकल का वीडियो और शर्मिष्ठा के वीडियो की क्लिप की एक कापी उन्हें देकर रिपोर्ट दर्ज कराई कि उन्होने अपने मरने की झूठी खबर फैलाई जबकि वह दूसरी शादी कर ,बिना विश्नोई अंकल को तलाक दिये गोवा में रह रही हैं। पुलिस ने अपनी कार्यवाही की और शर्मिष्ठा को उनकी धोखाधडी़ के लिये गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया।
सुजाता ने सुमीत और आस्था की मंदिर में शादी करवा दी और रात होने पर दुल्हन सुमीत के कमरे में पहुंचा दी गयी। फिर एक बार वही नजा़रा था। कमरे में लाइट की जगह मोमबत्तियां जलकर अपनी छटा बिखेर रही थीं। दुल्हन घूंघट में बैठी थी ,जिसे देखकर सुमीत को पहली बार घूंघट उठाने वाली घटना याद आ गयी। वह बिस्तर पर जा कर बैठा और जैसे ही घूंघट उठाया तो मुंह से चीख निकल गयी हाआआआआ ।
अब घूंघट में कौन😯😯जानने के लिये प्रतीक्षा करिये अगले और अंतिम भाग की।