हादसों से तुम अगर घबराओगे
एक दिन खुद हादसा बन जाओगे
जानते हो पत्थरों का शहर है ये
किस गली से आईने ले जाओगे
देख लेना तुम अगर मुन्शिफ बने
सच यही है, सच कह नहीं पाओगे
बांटते फिरते हो अपनापन मगर
अपनी तनहाई कहाँ ले जाओगे
अब भी प्यार करना सीख लो राज
एक दिन वरना बहुत पछताओगे
अपनी मंजिल खुद ही तलाशा कीजिये
वरना काफिले की भीड़ में खो जाओगे !!