किसी शाम कभी आँचल का किनारा देना
मैं अगर डूब के उभरुं तो सहारा देना
तेरी उल्फत में मुक्कमल हूँ हर पहलु से
मुझे दर्द भी देना तो सारा देना
मैं तेरे गम के समंदर में किनारा दूंगा
तू मुझे हिज्र के तूफ़ान में सितारा देना
मैं तेरी याद के सेहरा में कहीं रहता हूँ
कभी आना तो हल्का सा इशारा देना !!!