लखनऊः यूपी में पेट्रोल पंपों पर चिप लगाकर घटतौली करने के खुलासे के बाद भी कार्रवाई न होने पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब-तलब किया है। पूछा है कि अब तक जांच और कार्रवाई की क्या प्रगति रिपोर्ट रही। हाईकोर्ट ने यह सवाल एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए किया है। याचिका में कहा गया था कि योगी सरकार उचित कार्रवाई नहीं करके मामले को ठंडे बस्ते में डाल रही है। हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अशोक निगम व अन्य की ओर से यह याचिका दायर की गई थी।
क्या कहना है याची का
याची का कहना था कि प्रदेश सरकार ग्राहकों से ठगी करने वाले पेट्रोल पंपों पर समुचित कार्रवाई नहीं कर रही है। उन्होंने प्रार्थना की थी कि ग्राहकों को पांच से 10 प्रतिशत तक कम पेट्रोल देने वाले पेट्रोल पंपों के लाइसेंस रद्द किए जाएं। वहीं, जो पेट्रोल पंप संचालक घटतौली के बाद भी हड़ताल की धमकियां दे रहे हैं उन पर एस्मा लगाया जाए।इस केस में केंद्र व राज्य सरकार, बाट माप और खाद्य एवं रसद विभाग, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और भारत पेट्रोलियम को पार्टी बनाया गया था।
याची ने कोर्ट में ये रखी थीं मांगें
याची का कहना था कि अब तक जो एफआईआर दर्ज हुई हैं, उनके तहत कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। याची का यह भी आग्रह है कि ग्राहकों को कम पेट्रोल बेच कर पंप संचालकों ने भारी मात्रा में अतिरिक्त आय हासिल की है। अत: आयकर विभाग इसकी जांच करके नियमानुसार कार्रवाई करे। साथ ही भविष्य में ऐसी धांधली रोकने के लिए शिकायतों की निरंतर जांच की जाए।एक्शन का अभी क्या स्टेटस है यह भी बताए सरकार मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस वीरेंद्र कुमार (द्वितीय) ने सभी संबंधित पक्षों को एक हफ्ते में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। उन्हें बताना होगा कि घपले में शामिल पाए गए पेट्रोल पंपों पर क्या कार्रवाई की गई है? जो पेट्रोल पंप कंप्यूटराइज्ड चिप का उपयोग करके कम सप्लाई कर रहे थे, उन पर क्या आपराधिक कार्रवाई शुरू की गई है? अभी उसका स्टेटस क्या है? प्रदेश सरकार विशेष रूप से अपने जवाबी हलफनामे में यह जानकारी दे। अगली सुनवाई 22 मई को रखी गई है।