- जरा कल्पना करें कि एक सुबह उठने पर आपको पता चलता है कि अब आपको उन दवाओं की आवश्यकता नहीं रही, जो आप आज तक लेते आ रहे थे और आप बिल्कुल वैसे ही स्वस्थ हैं, जितने पिछले कुछ साल पहले थे.......
- यह जानने के लिए पढ़ें
‘हार्ट माफिया’
हार्ट माफिया में पाएं चौंका देने वाले तथ्य जैसे हो सकता है कि आप रोग से नहीं, बल्कि उसकी चिकित्सा के कारण मारे जाएं।
बाईपास सर्जरी तथा एंजियोप्लास्टी रोगियों के लिए नहीं बल्कि मुनाफे के लिए बने हैं।
- जानें कि कहीं आपके कार्डियोलॉजिस्ट ‘ऑक्यूलोस्टेनोटिक रिफ्रलैक्स सिंड्रोम’ से ग्रस्त तो नहीं हैं?
- अपनी इन्वेस्टिगेटिव किताबों के लिए मशहूर डॉ. बिस्वरूप चौधरी ने अपनी नई किताब 'हार्ट माफिया' में खुलासा किया है कि किस तरह देशभर में हार्ट सर्जरी और दिल के इलाज के नाम पर डॉक्टर गोरखधंधा चला रहे हैं।
- उन्होंने अपनी किताब में बताया है कि देश भर में कई डॉक्टर लोगों में जानकारी का अभाव का फायदा उठाकर उनसे लाखों रुपये ऐंठ रहे हैं।
- डॉ. चौधरी ने बताया, 'देश भर में हार्ट माफियाओं का गिरोह काम कर रहा है। अगर आपसे कोई डॉक्टर ये कहता है कि आपको एंजियोप्लास्टी या बायपास सर्जरी करवानी चाहिए तो आपको उसकी बात को तुरंत सच नहीं मान लेना चाहिए। नेचुरल बायपास से भी आपकी तकलीफ दूर हो सकती है।'
- डॉ. चौधरी ने अपनी किताब में प्राइमरी रिसर्च तो की ही है, साथ ही डब्ल्यू एच ओ जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के द्वारा जुटाए गए आंकड़े भी दिए हैं।
- डॉ. चौधरी के अनुसार इसके पीछे एक पूरा सिस्टम काम करता है। डॉक्टरों में होड़ लगी हुई है सबसे ज्यादा ऑपरेशन करने की। एक एंजियोप्लास्टी की कीमत करीब दो लाख रुपये होती है और एक बायपास सर्जरी में करीब चार लाख रुपये का खर्च आता है। इसमें दवा कंपनियों से भी मोटा मुनाफा कमाया जाता है।
- इस तरह, एक ऑपरेशन में कई लोगों के फायदे शामिल होते हैं। इसमें डॉक्टरों को इस बात की फिक्र नहीं होती कि पेशेंट को हार्ट सर्जरी या बायपास की जरूरत है भी या नहीं। मोटी रकम के चक्कर में ये खेल रचा जाता है।
- उनका कहना है कि एक सर्जरी के 18 महीने बाद दोबारा ये नौबत आ जाती है कि एंजियोप्लास्टी या बायपास सर्जरी करानी पड़े। इस तरह डॉक्टर्स लूट का लाइफटाइम इन्वेस्टमेंट कर लेते हैं।
- डॉ. बिस्वरूप चौधरी पेशे से डॉक्टर नहीं हैं, पर उन्होंने मेडिसिन की दुनिया से जुड़ी किताबों के जरिए अपनी एक खास पहचान बनाई है। याददाश्त पर लिखी उनकी पहली किताब बेस्टसेलर रही है। उसके बाद, उन्होंने अस्पताल से जिंदा कैसे लौटें नाम की किताब लिखकर सनसनी मचा दी।
अब वह कैंसर माफियाओं पर किताब लिख रहे हैं।