नई दिल्लीः
यूपी में भ्रष्टाचार इसलिए बढ़ता गया क्योंकि बदली हुई सरकारों ने एक दूसरे पर आरोप तो खूब उछाले पर सत्ता पाने पर जांच नही कराई. कभी सीएम की कुर्सी पर बैठी मायावती ने मुलायम को बख्श दिया तो बदले में मुलायम ने बहनजी को जेल जाने से रोका . इसका नतीजा ये हुआ कि यूपी में भ्रष्टाचार संस्थागत हो गया. अफसर, मंत्री, विधायक और पत्रकार सब ने योजनाओं को लूटा , ठेकों की बंदरबाट की और ट्रांसफर पोस्टिंग से पैसे कमाए.
एक ज़माने बाद यूपी को अब जाकर कोई योगी मिला है. ना पत्नी है, ना संतान और ना कोई परिवार. और सत्ता के इस सर्वगुण पर सुहागा ये कि योगी 18 घंटे काम करने की अद्भुत क्षमता रखते है. उनका दामन भगवा भले ही हो पर बेदाग़ है. वो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहली बार ज़रूर बैठें हैं पर 5 बार के सक्रिय सांसद रहे है. यानी यूपी को साफ़ नियत और नीति से आगे ले जाने की अपार संभावना है योगी में.
लेकिन योगी जी मुझे आपसे शिकायत है. स्वार्थवश कोई शिकायत नही पर जनहित में ज़रूर है. इसलिए आपको टोकूंगा ज़रूर. आपको रोकूंगा ज़रूर. आपका सम्मान बरक़रार है पर आज कुछ बुरा लगा तो कहने के अधिकार से मत रोकिये. मैं किसी का निंदक नही, यूपी का शुभचिंतक हूँ. मैं जो कहूंगा वो आपके इर्द गिर्द अखिलेश के अफसर नही कह पाएंगे. आपके मातहत मंत्री भी कुर्सी के भय से चुप रहेंगे. इसलिए मुझे ही बुरा बनने दीजिये. मुझे ही कहने दीजिये.
योगीजी आज जिस तरह आप मुलायम के बेटे प्रतीक यादव और उनकी बहु अपर्णा के साथ लखनऊ के कान्हा उपवन गए वो दृश्य मेरी ही नही हज़ारों आँखों में दिनभर खटकता रहा. योगीजी, भले ही प्रतीक यादव ने गोसेवा के बहाने आपको आमंत्रित किया लेकिन सच ये है कि इसी यादव परिवार ने प्रदेश में सैकड़ों अवैध स्लॉटर हाउस खुलवाए. पूरे राज्य भर में जो हाथ, बूचड़खाने खुलवाने के खून से पांच साल तक रँगे रहे वो ही हाथ अगर गोसेवा के नाम पर लखनऊ में एक उपवन स्थापित करदे तो उनका पाप कम नही हो जाता है. ये वही प्रतीक यादव हैं जो गायत्री प्रजापति के सबसे नज़दीकी रहे. जिन्होंने खनन के नाम पर यूपी की हर गंगा हर यमुना को लूटा. ये वही प्रतीक यादव हैं जो संजय सेठ जैसे अरबपति बिल्डर के साझेदार रहे और नॉएडा से लेकर लखनऊ तक सबसे महंगी ज़मीनो पर काबिज़ हुए. ये वही प्रतीक यादव हैं जिन्होंने 5 करोड़ रूपए की लंबोर्गिनी कार से चुनाव प्रचार किया था और जिनकी अकूत दौलत अब केंद्रीय एजेंसियों के राडार पर हैं.
योगीजी, विरोधी दल से हाथ मिलाना राजनीति में अछूत नही माना जाता है. प्रतीक यादव और अपर्णा से भेंट करना गलत नही है लेकिन उनके एजेंडे में फंसना बीजेपी की शुचिता पर सवाल उठाता है. आप सीएम के तौर पर बीते कुछ दिनों में इन दोनों से दो बार मिले हैं. पहले अपने निवास पर और आज उनके साथ उन्ही के उपवन में. योगीजी, बार बार की इन मुलाकातों से राज्य में गलत सन्देश जा रहा है. लोग दबी जबान में कह रहे हैं कि यादव परिवार आज गायत्री प्रजापति और संजय सेठ की अरबों की काली कमाई के साझेदार रहे हैं और जांच से बचने के लिए अब योगी की चापलूसी कर रहे हैं.
योगीजी आपकी सत्यनिष्ठा पर हमे भरोसा है. आपकी सादगी के हम कायल हैं. ये जानकर हम सबको अच्छा लगता है कि आप बिना ऐ सी, बिना किसी ऐशोआराम के रहते हैं. लेकिन फिर भी इतना ज़रूर कहना पड़ रहा है कि आज प्रतीक यादव के साथ आपकी उपवन यात्रा ने बहुतों को कष्ट दिया है. योगीजी, सपा के भ्रष्ट नेता और अफसरों से बचिए. काली कमाई के साझेदारों से बचिए. जिन लोगों ने यूपी को लूटा है वो आपके मुजरिम है मेहमान नही. जिस प्रदेश को आपने अंत्योदय का वचन दिया है वहां भ्रष्ट राजनीती की संतानो की मेजबानी से बचिए. योगीजी जनता ने आपको सर आँखों पर बैठाया है. आप पर भरोसा किया है. इस भरोसे पर खरोंच मत लगने दीजिये ..दूर रहिये ...ये रावण हैं इन्होंने हिरन की जगह आपको फुसलाने के लिए गाय का सहारा लिया है. इन्हें पहचानिये. ये आपकी निष्ठा हर लेंगे. इनकी खरोंच से बचिए ...योगीजी एक बार इनकी खरोंच लगी नही कि आपकी पारदर्शिता हमेशा के लिए धुंधला जाएगी.
याद रखिये आप योगी है.
और ये दुष्ट भोगी हैं.
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥