25 सितम्बर 1939 को बंगलुरु में जन्मे हिंदी सिनेमा के लोकप्रिय अभिनेताओं में शुमार है नाम बेहद स्टाइलिश फ़िरोज़ खान का | अफ़गानी मूल के फ़िरोज ने 1960 की फिल्म दीदी में सेकंड लीड एक्टर के तौर पर बॉलीवुड में पदार्पण किया| हालाँकि
1965 की फिल्म ऊँचे लोग की कामयाबी ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित किया| इसके बाद एक सपेरा एक लुटेरा और आरज़ू फ़िल्मों से उनका नाम आम जनता में जाना पहचाना हो गया| इस क्रम में 1969 की फिल्म आदमी और इंसान के लिए फ़िरोज़ खान ने जीता फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवार्ड| बाद में फ़िल्मों खोटे सिक्के, गीता मेरा नाम, प्यासी शाम,
शंकर शंभू और सफ़र में भी उन्हें कामयाबी मिली और सराहना मिली| गौरतलब है कि अपने सगे भाई एक्टर संजय खान के
साथ भी फ़िरोज़ खान नज़र आये 1967 की फिल्म उपासना, 1971 की फिल्म मेला और 1976 की फिल्म नागिन में |
फ़िरोज़ खान एक सफल निर्माता एवं निर्देशक के रूप में भी 1975 की फिल्म धर्मात्मा, 1980 की फिल्म
कुर्बानी जो उनके करीअर की सबसे बड़ी हिट फिल्म मानी जाती है, 1986 की फिल्म जाबाज़, 1988 की फिल्म दयावान, 1992 की फिल्म यलगार में भी बेहद सराहे गए| बाद में उन्होंने अपने बेटे फरदीन खान को 1998 में प्रेम अगन नामक फिल्म में लांच किया| एक बार फिर उन्होंने फरदीन को 1993 में
जान्शीन और 2005 में एक खिलाड़ी एक हसीना फ़िल्मों में पेश किया| फ़िरोज़ खान की बतौर अभिनेता
अंतिम फिल्म थी 2007 की कॉमेडी फिल्म वेल्कम जो बेहद हिट हुई| 2001 में उन्हें फिल्मफेयर के
लाइफटाइम अचीवमेँट अवार्ड से सम्मानित किया गया| 27 अप्रैल 2009 को 69 की उम्र में फ़िरोज़ खान का बंगलुरु में इंतकाल हो गया | लेकिन अपनी विशेष स्टाइल, संवाद अदायगी और बेजोड़ अभिनय के कारण फ़िरोज़ खान अपने चाहने
वालों के दिलों में सदा बसे रहेंगे | आज उनकी पुण्यतिथि पर हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि !!!