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महान संत एवं विचारक रामकृष्ण परमहंस (जयंती पर विशेष)

18 फरवरी 2016

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भारत के एक महान संत एवं विचारक रामकृष्ण परमहंस ने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया। उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं अतः ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया। वास्तव में स्वामी रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे। साधना के फलस्वरूप वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि संसार के सभी धर्म सच्चे हैं और उनमें कोई भिन्नता नहीं। वे ईश्वर तक पहुँचने के भिन्न-भिन्न साधन मात्र हैं। मानवीय मूल्यों के पोषक संत रामकृष्ण परमहंस का जन्म १८ फ़रवरी १८३६ को बंगाल प्रांत स्थित कामारपुकुर ग्राम में हुआ था। इनके बचपन का नाम गदाधर चट्टोपाध्याय था। जबकि इनके पिताजी का नाम खुदिराम और माताजी का नाम चन्द्रमणीदेवी था। उनके भक्तो के अनुसार रामकृष्ण के माता-पिता को उनके जन्म से पहले ही अलौकिक घटनाओ और दृश्यों का अनुभव हुआ था। गया में उनके पिता खुदीराम ने एक स्वप्न देखा था जिसमे उन्होंने देखा की भगवान गदाधर ( विष्णु के अवतार ) ने उन्हें कहा की वे उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे। उनकी माता चंद्रमणि देवी को भी ऐसा एक अनुभव हुआ था उन्होंने शिव मंदिर में अपने गर्भ में रोशनी प्रवेश करते हुए देखा। परमहंस जी की बालसुलभ सरलता और मंत्रमुग्ध मुस्कान से हर कोई सम्मोहित हो जाता था। सात वर्ष की अल्पायु में ही गदाधर के सिर से पिता का साया उठ गया। ऐसी विपरीत परिस्थिति में पूरे परिवार का भरण-पोषण कठिन होता चला गया। आर्थिक कठिनाइयां आईं। पर बालक गदाधर का साहस कम नहीं हुआ। इनके बडे भाई रामकुमार चट्टोपाध्याय कलकत्ता (कोलकाता) में एक पाठशाला के संचालक थे। वे गदाधर को अपने साथ कोलकाता ले गए। रामकृष्ण का अन्तर्मन अत्यंत निश्छल, सहज और विनयशील था। संकीर्णताओं से वह बहुत दूर थे। अपने कार्यो में लगे रहते थे। सतत प्रयासों के बाद भी रामकृष्ण का मन अध्ययन-अध्यापन में नहीं लग पाया। १८५५ में रामकृष्ण परमहंस के बड़े भाई रामकुमार चट्टोपाध्याय को दक्षिणेश्वर काली मंदिर ( जो रानी रशमोनी द्वारा बनवाया गया था ) के मुख्य पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया था। रामकृष्ण और उनके भांजे ह्रदय रामकुमार की सहायता करते थे । रामकृष्ण को देवी प्रतिमा को सजाने का दायित्व दिया गया था। १८५६ में रामकुमार के मृत्यु के पश्चात रामकृष्ण को काली मंदिर में पुरोहित के तौर पर नियुक्त किया गया। रामकुमार की मृत्यु के बाद श्री रामकृष्ण ज़्यादा ध्यान मग्न रहने लगे। वे काली माता के मूर्ति को अपनी माता और ब्रम्हांड की माता के रूप में देखने लगे।


कहा जाता है कि श्री रामकृष्ण को काली माता के दर्शन ब्रम्हांड की माता के रूप में हुआ था। रामकृष्ण इसकी वर्णना करते हुए कहते हैं " घर,द्वार,मंदिर और सब कुछ अदृश्य हो गया, जैसे कही कुछ भी नहीं था! और मैंने एक अनंत तीर विहीन अलोक का सागर देखा, यह चेतना का सागर था। जिस दिशा में भी मैंने दूर दूर तक जहा भी देखा बस उज्जवल लहरें दिखाई दे रही थी, जो एक के बाद एक,मेरी तरफ आ रही थी।“


समय जैसे-जैसे व्यतीत होता गया, उनके कठोर आध्यात्मिक अभ्यासों और सिद्धियों के समाचार तेजी से फैलने लगे और दक्षिणेश्वर का मंदिर उद्यान शीघ्र ही भक्तों एवं भ्रमणशील संन्यासियों का प्रिय आश्रयस्थान हो गया। कुछ बड़े-बड़े विद्वान एवं प्रसिद्ध वैष्णव और तांत्रिक साधक जैसे- पं॰ नारायण शास्त्री, पं॰ पद्मलोचन तारकालकार, वैष्णवचरण और गौरीकांत तारकभूषण आदि उनसे आध्यात्मिक प्रेरणा प्राप्त करते रहे। वह शीघ्र ही तत्कालीनन सुविख्यात विचारकों के घनिष्ठ संपर्क में आए जो बंगाल में विचारों का नेतृत्व कर रहे थे। इनमें केशवचंद्र सेन, विजयकृष्ण गोस्वामी, ईश्वरचंद्र विद्यासागर के नाम लिए जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त साधारण भक्तों का एक दूसरा वर्ग था जिसके सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति रामचंद्र दत्त, गिरीशचंद्र घोष, बलराम बोस, महेंद्रनाथ गुप्त (मास्टर महाशय) और दुर्गाचरण नाग थे| स्वामी विवेकानन्द जी इनके परम शिष्य थे।

रामकृष्ण परमहंस जीवन के अंतिम दिनों में समाधि की स्थिति में रहने लगे। अत: तन से शिथिल होने लगे। शिष्यों द्वारा स्वास्थ्य पर ध्यान देने की प्रार्थना पर अज्ञानता जानकर हँस देते थे। इनके शिष्य इन्हें ठाकुर नाम से पुकारते थे। रामकृष्ण के परमप्रिय शिष्य विवेकानन्द कुछ समय हिमालय के किसी एकान्त स्थान पर तपस्या करना चाहते थे। यही आज्ञा लेने जब वे गुरु के पास गये तो रामकृष्ण ने कहा-वत्स हमारे आसपास के क्षेत्र के लोग भूख से तडप रहे हैं। चारों ओर अज्ञान का अंधेरा छाया है। यहां लोग रोते-चिल्लाते रहें और तुम हिमालय की किसी गुफा में समाधि के आनन्द में निमग्न रहो क्या तुम्हारी आत्मा स्वीकारेगी। इससे विवेकानन्द दरिद्र नारायण की सेवा में लग गये। रामकृष्ण महान योगी, उच्चकोटि के साधक व विचारक थे। सेवा पथ को ईश्वरीय, प्रशस्त मानकर अनेकता में एकता का दर्शन करते थे। सेवा से समाज की सुरक्षा चाहते थे। गले में सूजन को जब डाक्टरों ने कैंसर बताकर समाधि लेने और वार्तालाप से मना किया तब भी वे मुस्कराये। चिकित्सा कराने से रोकने पर भी विवेकानन्द इलाज कराते रहे। चिकित्सा के वाबजुद उनका स्वास्थ्य बिगड़ता ही गया। अंत मेँ वह दुख का दिन आ गया। 1886 ई. 16 अगस्त सवेरा होने के कुछ ही वक्त पहले आनन्दघन विग्रह श्रीरामकृष्ण इस नश्वर देह को त्याग कर महासमाधि द्वारा स्व-स्वरुप में लीन हो गये।

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रचनाएँ
amaryaaden
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विभिन्न क्षेत्रों के विशिष्ट शख्सियतों को भावभीनी आदरांजलि जो अब हमारी यादों में ज़िंदा हैं...
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सदा रहेंगे सादगी के सदाबहार संगीतकार, गीतकार एवं गायक रविन्द्र जैन “दादू”

10 अक्टूबर 2015
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अलीगढ़ में जन्म से ही नेत्रहीनरविन्द्र जैन के मन की आँखों ने जीवन संगीत के उस स्वरुप को छू लिया, जिसेनेत्रवान इंसान को छूने में सदियाँ लग जायें| रविन्द्र जैन उस शख्सियत का नाम है,जिसने कुदरत द्वारा प्रदत्त अभिशाप को वरदान साबित कर एक नजीर पेश की कि हौसलों केआगे हर चीज़ बेमानी है| रविन्द्र जैन बहुमुखी

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मिसाइल मैन “कलाम” को देश का सादर नमन

15 अक्टूबर 2015
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देश को करप्शन-फ्री होनाहै तो समाज में 3 ही ऐसे लोग हैं, जो ये कर सकते हैं। माता-पिता और टीचर। ........कलाम मिसाइल मैन के नाम सेमशहूर “अब्दुल कलाम” अब भले ही शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं लेकिन हमारेमन-मस्तिष्क में वो सदा पूजनीय रहेंगे | उनका “सादा जीवन-उच्च विचार” और सतत संघर्षसे कभी हार न मानने वाल

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नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर उन्हें देश का शत शत नमन !!!

23 जनवरी 2016
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पंजाब केसरी को उनकी जयंती पर भावभीनी श्रधांजलि !!!

28 जनवरी 2016
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भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक लाला लाजपत राय जिन्हें ‘पंजाबकेसरी’ भी कहते हैं की आज जयंती है| पंजाब के मोगा जिले में एक अग्रवाल बनियापरिवार में जन्मे लाला लाजपत राय ने कुछ समय तक हरियाणा के रोहतक और हिसार शहरोंमें वकालत भी की। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल के प्रमुख नेता

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भारतीयता के जीवंत चित्र उकेरे अमृता शेरगिल ने (103 वीं जयंती पर विशेष)

30 जनवरी 2016
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आज गूगल को अगर आपने खोला होगा तोइसके डूडल पर आपने जरुर गौर किया होगा| असल में गूगल ने आज अपना डूडल भारत की अमरमहिला चित्रकार अमृता शेरगिल को समर्पित किया है क्योंकि आज उनकी १०३ वीं जयंतीहै| भारत के प्रसिद्ध चित्रकारों में से एक अमृता शेरगिल जी का जन्म ३० जनवरी १९१३को बुडापेस्ट (हंगरी) में हुआ था। कल

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पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रधांजलि!!!

1 फरवरी 2016
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भारतीयमूल की प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला की पुण्यतिथि पर देश की भावभीनीश्रधांजलि!!!

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हमारी यादों में हमेशा जिंदा रहेंगे निदा फाजली (८ फरवरी २०१६ को निधन पर भावभीनी श्रधांजलि)

9 फरवरी 2016
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घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो, यूँ कर लेंकिसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये|हमसफ़र तो कोई वक़्त के वीराने में,सूनी आँखों में कोई ख्वाब सजाया जाये|रोशनी की भी हिफ़ाज़त है इबादत की तरह,बुझते सूरज से चराग़ों को जलाया जाये|ग़म अकेला है तो साँसों को सताता है बहुत,दर्द को दर्द का हमदर्द बनाया जाये|घर से मस्जिद ह

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एकात्म मानववाद जैसी प्रगतिशील विचारधारा के सूत्रधार पंडित दीनदयाल उपाध्याय (पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रधांजलि!!!)

11 फरवरी 2016
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भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष तथा भारतकी सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को ‘एकात्ममानववाद जैसी प्रगतिशील विचारधारा’ देने वाले पण्डित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म २५सितम्बर १९१६ को उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के छोटे से गाँव नगला चन्द्रभान मेंहुआ था। इनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपा

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लांसनायक हनुमंतप्पा नहीं रहे, देश में शोक की लहर

11 फरवरी 2016
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सियाचिन में बर्फ के सैलाब में भी जीवटता के प्रतीक  रहे देश के वीर सपूत लांसनायक हनुमंतप्पा ने आज आख़िरीसाँस ली और अमर हो गए देश की तरफ से इन्हें अश्रुपूरित श्रधांजलि !!! ईश्वर इनकीआत्मा को शांति दें!!!

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महान चिन्तक, समाज-सुधारक व देशभक्त स्वामी दयानन्द सरस्वती (जयंती पर विशेष)

12 फरवरी 2016
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महर्षि दयानन्द सरस्वती आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक व देशभक्त थे। स्वामीदयानन्द सरस्वती जी का जन्म १२ फ़रवरी सन् १८२४ में मोरबी (मुम्बई की मोरवीरियासत) के पास काठियावाड़ क्षेत्र (जिला राजकोट), गुजरात में हुआ था। उनके पिता कानाम करशनजी लालजी तिवारी और माँ का नाम यशोदाबाई था। उनके पिता एक क

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“खूब लड़ी मरदानी वो तो झांसी वाली रानी थी” की उम्दा कवयित्री और कथाकार सुभद्रा कुमारी चौहान

16 फरवरी 2016
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“खूब लड़ी मरदानी वो तो झांसी वालीरानी थी” जैसी अमर कविता की रचयिता सुभद्राकुमारी चौहान जितनी बड़ी कवयित्री थीं, उतनी ही बड़ी कथाकार भी थीं। सुभद्राकुमारी चौहान का जन्मनागपंचमी के दिन 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद (उत्तरप्रदेश) के निकट निहालपुर गाँव में एकसम्पन्न परिवार में हुआ था। सुभद्राकुमारी को बचपन

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भारतीय फिल्म उद्योग के 'पितामह' दादासाहब फालके (पुण्यतिथि पर विशेष)

16 फरवरी 2016
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दादासाहबफालके का पूरा नाम धुंडीराज गोविन्द फालके है और इनका जन्म महाराष्ट्र के नाशिकशहर (प्रसिद्ध तीर्थ) से लगभग २०-२५ किमी की दूरी पर स्थित बाबा भोलेनाथ की नगरीत्र्यंबकेश्वर (यहाँ प्रसिद्ध शिवलिंगों में से एक स्थित भी है) में ३० अप्रैल१८७० ई. को हुआ था। इनके पिता संस्कृत के प्रकांड पंडित थे और मुम्

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महान संत एवं विचारक रामकृष्ण परमहंस (जयंती पर विशेष)

18 फरवरी 2016
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भारत के एक महान संत एवं विचारक रामकृष्ण परमहंस ने सभी धर्मों की एकता पर जोरदिया। उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं अतः ईश्वर कीप्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया। वास्तव में स्वामीरामकृष्ण मानवता के पुजारी थे। साधना के फलस्वरूप वह इस निष्कर्ष पर पहुँ

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26/11 मुंबई आतंकी घटना में शहीद हुए अमर सेनानी संदीप उन्नीकृष्णन को देश का शत शत नमन (जयंती पर विशेष)

15 मार्च 2016
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अमर सेनानी संदीप उन्नीकृष्णन भारतीय सेना में एक मेजरथे, जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षागार्ड्स (एनएसजी) के कुलीन विशेष कार्य समूह में काम किया। 26/11 -2008  मुंबई आतंकी हमले मेंआतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए अमर सेनानी  संदीपउन्नीकृष्णन का जन्म 15 मार्च 1977 को हुआ था। संदीपउन्नीकृष्णन बैंगलोर स्थित

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धारावाहिक महाभारत के संवाद लेखक डॉ० राही मासूम रज़ा की पुण्यतिथि पर आदरांजलि

15 मार्च 2016
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डॉ० राही मासूम रज़ा का जन्म १ सितंबर, १९२५ को गाजीपुर जिले के गंगौलीगांव में हुआ था और प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा गंगा किनारे गाजीपुर शहर के एकमुहल्ले में हुई थी। बचपन में पैर में पोलियो हो जाने के कारण उनकी पढ़ाई कुछसालों के लिए छूट गयी, लेकिन इंटरमीडिएट करने के बाद वह अलीगढ़ आ गये और यहीं सेएमए करने

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दलितों के मसीहा थे मान्यवर कांशीराम जी (15 मार्च-जयंती पर विशेष)

16 मार्च 2016
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दलितों केमसीहा एवं बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक स्वर्गीय कांशीराम जी का जन्म 15 मार्चसन 1934 को पंजाब के रोपड़ ज़िले में हुआ था। कांशीराम जी के पिता का नाम एस. हरिसिंह था। स्वभाव से सरल और इरादे के पक्के कांशीराम जी की कर्मयात्रा 60 के दशक सेप्रारंभ हुई और 70 के दशक के शुरूआती दिनों में उन्होंने पु

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23 मार्च यानि शहीद दिवस

23 मार्च 2016
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मातृभूमि के वास्ते बलिवेदी पर हँसते-हँसते कुर्बान वीरों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु कोपूरे देश का शत-शत नमन!!!

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हरदिलअज़ीज़ गीतकार आनंद बक्शी की पुण्यतिथि पर खास

30 मार्च 2016
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हिंदी फिल्मों के जाने-माने हरदिलअज़ीज़ गीतकार आनंद बक्शी का जन्म 21 जुलाई 1930 को पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर (तत्कालीनअविभाजित भारत देश) में हुआ था| 10 वर्ष की आयु में ही इनकी माँसुमित्रा के देहावसान के बाद इनका परिवार जब यह 17 वर्ष के थे लखनऊ आ गया और यहाँ से दिल्ली जाकर वहीं बस गया| उल्लेखनीय है कि

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बेमिसाल अभिनय की प्रतिमूर्ति थीं हिंदी फिल्मों की ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी (पुण्यतिथि पर श्रधांजलि)

31 मार्च 2016
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हिंदी फिल्मों कीप्रख्यात अभिनेत्री एवं दुखांत फिल्मों में भावुक एवं बेजोड़ अभिनय हेतु ट्रेजेडीक्वीन के खिताब से पुकारी जाने वाली उम्दा हीरोइन मीना कुमारी का असली नाम माहजबींबानो था और 1 अगस्त 1932 को ये बंबई (वर्तमान में मुंबई) में पैदा हुई थीं। उनकेपिता अली बक्श भी फिल्मों में और पारसी रंगमंच के एक

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हिंदुस्तान के हीरो थे सैम मानेकशा जिन्होंने गिड़गिड़ाने पर मजबूर कर दिया था पाकिस्तान को (जन्मतिथि ३ अप्रैल पर विशेष)

4 अप्रैल 2016
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3 अप्रैल का दिन भारत और भारतीय सेना के इतिहास में बेहद खास है। क्योंकि इसीदिन 1914 को महान योद्धा सैम मानेकशा का जन्म हुआ था। मूल गुजराती और पारसी सामहोरमूसजी फराजी जमशेदजी मानेकशा ने ही सन् 1971 में पाकिस्तान को धूलचटाकर बांग्लादेश को आजाद मुल्क बनाने में अहम भूमिका निभाई थी और 91000 पाक सैनिकों को

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हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के प्रख्यात निर्माता-निर्देशक शक्ति सामंत की पुण्यतिथि पर भावभीनी आदरांजलि!

9 अप्रैल 2016
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13 जनवरी 1926 को पश्चिम बंगाल के वर्धमान में जन्में थे हिंदी सिनेमा जगत के प्रख्यात निर्माताऔर निर्देशक शक्ति सामंत| उनका शैक्षणिक जीवन देहरादून और कोलकाता में बीता| ज्ञातव्यहै कि आराधना (1969), अनुराग (1972) और अमानुष (1975) जैसी फिल्मों के लिए 3 फिल्मफेयर बेस्ट फिल्म का अवार्ड हासिल करने वाले शक्त

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हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर गायक एवं पहले सुपरस्टार थे के.एल. सहगल साहब (जन्मतिथि पर खास)

11 अप्रैल 2016
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प्रख्यात अभिनेता और गायक कुंदन लाल सहगल (के.एल.सहगल) का जन्म ११ अप्रैल १९०४को जम्मू में हुआ था| प्रेसिडेंट फिल्म का गीत एक बंगला बने न्यारा और शाहजहाँफिल्म का गीत जब दिल ही टूट गया जैसे सदाबहार सुपरहिट गानों को गाने वाले सहगल साहब का रूझान बचपन से ही गीत-संगीत की ओर था। उनकी मां केसरीबाई कौर की धार्

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दलितों और निर्बलों के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाले महात्मा थे ज्योतिराव गोविंदराव फुले यानि ज्योतिबा फुले (जयंती पर विशेष)

11 अप्रैल 2016
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19वीं सदी के महान भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता महात्मा ‘ज्योतिराव गोविंदराव फुले' यानि ‘ज्योतिबा फुले’ जी का  जन्म ११ अप्रैल १८२७ को पुणे में हुआ था। उनका परिवार कई पीढ़ी पहले सतारा से पुणे आकर फूलों के गजरे आदि बनाने का कामकरने लगा था। इसलिए माली के काम में लग

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हिंदी फ़िल्मों के स्टाइल आइकन थे फ़िरोज़ खान ( पुण्यतिथि पर विशेष )

27 अप्रैल 2016
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25 सितम्बर 1939 को बंगलुरु में जन्मे हिंदी सिनेमा के लोकप्रिय अभिनेताओं में शुमार है नाम बेहद स्टाइलिश फ़िरोज़ खान का | अफ़गानी मूल के फ़िरोज ने 1960 की फिल्म दीदी में सेकंड लीड एक्टर के तौर पर बॉलीवुड में पदार्पण किया| हालाँकि 1965 की फिल्म ऊँचे लोग की कामयाबी ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित किया

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