अमर सेनानी संदीप उन्नीकृष्णन भारतीय सेना में एक मेजर
थे, जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा
गार्ड्स (एनएसजी) के कुलीन विशेष कार्य समूह में काम किया। 26/11 -2008 मुंबई आतंकी हमले में
आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए अमर सेनानी संदीप
उन्नीकृष्णन का जन्म 15 मार्च 1977 को हुआ था। संदीप
उन्नीकृष्णन बैंगलोर स्थित एक नायर परिवार से थे| यह परिवार मूल रूप से चेरुवनूर, कोझीकोड जिला, केरल से आकर बैंगलोर में बस गया था।
वे सेवानिवृत्त आईएसआरओ अधिकारी के. उन्नीकृष्णन और धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन के
इकलौते पुत्र थे। मेजर उन्नीकृष्णन ने अपने 14 साल फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल, बैंगलोर में बिताये, 1995 में आईएससी विज्ञान विषय से
स्नातक की उपाधि प्राप्त की| वे अपने सहपाठियों के बीच बहुत
लोकप्रिय थे, वे सेना में जाना चाहते थे, यहां तक कि क्र्यू कट में भी स्कूल
जरूर जाते थे। एक अच्छे एथलीट (खिलाडी) होने के कारण, वे स्कूल की गतिविधियों और खेल के
आयोजनों में भी बहुत सक्रिय रूप से हिस्सा लेते थे। उनके अधिकांश एथलेटिक रिकॉर्ड, उनके स्कूल छोड़ने के कई साल बाद तक
भी टूट नहीं पाए| अपनी ऑरकुट प्रोफाइल में उन्होंने अपने आप को फिल्मों के लिए
पागल बताया था| कम उम्र से ही साहस के प्रदर्शन के अलावा उनका एक नर्म पक्ष भी
था, वे अपने स्कूल के संगीत समूह के
सदस्य भी थे। संदीप 1995 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में शामिल हुए थे| वे एक कैडेट थे, ओस्कर स्क्वाड्रन (नंबर 4 बटालियन)
का हिस्सा थे और एनडीए के 94 वें कोर्स के स्नातक थे। उन्होंने कला (सामाजिक
विज्ञान विषय) में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। उनके एनडीए के मित्र उन्हें एक
"निः स्वार्थ", "उदार" और "शांत व
सुगठित" व्यक्ति के रूप में याद करते हैं। उनकी बहादुरी के लिए उन्हें 26 जनवरी 2009 को भारत के सर्वोच्च शांति समय
बहादुरी पुरस्कार, अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।
"उपर मत आना, मैं उन्हें संभाल लूंगा", ये संभवतया उनके द्वारा उनके
आदमियों को कहे गए अंतिम शब्द थे, ऐसा कहते कहते ही वे ऑपरेशन ब्लैक
टोरनेडो के दौरान मुंबई के ताज होटल के अन्दर सशस्त्र आतंकवादियों की गोलियों का
शिकार हो गए। बाद में, एनएसजी के सूत्रों ने स्पष्ट किया कि जब ऑपरेशन के दौरान एक
कमांडो घायल हो गया, मेजर उन्नीकृष्णन ने उसे बाहर निकालने की व्यवस्था की और खुद
ही आतंकवादियों से निपटना शुरू कर दिया. आतंकवादी भाग कर होटल की किसी और मंजिल पर
चले गए और उनका सामना करते करते मेजर उन्नीकृष्णन गंभीर रूप से घायल हो गए और
वीरगति को प्राप्त हुए।