घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो, यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये|
हमसफ़र तो कोई वक़्त के वीराने में,
सूनी आँखों में कोई ख्वाब सजाया जाये|
रोशनी की भी हिफ़ाज़त है इबादत की तरह,
बुझते सूरज से चराग़ों को जलाया जाये|
ग़म अकेला है तो साँसों को सताता है बहुत,
दर्द को दर्द का हमदर्द बनाया जाये|
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो, यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये|