भावना से प्रेम, प्रेम से आनंद और आनंदातिरेक से गीतों की सृष्टि होती है। जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि जैसी कहावत से भला कौन परिचित नहीं। सुखदुख के भाववेशमयी अवस्था विशेष का गिने चुने शब्दों में स्वरसाधना से उपयुक्त चित्रण कर गीत रचना करने की योग्यता केवल नीरज जैसे व्यक्ति के करने के वश की ही बात है। उन्होंने देश के चर्चित गीतकारों के लोकप्रिय गीतों को इस संकलन में समेटकर निस्संदेह साहित्य साधना का महान परिचय दिया है|
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