घटाएं उमड़-घुमड़कर उठती हैं, तो पानी बनकर बरस जाती हैं, उसी तरह जब भावों का अतिरेक होता है, जज़्बात छलकने लगते हैं, तो कविता में ढल जाते हैं। सदियों से हर संस्कृति, हर भाषा, हर दिल को शब्द दिए हैं कविता ने। हर दिल की बात कहने वाले ऐसे ही हरदिल-अज़ीज़ कवि हैं - गोपालदास नीरज। नीरज के गीत गजलों में भावों की गहराई तो है ही, साथ ही उनमें लयात्मकता भी है, जो लोगों की ज़ुबान पर चढ़कर बोलती है। इस नए काव्य में नीरज की कविता के चार रंगों - गीत, ग़ज़ल, दोहे व मुक्तक - की रंगोली सजी है।
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