अभिब्यक्ति हेराई हैं।हमरे लेखक हेराने हैं ... कही लिखते मिले तो भईया हमे बता दइयों। राजनीति मे अपने वजूद को भुलाने हैं।खोकर मीडिया के हो-हल्ला मे, सामाज को रचने वाले शब्द हेराने हैं... कवि, ब्यंग, शायर, गजल सभी बौराने हैं,खोज-खाज राजनीति के चुटकले उन्हे फैलाने हैं।सच कहने व लिखने से लेखक अभी डेरा