आज कृष्ण का लॉ कॉलेज में पहला दिन था। जोश से भरपूर कृष्ण की दिली इच्छा थी लॉ के इस मंदिर में पढ़ने की। उसका एडमिशन तो मेन कैंपस में भी हो जाता पर वो लॉ के द्रोणाचार्य माने जाने वाले प्रोफेसर एम.पी. तिवारी से इतना प्रभावित था कि वो ए. डी.सी. में ही एडमिशन लेने का निश्चय कर चुका था। कृष्ण की जीवन यात्रा का ये सिर्फ एक पड़ाव भर था। वो लॉ करने के बाद पीसीएसजे की परीक्षा में बैठना चाहता था। उसका इरादा सिर्फ परीक्षा में बैठने का नहीं था, बल्कि वो पूरा निश्चय कर चुका था कि उसे पहली बार में ही सफल भी होना है।
कॉलेज का पहला दिन तो सब से परिचय में ही बीत गया।
कृष्ण के बैच में अधिकांश लड़के ही थे। बस पांच ही लड़कियां थी।
दूसरे दिन जब वो लेक्चर हॉल में गया तो बिल्कुल सामने जिस सीट पर वो कल बैठा उस पर एक लड़की बैठी थी। वो पीछे बैठ कर अपने पढ़ाई का एक भी पल नहीं गंवाना चाहता था। बाकी की सारी सीटें भरी हुई थी। सकुचाते हुए वो उस सीट के पास गया जिसपे वो लड़की बैठी थी।
बोला ,"जी मैं इस सीट पर कल बैठा था। आप कहीं और बैठ जाती... तो अच्छा होता ! पीछे से ठीक से समझ नहीं आएगा।"
वो लड़की सरकती हुई उसके लिए जगह बना दी। फिर बोली,"मुझे भी तो पढ़ना है, आप यही बैठ जाइए साथ में पढ़ लेंगे। "
कोई और चारा ना देख सकुचाते हुए कृष्ण सिमट कर बैठ गया।
तभी सर आ गए , और दोनों ही अपनी अपनी नोटबुक निकाल कर
इंपॉर्टेंट प्वाइंट्स नोट करने लगे।
साथ के लड़के क्लास खत्म होने के बाद कृष्ण को छेड़ने लगे।
अमित बोला, "अरे..! हुजूर नाम तो बता दीजिए कम से कम हमें।
साथ बैठने का सुख ना सही कम से कम नाम सुन कर ही अपना कलेजा ठंडा कर लें। "कह कर अपनी नोटबुक कृष्ण के पीठ पर मारी।
तभी आगे आकर संजय कृष्ण के कंधे पर हाथ रख कर बोला," क्या बात है! किस्मत होती अपने गुरु जैसी। क्या नसीब पाया है दूसरे दिन ही इतनी खूबसूरत अप्सरा का सानिध्य नसीब हो गया। क्या कहते हो भाइयों ?"
सब हां में हां मिला कर कृष्ण को छेड़ने लगे।
वो मना करता रहा की नाम नहीं पता , "मैंने पूछा ही नहीं" पर कोई भी ये मानने को तैयार नहीं था।
इसी तरह बात करते हुए सब गेट के पास आ गए। कृष्ण ने हॉस्टल नहीं लिया था। उसे डर था कि वहां दोस्तों की वजह से पढ़ाई में विघ्न ना पड़ जाए ! इस कारण वो अपने चाचाजी के खाली मकान में एक कमरे में रहता था। साथ ही उसने किसी को भी अपना रूम नहीं दिखाया था।सब से पीछा छुड़ा वो अपने रूम की ओर चल पड़ा।
खुद ही कुछ खाना बना लेता और दिन रात पढ़ाई करता रहता।
एक दिन कॉलेज से लौटते वक्त बारिश होने लगी और कृष्ण पूरा पानी से तर - बतर हो गया। वैसे ही गीला कमरे पर आया। शाम तक उसे छिकें आने लगी और दूसरे दिन बुखार भी चढ़ आया। पहले वायरल फीवर की दवा करता रहा। जब फिर भी बुखार नहीं उतरा तो ब्लड टेस्ट करवाया तो टायफायड निकला । अब तो यहां अकेले रह नहीं सकता था। इसलिए घर चला गया। उसे ठीक होने में पूरा महीना लग गया। कृष्ण बहुत परेशान था कि उसकी पढ़ाई छूट जा रही है। एग्जाम भी पास आ रहे थे।
इधर वो लड़की पहले तो सोचा कि कृष्ण किसी वजह से नहीं आया होगा। पर जब काफी दिन हो गए तो वो परेशान हो गई की आखिर कृष्ण क्यों नहीं आ रहा ? क्या वजह हो गई? वो रोज इंतजार करती कि आज कृष्ण आएगा । पर उसे रोज निराशा होती। ना तो उसे पता था कि कृष्ण कहां रहता है? ना ही कुछ और।
ठीक होते ही कृष्ण वापस कॉलेज आ गया। उसे देखते हीं उस लड़की
के चेहरे पर चमक आ गई। साइड हो कर कृष्ण के बैठने की जगह बना दी। उसके चेहरे से ही पता चल रहा था कि वो बीमार था।
क्लास खत्म होते ही कृष्ण ने आज पहली बार उससे बात की।
बोला , " जी मैं कृष्ण और आप?"
वो भी बोली, "मेरा नाम शोभा है। आप काफी दिन से कॉलेज नहीं आए! शायद तबियत नहीं ठीक थी।"
कृष्ण ने ' हां ' में सिर हिलाया और बोला, "जी आप ठीक कह रही हैं मेरी तबियत कुछ ज्यादा खराब हो गई थी इसलिए घर जाना पड़ा।"
फिर कुछ रुक कर बोला, " शोभा जी दरअसल मुझे आपकी हेल्प चाहिए । कॉलेज नहीं आने से मेरी पढ़ाई काफी पीछे हो गई है। मेरे दोस्त सिर्फ नाम के ही दोस्त है कोई भी अपने नोट्स देने को तैयार नहीं। अगर आप अपने नोट्स दे देंगी तो मेरी बहुत मदद हो जाएगी।"
शोभा ने मदद का आश्वासन दिया। वो बोली, " मैं जरूर अपने नोट्स दूंगी आपको।"
शोभा का आश्वासन पाकर कृष्ण को अपनी छूटी हुई पढ़ाई की चिंता कम हो गई।
शोभा दूसरे दिन अपने नोट्स लाई। नोट्स लेकर आती शोभा को आज पहली बार उसने गौर से देखा। पीला सूट पहने शोभा बिल्कुल किसी पुरानी फिल्म की हीरोइन दी लग रही थी। उसके रंग से एकाकार होता पीला सूट बेहद जंच रहा था। आते ही कृष्ण को नोट्स पकड़ा कर बोली, " लो
संभालो नोट्स जल्दी से कॉपी करके वापस कर देना ।" पसीने से तर अपने माथे को पोंछती हुई बोली।
कृष्ण सोच रहा था, जहां उसके दोस्तों ने बीमार होने के बावजूद अपने नोट्स देने से उसे मना कर दिया। वहीं शोभा ने बिना किसी परिचय के उसकी मदद की। सिर्फ उसकी सूरत ही नहीं सीरत से भी हीरे जैसी थी।
कृष्ण कमरे पर जाकर खाना पीना भूल कर पहले नोट्स कॉपी करने
बैठ गया। जैसे शोभा के नोट्स पढ़ता जा रहा था । उससे प्रभावित होता जा रहा था। कमाल के नोट्स थे शोभा के । प्वाइंट टू प्वाइंट इतने अच्छे से सारे आईपीसी रुल को लिखा था कि एक बार पढ़ने से ही याद हो जाए।
एग्जाम पास था इस लिए जिन नोट्स को वो लिख लेता उसे शोभा को वापस देता जाता।
इन नोट्स को पढ़ कर कृष्ण बीमारी के बावजूद अच्छे नंबर से पास हो गया।