हमारे इस ब्रह्माण्ड में इस पृथ्वी लोक की तरह अनेको लोक बने हुए है विष्णु लोक देव लोक, गन्धर्व लोग, यक्ष लोक आदि बहुत से लोक है और इन लोको में कर्मानुसार आत्मा भर्मण करती है । देवो को भी जानवरो , वृक्ष , इंसान के रूप में जन्म लेना पड़ जाता है जब उनके पाप कर्म बढ़ जाते है । बहुत सी कहानियां पढ़ी होगी शार्प आदि के कारण कैसे कैसे जन्म मिले है देवो को भी तो हम इंसान तो है ही क्या । इंसान का जन्म सबसे अच्छा बताया है क्योंकि यही जन्म है जिसमे मोक्ष पाया जा सकता है बाकी की योनियां में तो कर्म भोग को भोगा जाता है । लेकिन इंसान मोह माया में घिरा रहता है जैसे उसकी यात्रा खत्म हो गयी । आज जितना मिला है उसमें इंसान खुश नही है जिसके पास लाखो है वो करोडो चाहता है जिसके करोडो है वो अरबो फिर भी उसकी भूख शांत नही होती । बड़े बड़े राजा हुए हुए धन पाने के लिए लाखों को लोगो को मार दिया लेकिन सभी वस्तुओं को यही छोड़ गए । जिस वस्तु का हमे संग्रह करना चाहिए वो हम नही कर रहे है । ऊपर धन नही चलता ना ही रिस्वत चलती है वहां पर सिर्फ कर्म चलते है । पृथ्वी पर थोड़ा सा सुख भोगने के लिए अनेको पाप कर्म कर देते है लेकिन वो अनमोल रत्न प्रभू की भक्ति दिखाई नही देती जो अनन्त सुख देने वाली है । उस सुख के आगे तो ये कुछ भी नही है वहां पर आपको ऐसे दिन रात भागना नही पड़ेगा जिस प्रकार आपको पृथ्वी पर भागना पड़ता है । आज इंसान की जिंदगी इतनी बची है सुबह से शाम तक दुसरो के यहां नोकरी रात में भविष्य के चिंता में सो जाना फिर सुबह यही कर्म दुसरो के लिए अपनी जिंदगी समाप्त हो जाती है लेकिन कोई अहसान नही मानता आज बेटा पिता से कहता है तूने क्या किया है मेरे लिए । इंसान बिलकुल टूट चुका है इस संसार के चक्र में लेकिन फिर भी भक्ति मार्ग नही अपनाता । जो अपनाना चाहता है वो सोचता है लोग क्या कहेंगे और यही सोचते सोचते जिंदगी निकल जाती है फिर हाथ में कुछ नही रहता है । सिर्फ घर में ज्योत जला देने से या चालीसा आदि पढ़ने का नाम भक्ति नही है । भक्ति वो है जो प्रभू के बताए हुए रास्ते पर चले । बहुत से कहते है आज मंगलवार है शनिवार है शराब माँस आदि नही लेंगे है मतलब इंसान सीधे सीधे भगवान को मुर्ख बनाने की कोशिश कर रहा है पाप कर्म किसी भी समय में किया हो भोगना अवस्य ही पड़ेगा । पाप कर्मों को सिर्फ पूण्य कर्मो से काटा जा सकता है दूसरा कोई उपाय नही । अगर आप कोई किसी साधु महात्मा के पास जाते है अपनी समस्या के लिए और वो उसे दूर कर देता है तो समझलो उसने आपके किसी पूण्य के बदले आपकी वो समस्या दूर की है । बिना पूण्य कर्म के बदले तो भगवान भी कुछ नही देता है वो भी पूण्य कर्मो के हिसाब से आपको देता है । ये सारा चक्र कर्म का है अगर आपके कर्म सही है तो देव भी आपका कुछ नही कर सकते अगर आपके कर्म अच्छे नही है तो भगवान भी आपके लिये कुछ नही कर सकते ।