आज १०मार्च , हमारी पहली स्त्री शिक्षीका सावित्रीबाई फुले जी को याद करने का दिन, आज ही के दिन वो हमें छोडकर चली गई थी, उस वक्त अगर हिम्मत करके उन्होंने और ज्योतिबा फुले जी ने हमारे शिक्षण के लिए कोशिश ना की होती तो आज मैं और आप इस तरह अपने खयालत नहीं लिख रहे होते, आज लाखों के संख्या में सावित्री यहा ना होती, तो एक धन्यवाद से काम तो नहीं बनेगा, अपने अपने क्षेत्र में पूरा इमानदारी से काम करके दुसरों के लिए मिशाल बनकर ही हम उन्हें धन्यवाद कह सकते है!