नई दिल्ली : नौकरशाही पर सबसे ज्यादा भ्रष्ट होने के आरोप तो लगते रहे हैं लेकिन छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बाबूलाल अग्रवाल की भ्रष्टाचार की कहानी इन सब से चौकाने वाली है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अग्रवाल की 36 करोड़ की सम्पति जब्त कर ली। सीबीआई ने बाबूलाल अग्रवाल को कुछ समय पहले गिरफ्तार किया था।
बाबूलाल अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने भ्रष्टाचार के मामले में खुद को बचाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के दो अफसरों को डेढ़ करोड़ रिश्वत देने की पेशकश की थी। इस मामले में बाबूलाल की पत्नी और भाई आनंद अग्रवाल को भी गिरफ्तार किया गया।
अख़बार नई दुनिया में छपी खबर के अनुसार अग्रवाल ने 446 ग्रामीणों के नाम पर बैंकों में फर्जी खाता खोल लिया था। ग्रामीणों को अपने इन खातों के बारे में जानकारी ही नहीं थी। इन खातों में करोड़ों रुपए नकद जमा कराए जाते थे। बाद में इन खाता धारकों के नाम पर 13 फर्जी कंपनियों में इन पैसों को निवेश कर दिया जाता था और फिर फर्जी कंपनियां एक कंपनी में उस पैसे को निवेश कर देती थीं।
अंत में अग्रवाल के भाई इन फर्जी कंपनियों के शेयर औने-पौने दामों में खरीद लेता था। इस तरह पूरा पैसा सफेद हो जाता था। इस पूरे मामले में चार्टर्ड एकाउंटेंट सुनील अग्रवाल ने अहम भूमिका निभाई थी। ईडी का आरोप है कि ग्रामीणों के नाम खुले फर्जी खातों में 2006 से 2009 के बीच 39 करोड़ रुपए जमा किए गए थे।रिपोर्ट के के अनुसार बाबूलाल अग्रवाल ने इस पैसे से 13 फर्जी कंपनियों में निवेश किया और 36.09 करोड़ की कंपनी खरीद ली।