नई दिल्ली : उत्तरप्रदेश की योगी सरकार लगातार अपनी पिछली सरकार की तमाम योजनाओं में हुए घोटालों की जाँच में लगी हुई है। अब योगी सरकार ने अखिलेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस में हुई गड़बड़ी की जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए सर्वे जांच एजेंसी से भी संपर्क किया गया है। सबसे पहले 'इंडिया संवाद' ने सितम्बर 2016 की अपनी रिपोर्ट में अखिलेश यादव के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में बरती गई अनियमितताओं का खुलासा किया था।
गौरतलब है कि लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे 302 किलोमीटर लंबा है। इस परियोजना में 10 जिलों के 232 गांवों की करीब 3500 हेक्टेयर जमीन ली गई है। इन जमीनों का अधिग्रहण करीब 30 हजार से ज्यादा किसानों से किया गया है। इस एक्सप्रेस-वे की अनुमानित लागत करीब 11526 करोड़ मानी जाती है।
10 जिलों के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर आगरा एक्सप्रेसवे से सटे 230 गांवों में की गई जमीन अधिग्रहण के दस्तावेज तलब किए गए हैं। साथ ही प्रोजेक्ट से जुड़े कंपनियों से भी दस्तावेज तलब किए गए हैं।
आदेश में कहा गया है कि पिछले 18 महीनों में अधिग्रहण की गई जमीनों को जांच किया जाए। दरअसल एक्सप्रेसवे से सटे जमीनों पर सब्जी मंडी, दुग्ध मंडी और अन्य मार्केट को ग्रीनफ़ील्ड के रूप में विकसित किया जाना है, जिससे किसानों को फायदा होगा. लेकिन आरोप है कि कृषि योग्य जमीन को रिहाइशी दिखाकर कर ज्यादा मुवाजा बांटा गया है।
इंडिया संवाद की खबर में लिखा था कि 302 किलोमीटर लम्बी इस 6 लेन एक्सप्रेसवे की लागत 9056 करोड़ रूपए बतायी जा रही है, यानी प्रति किलोमीटर लागत 30 करोड़ रूपए। लेकिन केंद्र सरकार के एस्टीमेट से तुलना की जाए तो यूपी की सड़क बहुत महंगी है। केंद्र सरकार की नेशनल हाईवे अथॉरिटी (NHAI ) की 6 लेन सड़क की लागत 18 करोड़ प्रति किलोमीटर है।
इसी तरह यह तथ्य भी सामने आये थे कि 4 लेन सड़क की लागत 13 -14 करोड़ प्रति किलोमीटर है। यानि प्रति किलोमीटर एक्सप्रेस-वे की लागत 60-70 करोड़ रूपए की आसपास।