रांची : 2008 बैच के आईपीएस ऑफिसर इंद्रजीत महथा पलामू जिले के एसपी हैं। बोकारो के चंदनक्यारी के रहने वाले इंद्रजीत को यूपीएससी की परीक्षा में 100वीं रैंक मिली थी
इंद्रजीत महथा कहते हैं, " आईएएस बनने की तमन्ना थी। मगर आईपीएस में झारखंड कैडर मिल गया. इसके बाद आईएएस बनने की बात दिल से निकालकर अपनी जन्मभूमि को ही कर्मभूमि बनाने का फैसला लिया. स्कूल लाईफ से ही झारखड कैडर के आईपीएस ऑफिसर अनिल पालटा मेरे आदर्श थे." इंटरव्यू में मुझसे ईमानदारी पर सवाल हुआ। बोर्ड के एक मेंबर ने पूछा कि कैसे विश्वास करूं कि आप आईपीएस बनने के बाद ईमानदार बने रहेंगे। इस पर मेरा जवाब सुनकर बोर्ड के ही एक अन्य मेंबर ने तुरंत कहा था, गॉड ब्लेस यू."
ट्रांसफर हुआ तो लोगों ने विरोध में बंद करा दिए थे बाजार
इंद्रजीत महथा की एसपी के रूप में पहली पोस्टिंग सरायकेला में हुई. यहां से जब उनका ट्रांसफर हुआ तो लोगों ने इसका जमकर विरोध किया. लोग सड़कों पर उतर आए और बाजार बंद करा दिए. दो दिन तक यहां के बाजार बंद रहे. डीसी-एसपी ने खुद जाकर लोगों को समझाया तब माने. महथा हटिया के एएसपी भी रह चुके हैं. इसके बाद इंडियन रिजर्व बटालियान के कमांडेंट और रेल एसपी रहे. महथा के पिता किसान और मां हाउस वाइफ हैं।
पढाई के दाैरान बिक गए थे 70 प्रतिशत खेत. अपनी पढ़ाई के दौरान के संघर्ष को याद करते हुए इंद्रजीत महथा बताते हैं, " पढ़ाई के खर्च में जब 70 प्रतिशत खेत बिक गए तब पिता ने कहा था, तुम पढ़ो और पैसाें की चिंता न करो। जरूरत पड़ी तो मैं अपनी किडनी तक बेच दूंगा लेकिन तुम्हें पढ़ाऊंगा." एसपी ने बताया, " पैसाें की कमी के कारण मैं नई एडिशन की किताबें तक नहीं खरीद पाता था। पुराने एडीशन के किताबें किलो के भाव से खरीदते था। उसे ही पढ़कर आईपीएस बना।"
यूपीएससी स्टूडेंट्स को एसपी ने दिए ये TIPS
संघर्ष और दुख में अंतर है. तमाम कष्टों के बीच दुख क्षतिपूर्ति नहीं होता. संघर्ष जीवन का हिस्सा है संघर्ष. इससे व्यक्ति मजबूत बनता है. संघर्ष को दुख समझकर कठिन परिश्रम से मुंह ना मोड़ें. सिविल सेवा सहयोग और संयोग की परीक्षा है. हर व्यक्ति का सहयोग जीवन में लेना चाहिए. साथ ही हमेशा सिलेबस और पिछले साल के प्रश्नों पर अर्जुन जैसी नजर रखनी चाहिए.