दोपहर के १ बजकर दस मिनट हो रहे हैं ।
कई बार अपने मन की शांति के लिये अपने मन के विचारों को व्यक्त करना बहुत कठिन हो जाता है। खासकर उस स्थिति में जबकि आप पहले ही किसी गलत बात का विरोध कर चुके हों। बहुत बार विरोध के माध्यम से स्पष्ट रूप से दिख रही गलती को दिखाना भी गलत अर्थ ले लेता है। अहम को संतुष्ट करने के लिये यह दर्शाया जाने लगता है कि अमुक व्यक्ति प्रतियोगिता में स्थान न ला पाने का विरोध कर रहा है। सत्य दिखाने बाले को अहंकारी सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है।
मैं जो यह डायरी लिखकर अपने विचार व्यक्त कर रहा हूं, आज कुछ कारणों से उसमें बदलाव किया है। बदलाव बहुत छोटा सा है। डायरी प्रतियोगिता की श्रेणी को हटा दिया गया है। दैनिक प्रतियोगिता या साप्ताहिक प्रतियोगिता की श्रेणी देने से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिये क्योंकि वह राशि इसी मंच पर पुस्तक खरीदने या प्रकाशित करने में ही खर्च होगी।