डायरी दिनांक १२/०३/२०२२
शाम के पांच बजकर पचास मिनट हो रहे हैं ।
वैसे तो द्वितीय शनिवार का अर्थ आराम फरमाना माना जाता है पर ऐसा आराम मेरे भाग्य में नहीं है। लगातार नियमित ड्यूटी का प्रभाव है कि अब घर रहकर आराम करने में परेशानी सी होती है। आज आराम और काम के मध्य बीच का रास्ता अपनाया। सुबह पोर्टल देख सयझ गया कि बंद साइटों की संख्या रोज की तुलना में अधिक है। फिर आफिस जाना उचित समझा। फिर लगभग दो बजे तक आफिस में रहा तथा समस्या दूर कर जब वापस आया फिर आफिस नहीं गया। इस समय आराम ले लिया।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।