डायरी दिनांक ०७/०३/२०२२
शाम के चार बजकर तीस मिनट हो रहे हैं ।
आज कार्यक्षेत्र में काफी सफलता मिली तथा घर वापसी भी जल्दी हो गयी। लगता है कि सफलता और असफलता दोनों ही ईश्वर के आधीन हैं। तभी तो कहा गया है - कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचिन।
अदिति शर्मा साहस और बुद्धि का प्रतीक, नारी शक्ति का प्रतीक युवा वन्य अधिकारी हैं। आज अखबार उनकी बहादुरी और प्रशंसा से भरा मिला। आखिर क्यों न हों। चार अलग अलग जिलों की वन विभाग की टीम में वही तो कल बाघ को काबू कर पायीं थीं।
कल बताया था कि एटा जनपद के नगला समन में बाघ के आ जाने से आतंक फैल गया था। कासगंज की वन विभाग की टीम अनुभव के अभाव में कुछ नहीं कर पायी। इटावा की सफारी लायंस टीम और आगरा की टीम भी उस वाघ पर काबू नहीं पा रहे थे। तभी अलीगढ़ से आयी नारी शक्ति का पर्याय अदिति शर्मा की टीम ने रणनीति बनाकर बाघ को पकड़ लिया।
बताया जाता है कि उन्होंने बाघ को एक भूसे से भरे कमरे में घुसने के लिये विवश कर दिया। इसी समय पर अलग अलग मोर्चे पर बाघ को बेहोश करने बाली गनों के साथ खुद निकास द्वार के नजदीक तैनात हुईं। तथा जब बाघ ने कमरे से बाहर निकलने का प्रयास किया, उसी समय उसे बेहोश कर दिया।
बाघ की उम्र लगभग चार वर्ष, लिंग मादा, लंबाई छह फुट और बजन १५० किलो पाया गया है। अनुमान लगाया गया कि बाघिन काली नदी के किनारे चलते चलते आयी थी तथा संभवतः यह पीलीभीत के जंगलों से आयी थी। वैसे गांव बालों ने दिनांक ०२ मार्च को भी खेतों में बाघ देखे जाने की शिकायत पुलिस को की थी। पर उस समय पुलिस ने इसे अधिक गंभीरता से नहीं लिया और वन विभाग के अधिकारियों को भी सूचित नहीं किया।
कुछ भी हो। पर एक बार फिर सिद्ध हुआ कि नारी शक्ति का पर्याय होती है। संसार में ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जिसे एक स्त्री न कर सके। नारी तुम कब अबला। नारी तुम हो सबला।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।