डायरी दिनांक १६/०३/२०२२
शाम के छह बजकर चालीस मिनट हो रहे हैं ।
दिनांक १२ दिसंबर २०२१ से वैराग्य पथ - एक प्रेम कहानी लिखना आरंभ किया था जो कि आज दिनांक १६ मार्च २०२२ को पूर्ण हुआ। इस उपन्यास को सुपर लेखन २ प्रतियोगिता के लिये लिखा गया है। इतने समय में अन्य लेखन के रूप में प्रेम कहानी फागुन, पोइट्री मैराथन के लिये कविताएं और बहुत थोड़ा साहित्य लिखा है। कह सकते हैं कि पूरा ध्यान लगभग इसी उपन्यास पर दिया है। उम्मीद है कि जिस उद्देश्य के लिये इसे लिखा गया है, वह पूर्ण होगा।
अभी आगे के लेखन के लिये कुछ खास सोचा नहीं है। यदि सीरीज लेखन के लिये कुछ आइडिया नहीं आया तो छिटपुट लेखन कार्य आगे बढाऊंगा। अथवा संभव है कि कुछ लघुकथाएं लिखू। क्योंकि बहुत समय से लघुकथाएं नहीं लिखीं।
कई बार पास बाले मन से दूर होते हैं। तथा बहुत दूरी बाले मन के निकट। साहित्यकार के रूप में दूर दूर तक मुझे लोग जानते हैं जबकि शहर के साहित्यकारों के लिये मैं अपरिचित हूँ।
आचरण हमेशा संस्कार का द्योतक होता है। मनुष्य अपने आचरणों से अपने संस्कार को व्यक्त करता है। मुख से निकले वाक्य किसी मनुष्य के ही नहीं अपितु उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि का भी चित्रण करते हैं।
फ्रांस के राजा हिलेरी के सामने एक भिखारी ने अपना हैट उतारकर अभिवादन किया। राजा ने प्रतिउत्तर में अपना हैट उतारकर अभिवादन किया। आखिर एक राजा शिष्टाचार में एक भिखारी से कैसे पीछे रह सकता है।
पंजाब केसरी महाराज रणजीत सिंह ने उस बुढिया को एक हजार मुद्रा दीं जो कि एक पेड़ से फल तोड़ने के लिये पत्थर फेंक रही थी और पत्थर उनके सर पर लग गया। जब एक पेड़ पत्थर लगने के बाद फल देता है तो राजा भी कुछ तो देगा।
बहन श्रीमती अंबिका झा साहित्य के प्रचार प्रसार के लिये बहुत कुछ कर रही हैं। आज होली की पूर्व संध्या पर बहन अंबिका झा ने आनलाइन काव्य सम्मेलन का आयोजन किया। जिसमें बहुत अच्छे कवियों ने अपनी प्रस्तुति दी। मैं भी काव्य सम्मेलन में लगभग चालीस मिनट उपस्थित रहा।
लेखक कभी आराम नहीं करता और जब वह आराम करता है तो वह भविष्य के लेखन का गहन चिंतन कर रहा होता है। लेखक आराम के समय भी काम कर रहा होता है।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।