शाम के चार बजकर चालीस मिनट हो रहे हैं ।
आज कुछ देर के लिये आफिस गया। हालांकि आज छुट्टी का सा माहौल था। देहाती इलाकों में आज भी होली खेली जाती है। आज सहायक और चालक दोनों ही अनुपस्थित थे। वैसे त्यौहार के अवसर पर ऐसा होता ही है।
कल बहन संगीता अग्रवाल ने समीक्षा में पूछा था कि आजकल मैं डायरी लिखते लिखते रुकने सा लगता हूँ। उनका कथन सत्य है। दो दिनों से ऐसी अजीबोगरीब बातें देखी हैं जिनका सही उल्लेख नहीं कर पाया। फिर किसी अन्य के घर की बात लिखने का तब तक कोई अर्थ नहीं है जब तक कि उस घर में कोई गलत बात का विरोध नहीं करता। कई बार परिस्थितियाँ मनुष्य के व्यवहार को पूरी तरह बदल देती हैं।
छल करने बालों में जूआ को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। जूआ किसी के भी जीवन को बदल देता है। राजा को रंक बना देता है। चाहे युधिष्ठिर हों या नल, जूए की लत ने उन्हें अपार कष्ट दिया।
वैसे आज के समय में जूआ का रूप भी बहुत तरीके का हो चुका है। छल करने बाले हर तंत्र को जूआ ही समझना चाहिये। पर आज तो निवेश भी एक जूआ बनता जा रहा है। जूए से पूरी तरह कोई नहीं बच पा रहा है। फिर भी उचित है कि कुछ सावधानी रखी जाये।
एक पंडित जी जब रामकथा कहते थे, उस समय हनुमान जी के लिये चौकी पर आसन लगाते थे। यह उनका तरीका था। हनुमानजी जी को आसन दिये बिना वह कथा आरंभ नहीं करते।
एक दिन कुछ तार्किक उनके पीछे पड़ गये। उनके अनुसार हनुमान जी कभी कथा सुनने नहीं आते।
पंडित जी ने भी चुनौती स्वीकार कर कह दिया कि यदि आपमें से किसी ने भी इस चौकी को उठा लिया तो मान लूंगा कि हनुमान जी आसन पर विराजित नहीं हैं। फिर प्रयास करने के बाद कोई भी मनुष्य उस चौकी को उठा नहीं पाया जिसपर पंडित जी हनुमानजी को आसन दिया था।
विश्वास बहुधा फलीभूत होते हैं। तथा अहंकार हमेशा मिटता है। उचित है कि अहंकार से दूर रहा जाये।
किसी भी मनुष्य की उन्नति में केवल वही जिम्मेदार नहीं होता है। अपितु बहुत सारे लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उसकी उन्नति के जिम्मेदार होते हैं।
मिस्टी ने अपने चचेरे भाई यश के साथ होली का त्योहार मनाया है। उसका फोटो दे रहा हूँ।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।