डायरी दिनांक ०८/०३/२०२२
शाम के पांच बजकर बीस मिनट हो रहे हैं ।
बहन अनिला तिवारी ने सुबह कहा कि भैय्या। आप लड़का होकर भी डरते हैं। तो मैं यही कहना चाहता हूं कि लड़के हमेशा लड़कियों की अपेक्षा ज्यादा डरते हैं। वे ज्यादातर कठिन कार्यों को करने से डरते हैं। तुलनात्मक रूप में उनमें आत्मविश्वास की भी कमी पायी जाती है। नवीन परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालने में हमेशा से स्त्रियां ही आगे रही हैं। इन्हीं कारणों से स्त्रियों को शक्ति का रूप कहा जाता है। और पुरुषों को... ।
मजाक मजाक में भी कहा जाता है कि जब लड़का शादी करने ससुराल जाता है, तब डर के कारण ही बरातियों की भीड़ लेकर आता है। जबकि लड़की अकेले ही उन बरातियों के साथ ही ससुराल जाती है।
देवी चौधराइन के विषय में सही सही जानकारी इतिहास में दर्ज नहीं है। फिर भी कहा जाता है कि देवी चौधराइन के डर से ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी छावनियों को बंगाल से हटाया था। बंगाल में बहुत काल तक लोग देवी चौधराइन को माॅ दुर्गा का रूप मान पूजा करते रहे।
दोनों स्वतंत्रता संग्रामों में महिलाओं ने बढ चढकर भाग लिया तथा उनका योगदान कहीं से भी पुरुषों से कम नहीं माना जाता है।
भगवान श्री राम और माता सीता एक दूसरे के पूरक थे। रावण वध से पूर्व भगवान श्री राम ने देवी आराधना की थी तथा देवी माता के रूप में माॅ सीता की आराधना की। उस समय माता सीता रूपी देवी को प्रसन्न करने के लिये भगवान श्री राम ने अपने दोनों नैत्र भी अर्पण किये थे।
सही बात है कि स्त्रियों के लिये कुछ भी असंभव नहीं है। तथा बहुत से कार्य पुरुषों के लिये बहुत कठिन होते हैं।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।