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डायरी संदीप की।

31 मई 2022

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31/ मई/2022,
मास,ज्येष्ठ,,
दिन मंगलवार ,
समय अपराह्न, 12:15,
सखी राधे,
राधे राधे बोल मना,
राधे
राधे राधे बोल जरा।
जय श्रीकृष्ण।
सखी आज तो देखो कितना भेदभाव  हो रहा है ।लिपी पर ही देख लो जो है सब भेदभाव  भेदभाव  और भेदभाव  कर रहा है। फिर  कहते है यह भेदभाव  मिटा देगे,
नादान  है सब ,कैसे मिटा देगे,क्या विधाता  से भी उपर है यह जो यह सब कह रहे है।  कि वे भेदभाव मिटा देगे ।
कभी सोचा है क्यू संभव नही यह भेदभाव मिटाना, क्या ईश्वर  नही मिटा  सकता भेदभाव  ,यदि न तो वो ईश्वर  काहे का ।पर यदि हाॅ तो मिटाता काहे न,
साधारण  सी बात है अपनी बुद्धि न लडाओ कारण यह किसी के बस का नही ।कारण है ईश्वर  की व्यवस्था। और वो उत्कृष्ट  है ।वो वैसे ही है जैसे आप के कर्म। और वो भी मात्र  इस जन्म  के ही नही बल्कि  पूर्व  जन्म के कर्म का इस जीवन के  योगफल  के साथ।तो कौन भुगतान  करेगा जी जो आपने
सब सिचिंत व संचित किया था वह  है ।आपके ही द्वारा  ,लादा गया है न यह कर्म का टोकरा ,आपने ही चुन  चुन  कर भरे थे ने इसमे कर्म  तो बताओ  इसमे ईश्वर बेचारा दोषी कहा ,फिर जब इकट्ठे  किए थे तो इसी लिए  न कि इनका स्वाद  चखना है और अब जब चखने को मिल रहा है तो बडे अध्यात्मिक  बनते फिरते हो भेदभाव  की बाते उसे सुनाते हो जिसने तुम्हे गलत-सलत  के लिए  कभी उत्साहित किया ही नही बल्कि  गलत के लिए  भय  दिखाता ही रहा और आप मान जाते तो यह भाव का भेद रहता अब बताओ  तो जरा किसने यह अच्छे बुरे का टोकरा भरा ।  आपने न ,फिर वो गरीब  दोषी क्यू ? व आप क्यू मिटाएगे  भई  ।जरा बताओ तो ,
और उससे भी परे आप मिटाने चले हैतो,
आप होते कौन है इसे मिटाने वाले। सोचो यही  भेदभाव  यानि  जिसे आप मिटाने की बात करते हो या आपको गलत लगता है तो इसका मतलब तो आप उससे भी ज्यादा सशक्त  हो ,जो  उसकी  सुव्यवस्थित  व्यवस्था  को नकार रहे हो ,कर के देख लो यदि कर पाओ कभी न होगा न ही होना भी चाहिए।  यही सत्य है। क्या कहता हो मै ही न होने दूंगा ।औरो की तो बात ही जाने दो।
जब भुगतते है न तब
बस सब कहते है किसने देखा है पूर्व  जनमो को।।सब तो दिख रहा है आप धृतराष्ट्र  की तरह अंधे नही है बस वो क्या है न आपने गांधारी की तरह ऑखो पर पट्टी बांधी है।अब इसका भी दोष मढ दो न उस ईश्वर  पर ।
बडे चले भेदभाव  मिटाने ।मै न होने दूंगा। यह सब।
यह हो गया तो व्यवस्था खत्म। फिर आप को जो स्वीकार  है भेदभाव  मिटाना तो अपराधी को दंड  क्यू ।क्यो निंदा करते हो गलत की भाई उसने जो किया उसे स्वीकार  करो न ।अब  अच्छा या गलत तो पहले ही करना पडता है तभी तो फल बाद मे मिलता है न सखी।जैसा बोओगे  वैसा काटोगे  की कहावत  बंद करते है  क्योकि आप तो भेदभाव  मिटाने को उतारू है ।और अब जब यह मिटाना ही है तो लालू जी नीरव मोदी जी आदरणीय  माल्या जी कौन कहा गलत है।सब मिटाकर  भेदभाव  क्षमा करो उनको सब के अपराध  बलात्कारी हो या ठग,चोर,हत्यारा या मुझ सा छोटे मोटे नियम कानून  या नियम तोडने वाला सबको माफ करो और माफ भी क्यू करो जब स्वीकार ही  है तो वो गलत है ही नही।और  जब गलत ही नही तभी तो सब जायज है । व फिर जब सब ही जायज है तो नाजायज  रहा ही नही आपके हिसाब  का भेदभाव  खत्म ।
समझे अभी के नही
कि ये भेदभाव  क्यू है ,व अनिवार्य  रूप सी स्वीकार्य है ।करना ही होगा तभी जीव का यानि आपका मेरा उद्धार  होगा ।
यह कतई  खत्म  नही करना है ।बल्कि इसे और अधिक  सजायाफ्ता के ऑतक सरीखे  कानून  की भांति  और कठिन  व सख्त करना है ,,ताकि जीव डरे पाप करने से बुरे कर्म करने से यह लंगड़े लूले ,अपाहिज  गरीब  सब पूर्व  जन्म के आतातायी है समझे ।
आए बडे भेदभाव  मिटाने वाले ।
कभी समय मिला न तो यह भी बताऊंगा कि क्यू ,क्यू इस जन्म का फल अगले जन्म को मिलता है या कभी कभी  कई  कई  जन्मो के उपरांत। वैसे आप चाहे इस पर भीष्म पर लिखा मेरा लेख कही मेरे लेखन रिकार्ड मे है पढे या मुझे बाध्य  करे कि इस पर लिखू।।
तभी शायद मेरे व हमारे ज्ञान चक्षु खुलेगे ।तब आप कहोगे यह भेदभाव  जरूरत है अवश्यंभावी है।
समझे
समझे तो ठीक  नही तो मिटा दो भेदभाव  ।मुझे नही रहना संग आपके यहा
टके सेर भाजी,टके सेर ख्वाजा  हो।
मै तो चला।
जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण।
आज इस माह की अंतिम  डायरी को प्रणाम  व आपकी नजर सप्रेम  भेंट।
स्नेहिल  आप सब का,
संदीप  शर्मा। देहरादून से
Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com,,,
Jai shree Krishna g ✍ 🙏 💖 .


काव्या सोनी

काव्या सोनी

Bilkul sahi bat h bhai bhedbhav mitana sambhav kaha bahut hi shi or accha likha h aapne

1 जून 2022

कविता रावत

कविता रावत

सच भेदभाव कोई नहीं मिटा सकता। पर यह हमारे ऊपर निर्भर है कि हम क्या चुनते हैं .............

31 मई 2022

Sundeiip Sharma

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20 जून 2022

सच कहू न आदरणीय तो यह चुनाव भी आपके अधिकार नही।प्रयास कर देखना।।जय श्रीकृष्ण।

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रचनाएँ
संदीप की डायरी।
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मन की बाते करती प्यारी, लो जी आई संदीप की डायरी। जयश्रीकृष्ण
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27 मई 2022
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31/ मई/2022, मास,ज्येष्ठ,, दिन मंगलवार , समय अपराह्न, 12:15, सखी राधे, राधे राधे बोल मना, राधे राधे राधे बोल जरा। जय श्रीकृष्ण। सखी आज तो देखो कितना भेदभाव हो रहा है ।लिपी पर ही देख लो जो है सब

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5 जून 2022
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05/06/22,ज्येष्ठ मास, दिन रविवार, संध्याकाल, विश्व पर्यावरण दिवस, सखी राम राम, जयश्रीकृष्ण, आदरणीय आज विश्व पर्यावरण दिवस है और हम इस पर भाषण देकर कविता लिख ओ

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14 जून 2022
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14/06/22 ज्येष्ठ मास, रात्रिकाल, सखी आनंद हो। जय श्रीकृष्ण। सगी सखी कौन अपना है कितना अपना है यह दुख मे पता चलता है।कितना मन दुखी होता है जब हमसफर इस पर न खरा उतरता है। खैर कौन किस किस के किस्से&nb

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