नई दिल्ली : देश में आईटी सेक्टर में छंटनी की आंच रियल एस्टेट इंडस्ट्री पर भी पड़ने लगी है। दरअसल साउथ इंडिया का प्रॉपर्टी बाजार आईटी सेक्टर में काम करने वाली यंग जेनरेशन के सहारे फलता-फूलता रहा है। लेकिन सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स की नौकरियों पर खतरा मंडराने से मंदी की मार झेल रहे प्रॉपर्टी बाजार को एक और झटका लग सकता है।
आईटी में नौकरियों का संकट, इंफोसिस, कॉग्निजेंट और दूसरी आईटी कंपनियों में करीब 2 लाख लोगों की छंटनी की आशंका, कैंपस हायरिंग में 40 फीसदी की कमी। ऐसी सुर्खियों ने सिर्फ आईटी इंजीनियरों की नींद नहीं उड़ाई है, बल्कि मुश्किलों में घिरे देश के प्रॉपर्टी बाजार को भी हिला दिया है।
रियल एस्टेट रिसर्च फर्म प्रॉपइक्विटी के मुताबिक आईटी सेक्टर में छंटनी का बुरा असर बंगलुरू, चेन्नई, हैदराबाद, पुणे और नोएडा के प्रॉपर्टी बाजार पर होगा। सबसे ज्यादा मार पड़ेगी 40 लाख से 60 लाख रुपये के घरों की खरीदारी पर। जानकारों का मानना है कि प्रॉपर्टी मार्केट का यही सेगमेंट ओवरसप्लाई और गिरती बिक्री का शिकार है।
मिसाल के लिए इस प्राइस रेंज में बंगलुरू में 60 हजार से ज्यादा यूनिट तैयार हैं लेकिन 2017 की पहली तिमाही में सिर्फ 3000 के आसपास फ्लैट ही बिके। इसी तरह चेन्नई में करीब 23 हजार यूनिट में से सिर्फ 1300 फ्लैट ही बिक पाए। रियल एस्टेट सेक्टर की चिंता इसी वजह से है।
इसका सीधा सा मतलब है कि बिल्डरों को बिक्री बढ़ाने और नए लॉन्च के लिए अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी। बिल्डरों को उम्मीद थी कि ब्याज दर में कमी और सरकार की तरफ से मिल रही सब्सिडी का फायदा उठाने के लिए पहली बार घर खरीदने वाले लोग आगे आएंगे। लेकिन आईटी सेक्टर की मंदी ने उनकी उम्मीदों को धराशायी कर दिया है।